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यूपी की शहजादी के लिए मौत नहीं उम्रकैद चाहता था पीड़ित परिवार, वादी ने अबू धाबी की अदालत से की थी ये मांग

शहजादी का मुकदमा जब अबू धाबी की कोर्ट में चल रहा था, तब खुद फैज ने एक बार अदालत से पूछा था कि क्या शहजादी की सजा को उम्रकैद में तबदील किया जा सकता है? तब अदालत ने कहा था कि अब इसमें काफी देरी हो चुकी है.

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15 फरवरी के दिन शहजादी को गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई थी
15 फरवरी के दिन शहजादी को गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई थी

Shahzadi Khan Death Sentence in Abu Dhabi: यूपी के बांदा की रहने वाली शहजादी अब इस दुनिया में नहीं है. उसे अबू धाबी की जेल में गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई. इस दौरान पता चला है कि जिस चार महीने के बच्चे की हत्या के इल्जाम में शहजादी को मौत की सजा मिली, उसका परिवार शहजादी की मौत नहीं चाहता था. वो बस शहजादी को उम्रकैद या चंद सालों की कैद दिए जाने के हक में था. लेकिन जब तक उस परिवार ने अपनी ख्वाहिश अदालत के सामने रखी, तब तक देर हो चुकी थी. शहजादी की मौत के परवाने पर अदालत की मुहर लगा चुकी थी. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस मामले में हुआ क्या था.  

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25 जनवरी 2025, अबू धाबी
अबू धाबी में रहने वाले फैज के पास अबू धाबी की अदालत से एक फोन कॉल आती है. फैज वही शख्स हैं, जिनके चार महीने के बच्चे की हत्या का इल्जाम यूपी की रहने वाली शहजादी पर था. कोर्ट से फोन करने वाला अधिकारी फैज को एक लोकेशन भेजता है और वहां पहुंचने को कहता है. तय वक्त पर फैज उस लोकेशन पर पहुंच जाते हैं. वहां पहली बार अबू धाबी की हायर अथॉरिटी के अधिकारी फैज को बताते हैं कि शहजादी को सजा-ए-मौत देने के लिए 15 फरवरी की सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त मुकर्रर किया गया है.

सजा-ए-मौत के वक्त जेल नहीं गए थे फैज
साथ ही अधिकारी फैज से ये भी कहते हैं कि अगर वो चाहें तो शहजादी की सजा-ए-मौत को अपनी आंखों से देखने के लिए 15 फरवरी की सुबह साढ़े पांच बजे वो जेल पहुंच जाएं. हालांकि फैज को ये भी कहा गया था कि फांसी से पहले उन्हें एक और बार फोन पर जानकारी दी जाएगी. लेकिन फैज अपनी आंखो के सामने किसी को मरता नहीं देख सकते थे, इसलिए वो 15 फरवरी की सुबह जेल नहीं पहुंचे. हालांकि 25 जनवरी के बाद उन्हें दोबारा कभी कोई कॉल भी नहीं आया था.

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फैज के परिवार को नहीं मिली थी खबर
अबू धाबी में शनिवार और रविवार की छुट्टी होती है. इन दो दिनों में सभी सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं. सूत्रों के मुताबिक 17 फरवरी की शाम तक फैज को अबू धाबी की अथॉरिटी के जरिए इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि शहजादी को फांसी दे दी गई है. हालांकि कानूनन शहजादी की फांसी की खबर फैज और उनके परिवार को ऑफिशियली देना जरूरी था.

उम्रकैद दिए जाने के हक में था पीड़ित परिवार 
सूत्रों के मुताबिक, शहजादी का मुकदमा जब अबू धाबी की कोर्ट में चल रहा था, तब खुद फैज ने एक बार अदालत से पूछा था कि क्या शहजादी की सजा को उम्रकैद में तबदील किया जा सकता है? तब अदालत ने कहा था कि अब इसमें काफी देरी हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक फैज और उसके परिवार के सामने कई बार इस सवाल को रखा गया था कि क्या वो शहजादी के लिए क़िसास की तरफ जाएंगे या लीवर की तरफ? 

कोर्ट पर ही छोड़ दिया था सजा का फैसला
असल में अरबी में किसास का मतलब बदला होता है और लीवर शब्द किसी को माफ करने या बख्श देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. फैज का परिवार कभी भी किसास यानि बदला लेने के हक में नहीं था. पर सूत्रों के मुताबिक, अबू धाबी में लीवर के लिए जाने का मतलब सीधे सीधे ये था कि शहजादी की सजा को माफ करते हुए उसे रिहा कर दिया जाता. पर फैज का परिवार बेशक बदला नहीं चाहता था लेकिन वो ये भी नहीं चाहता था कि बगैर सजा मिले चंद सालों में ही शहजादी को आजाद कर दिया जाए. इसलिए उन्होंने शहजादी की सजा का फैसला कोर्ट पर ही छोड़ दिया था.

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भारतीय दूतावास के हवाले से मिली थी ये खबर
शहजादी की मौत की खबर की पुष्टि करने के लिए जब हमारी टीम ने कोशिश की थी. तब विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने अबू धाबी में भारतीय दूतावास के हवाले से ये जानकारी दी थी कि शहजादी को अभी फांसी नहीं हुई है. यहां तक की आजतक की टीम ने अबू धाबी में चार महीने के उस बच्चे के पिता फैज से भी बात की थी, जिस बच्चे के कत्ल के इल्जाम में शहजादी को सजा-ए-मौत दी गई. फैज का भी कहना था कि उन्हें ऑफिशियली अभी तक शहजादी की फांसी को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई. 

कोर्ट ने फैज को वर्बली दी सजा की खबर 
हालांकि फैज ने ये भी कहा था कि 25 जनवरी को अबू धाबी की एक कोर्ट ने उन्हें बुलाया था और तब उनसे कहा गया था कि शहजादी की फांसी की तारीख 15 फरवरी तय की गई है. फैज का कहना था कि इसके बाद उनके पास कभी कोई फोन नहीं आय. 3 मार्च को आजतक की टीम ने फिर से बच्चे के पिता से बात की. उन्होंने कहा कि अब भी उन्हें शहजादी की फांसी को लेकर ऑफिशियली कोई जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन कोर्ट में वर्बली उन्हें बताया गया कि 15 फरवरी की सुबह शहजादी को फांसी दी जा चुकी है.

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नाजिया और फैज की कहानी
नाजिया और फैज के परिवार की कहानी के मुताबिक, बच्चे की देखभाल के लिए उन्हें एक नैनी चाहिए थी. उन्होंने आगरा में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार उजैर से किसी नैनी का इंतजाम करने को कहा था. उजैर ने अपनी फेसबुक फ्रेंड शहजादी का नाम सुझाया. जिसके बाद उजैर और नाजिया ने बाकायदा वीडियो कॉल के जरिए शहजादी का इंटरव्यू लिया, उसे सारा काम बताया और फिर उसकी तनख्वाह बताई. जब शहजादी तैयार हो गई. तब उन्होंने उसे अबू धाबी बुला लिया.

सदमा झेल रहे हैं दोनों परिवार
नाजिया और उजैर के मुताबिक, शहजादी ने खुद पहले पुलिस और बाद में कोर्ट के सामने अपना जुर्म कुबूल किया था. उसने बताया था कि उसने गुस्से में बच्चे के मुंह और नाक पर हाथ रखकर उसे मार डाला. परिवार का कहना है कि इकलौते बच्चे की इस मौत का सदमा आज भी पूरा परिवार झेल रहा है. यहां तक कि इस सदमे की वजह से ही नाजिया दोबारा मां नहीं बन पा रही है. उधर, बांदा में शहजादी के बूढ़े मां-बाप और परिवार वाले भी उसकी मौत के गम डूबे हुए हैं.

शहजादी की आखिरी कॉल!
14 फरवरी, शुक्रवार की रात करीब 12 बजे शहजादी ने अबू धाबी जेल से बांदा में रहने वाले अपने मां-बाप को एक आखिरी कॉल किया था. ये कहते हुए कि अब उसके पास टाइम नहीं बचा है. जिस वक्त शहजादी ने ये फोन किया था तब अबू धाबी में रात के साढ़े नौ बजे थे. शहजादी के मुताबिक, जेल के कैप्टन ने उससे उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी थी. इसी के बाद शहजादी ने अपनी ये आखिरी ख्वाहिश जताई थी कि वो आखिरी बार अपने मां-बाप से फोन पर बात करना चाहती है. इसी के बाद जेल के कैप्टन ने फोन मिलाकर शहजादी को दिया. शहजादी के पास अपने घरवालों से बात करने के लिए सिर्फ 10 मिनट थे. इसी कॉल के जरिए शहजादी ने जानकारी दी कि उसे फांसी से पहले एक अलग कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है.

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उज़ैर के खिलाफ FIR वापस लेने को कहा
पूरी बातचीत के दौरान शहजादी के मां-बाप लगातार रोते रहे. लेकिन इस आखिरी बातचीत के दौरान शहजादी अपने मां-बाप से कहती है कि जिस उज़ैर के खिलाफ उन लोगों ने यूपी में एफआईआर दर्ज कराई है, उसे वापस ले लें. दरअसल, शहजादी को धोखे से अबू धाबी भेजने के मामले में शहजादी के मां-बाप ने उजैर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रखा है.

बातचीत के दौरान फैज का जिक्र
मौत से पहले की इस आखिरी कॉल में शहजादी बताती है कि कुछ देर पहले ही जेल के कैप्टन ने उसे इसकी जानकारी दी है. साथ ही वो ये भी कहती है कि फांसी वाली सुबह फैज़ भी शायद जेल आएगा. दरअसल, फैज़ चार महीने के उसी बच्चे का पिता है, जिस बच्चे के कत्ल के इल्जाम में शहजादी को अबू धाबी की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. अभी शहजादी और उसके मां-बाप के बीच ये बातचीत जारी ही थी कि तभी कोई अफसर बीच में अरबी में कुछ कहता है. शायद वो ये बता रहा था कि इस आखिरी कॉल की मियाद खत्म होने वाली है. इसके बाद बीप की आवाज सुनाई देती है और फिर फोन कट जाता है.

यूं खत्म हो गई शहजादी की कहानी
शहजादी की ये आखिरी बातचीत उसके वालिद ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली थी, जो बाद में उन्होंने मीडिया को शेयर की. शहजादी का ये फोन शुक्रवार यानि 14 फरवरी की रात आया था. बातचीत के हिसाब से 15 फरवरी की सुबह शहजादी को सजा-ए-मौत दी जानी थी और हुआ भी ऐसा ही. तय वक्त पर उसे गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई और शहजादी की कहानी हमेशा के लिए खत्म हो गई. 

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(साथ में बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता और मनीषा झा का इनपुट)

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