दर्द सिर में, लेकिन तकलीफ ऐसी जैसे बच्चे को जन्म देने से पहले मां को होती है. यानी लेबर पेन या यूं कहें कि प्रसव वेदना जैसी पीड़ा. ये सुनने में जितना अजीब है, आसाराम की बीमारी उतनी ही रहस्यमयी है. क्योंकि ये वो बीमारी है, जो ना ही ठीक होती है. और ना ही खुलकर सामने आती है, जबकि आसाराम के तीमारदारों का दावा है कि इस बीमारी से सिर में ही प्रसव वेदना का अहसास होने लगता है. अब जाहिर है जिस बीमारी का असर ही इतना अजीब हो, वो बीमारी तो उलझाएगी ही.
आसाराम की बीमारी ने डॉक्टरों से लेकर कानून के जानकारों तक को भ्रम में डाल दिया है. आसाराम कहते हैं कि उन्हें त्रिनाड़ी शूल बीमारी है, जबकि डॉक्टर कहते हैं कि वो दुरुस्त हैं. बल्कि ना सिर्फ दुरुस्त हैं, ऐसी बीमारी तो होती नहीं.
बाबा को बीमार बताने की कोशिश में लगे उनके भक्त जो कुछ कहते हैं, वो सुनकर तो अच्छे से अच्छा भी चकरा जाए. दूसरों की छोड़िए, आसाराम की महिला वैद्य नीता (नीचे तस्वीर में) ने ही बाबा की तकलीफ बयान करने के लिए मां के दर्द यानी प्रसव वेदना को भी कम बता दिया.
आसाराम के बेटे यानी नारायण साईं से जब इस बीमारी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी वही जताने की कोशिश की कि जेल में बाबा कैसी भयानक तकलीफ से तड़प रहे हैं.
ये और बात है कि दर्द बयान करने से पहले बीमारी का नाम बताने के लिए आसाराम के बेटे नारायण साईं को कागज़ों का सहारा लेना पड़ गया. यानी को बिना पढ़े नारायण साईं अपने पिता की उस बीमारी का नाम भी नहीं बता सके, जिसकी वजह से आसाराम पिछले 12-14 सालों से लगातार तड़प रहे हैं.
आसाराम की बीमारी रहस्यमयी भी कम नहीं है. क्योंकि जो बीमारी MRI स्कैन तक में पकड़ में ना आए, मेडिकल साइंस के माहिर डॉक्टर भी जिसे पहचानने में धोखा खा जाए और वही बीमारी सिर में प्रसव वेदना का अहसास करा दे, तो इस बीमारी को रहस्यमयी तो कहना ही होगा.
इसी बीमारी के नाम पर आसाराम ना सिर्फ़ अदालत से राहत की मांग कर रहे हैं, बल्कि ये भी कह रहे हैं कि इसके इलाज के लिए उन्हें रोज जेल में ही महिला वैद्य चाहिए. अदालत तो इस पर खैर बाद में फैसला करेगी, लेकिन अभी तो उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ही आसाराम की दलील पर यकीन करने को तैयार नहीं.
मेडिसिन की आधुनिक पढ़ाई कर चुके डॉक्टरों ने आसाराम का चेक-अप किया तो रिपोर्ट आई कि आसाराम तो बिल्कुल फिट हैं. जब कोई बड़ी बीमारी ही नहीं है तो बड़ा दर्द कैसे होगा. तो फिर क्या है इस दर्द का माजरा? क्या आसाराम बीमारी का बहाना बना रहे हैं?
ये जानने के लिए 4 सितंबर के उस खत का मजमून पढ़ लीजिए, जिसे जोधपुर जेल में बंद आसाराम ने जोधपुर के डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट के जज को लिखा था-
सेवा में
माननीय जिला एवं सेशन न्यायाधीश
जिला- जोधपुर (राज.)
माननीय,
विषयांतरगत लेख है कि मैं गत करीब साढ़े 13 वर्ष से त्रिनाडी शूल नामक व्याधि से ग्रसित हूं तथा मेरा इलाज पिछले 2-3 वर्ष से वैद्य नीताजी द्वारा किया जा रहा है. जो मुख्यत पंचकर्म का एक भाग शिरोधारा द्वारा उपचार करती हैं, जिसमें करीब दो घंटे का समय लगता है.
अत आपश्री से अनुरोध है कि वैद्य नीताजी को मेरी उपरोक्त बीमारी के इलाज हेतु आगामी आठ दिनों तक प्रतिदिन उनके समयानुकूल केंद्रीय कारागार में बुलाने की प्रार्थना पर कार्यवाही करें.
-संतश्री आसाराम बापू
मामला अदालत के दायरे में आ गया. अदालत के आदेश पर मेडिकल बोर्ड बैठा. बोर्ड में एक फिजिशियन, एक न्यूरोलॉजिस्ट और एक यूरोलॉजिस्ट को शामिल किया गया. इन तीनों डॉक्टरों के बोर्ड ने जांच की तो पाया कि अपनी उम्र और भयंकर बीमारी की दुहाई देने वाले आसाराम तो बिल्कुल दुरुस्त हैं.
इस बीच अदालत भी आसाराम की गुहार पर तारीख पर तारीख देती रही. पहले 19 सितंबर को सुनवाई हुई. फिर 24 सितंबर को, लेकिन 24 को अदालत ने कह दिया- अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.
30 सितंबर को ही आसाराम की न्यायिक हिरासत पूरी हो रही है. यानी साफ है कि आसाराम की जमानत पर अगली कार्यवाही तक आसाराम को अपने महिला वैद्य नीता से ना तो इलाज मिलेगा, ना उनके हाथ का खाना.
आसाराम की गंभीर बीमारी कई बड़े सवाल खड़े कर रही है-
सवाल नंबर 1- यह दर्द उभरता कब है?
सवाल नंबर 2- पिछले 24 दिनों से ये दर्द उभरा क्यों नहीं?
सवाल नंबर 3- दवाओं की आधुनिक दुनिया ने क्यों किया खारिज?
इन सवालों के गर्भ से ये सवाल उभरता है कि क्या आसाराम की बीमारी कोई बड़ा बहाना है. कहीं मसला वो तो नहीं, जिसकी तरफ आसाराम के पुराने साधक उंगली उठाते रहे हैं.
आसाराम अपनी बीमारी का नाम त्रिनाड़ी शूल बताते हैं, जिसे आयुर्वेद की भाषा में अनंतवात और अंग्रेजी में ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया कहते हैं. एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद आसाराम इसी बीमारी का हवाला देकर महिला वैद्य नीता को मांग रहे थे हर रोज दो घंटे के लिए.
बढ़ने वाली हैं आसाराम की मुश्किलें
जब कोई राज़दार मुंह खोलता है, तो फिर वो हकीकत भी बाहर आ जाती है, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं होती. आसाराम के साथ ऐसा ही हो रहा है. अब छिंदवाडा आश्रम के डायरेक्टर शरत चंद और रसोइए प्रकाश ने पुलिस को जो कुछ बताया है, उससे आसाराम की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं.
आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने कहा था कि पीड़ित लड़की मानसिक रूप से बीमार थी, लेकिन पुलिस को दिये बयान में उनके छिंदवाड़ा गुरुकुल के डायरेक्टर शरत चंद्र ने कहा है कि पीड़िता को कोई बीमारी नहीं थी. वो लड़की आश्रम की वार्डन शिल्पी के संपर्क में थी और वही जानती है कि क्या बीमारी थी. आसाराम के अहमदाबाद आश्रम से निर्देश मिलने के बाद ही उन्होंने शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता को नौकरी पर रखा था.
शरतचंद के बयानों की पुष्टि और इससे जुड़े सुबूतों को इकट्ठा करने के लिए जोधपुर पुलिस शरतचंद को लेकर छिंदवाड़ा गुरुकुल पहुंची. दूसरी तरफ आसाराम के रसोइया प्रकाश ने भी पूछताछ में खुलासा किया कि आसाराम का मोबाइल फोन वही रखता था. पीडिता को जोधपुर मड़ई कुटिया में लाने के लिए शिल्पी, शरत चंद्र और शिवा का फोन आया था. खुद आसाराम को पहले से पता था कि पीड़िता मड़ई कुटिया में आने वाली है और इसके लिए इंतजाम के आदेश भी दे दिए गए थे. आसाराम किसी लड़की या महिला को छूते थे तो कोई विरोध नहीं करता था. बल्कि सारी लड़कियां समर्पण के लिए ही आती थीं.
खबर है कि पुलिस शरतचंद्र और प्रकाश को सरकारी गवाह बना सकती है. लेकिन इस बीच मास्टरमाइंड शिल्पी की तलाश भी जारी है.