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यूपीः जूनियर इंजीनियर ने ऐसे किया बच्चों का यौन शोषण, रोज हो रहे नए खुलासे

इस मामले की जांच में पता चला है कि बच्चों का यौन शोषण करते वक्त वो दरिंदा सेक्स ट्वायज का इस्तेमाल भी करता था. वो यौन शोषण के नए-नए तरीके निकालता था. माना जा रहा है कि दूसरी पोर्न साइट्स देखकर इस तरह की दरिंदगी को अंजाम देता था.

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आरोपी रामभवन से पूछताछ में CBI को नई-नई जानकारी मिल रही है
आरोपी रामभवन से पूछताछ में CBI को नई-नई जानकारी मिल रही है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी के सिंचाई विभाग में तैनात था आरोपी इंजीनियर
  • आरोपी को सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
  • बच्चों के यौन शोषण का बड़ा खुलासा

यूपी सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर रामभवन की काली करतूतें जानकर आमजन के साथ-साथ सीबीआई के अफसर भी हैरान हैं. इस मामले की जांच में पता चला है कि बच्चों का यौन शोषण करते वक्त वो दरिंदा सेक्स ट्वायज का इस्तेमाल भी करता था. वो यौन शोषण के नए-नए तरीके निकालता था. माना जा रहा है कि दूसरी पोर्न साइट्स देखकर इस तरह की दरिंदगी को अंजाम देता था.

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इससे पहले बुधवार को खुलासा हुआ कि आरोपी जूनियर इंजीनियर ना सिर्फ बच्चों का यौन शोषण करता था, बल्कि उनकी वीडियो पोर्न साइट्स को भी बेचा करता था. इस काम को वो पिछले दस वर्षों से अंजाम दे रहा था. आरोपी इंजीनियर रामभवन ने पूछताछ में माना है कि अब तक वो पचास से ज्यादा बच्चों के साथ ऐसा कर चुका है. 

सीबीआई की जांच में पता चला कि आरोपी ने चित्रकूट के अलावा बांदा और हमीरपुर में भी बच्चों को अपना शिकार बनाया था. जब सीबीआई ने उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की तो उसके ठिकाने से 8 मोबाइल फोन, 8 लाख रुपये की नकदी, सेक्स ट्वायज, लैपटॉप समेत कई डिजिटल उपकरण बरामद हुए हैं.

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आरोपी इंजीनियर का टारगेट 5 से 10 साल तक के बच्चे होते थे. जिन्हें वो लालच देकर अपने जाल में फंसाता था. सोशल मीडिया के जरिए आरोपी रामभवन बच्चों से संपर्क करता था. फिर वो उन्हें मोबाइल, घड़ी, पेन, चॉकलेट आदि का लालच देकर मिलने के लिए बुलाता था. इसके बाद उनका यौन शोषण करता था. वो बच्चों के वीडियो डार्क वेब और पोर्न साइट्स को मोटी कीमत पर बेचा करता था.

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इस मामले में सीबीआई को और लोगों के भी शामिल होने की आशंका है. सीबीआई का मानना है कि रामभवन अकेले यह काम नहीं कर रहा था बल्कि उसके साथ और भी संदिग्ध लोग थे. प्रारंभिक जांच से पता चला कि पीड़ित बच्चों की संख्या 50 थी. अब सीबीआई यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या पीड़ित बच्चों की संख्या इससे ज्यादा है.

 

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