आपने फिल्मों के लिए कलाकारों का ऑडिशन या फिर स्क्रीन टेस्ट लिए जाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन अगर कोई आपसे ये कहे कि कहीं क़त्ल के लिए क़ातिलों का ऑडिशन लिया गया, तो इसे आप क्या कहेंगे? ये यकीनन एक अजीब और हैरान करने वाली कहानी है. दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद में एक क़त्ल के लिए जो साज़िश रची गई, उसमें बाकायदा क़ातिलों का ऑडिशन लिया गया. उनकी आवाज़ रिकॉर्ड की गई. और जिस क़त्ल के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए जाएं, वो साजिश कैसी होगी, ये समझना मुश्किल नहीं है.
आवाज़ नंबर - 1
हैलो... मेरी बात ध्यान से सुनो. राकेश हमारे में क़ब्ज़े में है. अगर उसकी सलामती चाहते हो रुपयों का इंतज़ाम कर लो.
आवाज़ नंबर - 2
हैलो... हमने राकेश को उठा लिया है. रुपयों का इंतजा़म कर लो, वरना बुरी खबर के लिए तैयार रहो.
आवाज़ नंबर - 3
हैलो... राकेश हमारे पास है, चुपचाप रुपयों का इंतजाम कर लो, अगर कोई चालाकी दिखाई तो राकेश घर नहीं लौटेगा.
ये शायद इस दुनिया का पहले ऐसा क़त्ल होगा, जिसमें मास्टरमाइंड ने क़त्ल की वारदात को अंजाम देने से पहले बाकायदा अपने गुर्गों का ऑडिशन लिया. या फिर यूं कहें कि उनका वॉयस टेस्ट करवाया और उन्हें उनकी काबिलियित के हिसाब से काम सौंपा. गुर्गों ने कुछ इसी अंदाज़ में अपने आका के उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की और फिर मास्टरमाइंड ने एक शख्स के मौत के परवाने पर दस्तख़त कर डाला. दिमाग़ घुमा देने वाली क़त्ल की इस साजिश को सिलसिलेवार तरीके से समझने के लिए पूरे मामले को शुरू से जानना होगा.
20 फरवरी 2024, इंदिरापुरम, गाजियाबाद
गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर राकेश वार्ष्णेय इस रोज़ काम के सिलसिले में घर से बाहर निकले, लेकिन फिर लौट कर नहीं आए. घरवालों ने पहले उनका इंतज़ार किया, लेकिन जब राकेश लौट कर नहीं आए और उनका मोबाइल फोन भी स्विच्ड ऑफ हो गया, तो उन्होंने राकेश के दोस्त और उनके साथ पार्टनरशिप में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने वाले राजू उपाध्याय को कॉन्टैक्ट किया. अब चूंकि राजू का राकेश के साथ रोज का उठना बैठना था, तो राकेश की इस रहस्यमयी गुमशुदगी से राजू भी हैरान हो गया. और उसने घरवालों के साथ मिलकर राकेश को ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी. राजू ने बताया कि उसने कई बार राकेश को कॉल किया, लेकिन उसका फोन नॉट रिचेबल आ रहा था. अब राकेश के घरवालों के साथ मिलकर राजू ने अपने दोस्त राकेश की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी.
अलग-अलग नंबरों से आए धमकी भरे कॉल
लेकिन अभी पुलिस राकेश का कुछ पता लगा पाती, तब तक मामले में ख़तरनाक ट्विस्ट आ गया. राकेश के घरवालों के पास अब अलग-अलग नंबरों से धमकी भरे कॉल आने लगे. कॉल करने वालों ने राकेश को अगवा कर लिए जाने की बात कही और कहा कि अगर उन्होंने पुलिस को बताने की गलती की, तो वो राकेश की हत्या कर देंगे. अब ऐसे फोन कॉल से घरवालों का बुरी तरह डर जाना लाजिमी था. लिहाज़ा, अब घरवाले चुपचाप राकेश को अगवा करने वाले लोगों के अगले कॉल का इंतजार करने लगे.
आरोपियों के नंबर सर्विलांस से ट्रेस करने की कोशिश
इधर, वक्त गुजरता रहा, लेकिन ना तो राकेश का कुछ पता चला और ना ही उसे किडनैप करने वाले लोगों ने फिर से उनके घरवालों को कोई कॉल किया, तो उनकी फिक्र बढ़ गई. अब कॉल वाली बात पुलिस तक पहुंची. पुलिस ने उन नंबरों को सर्विलांस पर लेकर उन्हें ट्रेस की कोशिश भी शुरू कर दी, मगर दिक्कत ये थी कि जिन भी नंबर से राकेश के घरवालों को एक बार भी कॉल किया गया था, वो सारे के सारे नंबर स्विच्ड ऑफ हो चुके थे. यानी चाह कर भी पुलिस की तफ्तीश आगे नहीं बढ़ रही थी.
राकेश के दुश्मनों के खिलाफ कोर्ट में याचिका
अब राकेश के घरवालों को इस गुमशुदगी को लेकर तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे. प्रॉपर्टी के कारोबार को लेकर राकेश की कई लोगों ने अनबन भी रही थी. ऐसे में घरवाले से सोचने लगे कि कहीं ऐसा तो नहीं कि राकेश से रंजिश रखने वाले लोगों ने ही उसे कहीं गायब कर दिया हो. खुद राकेश के दोस्त राजू का भी कुछ ऐसा ही सोचना था. और फिर इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए घरवालों ने कोर्ट में राकेश के कुछ दुश्मनों के खिलाफ याचिका दायर करवा दी.
राजू की सीडीआर देख पुलिस हैरान
उधर, गाजियाबाद पुलिस अब भी इस मामले में पूरी तरह क्लू-लेस थी. लाख कोशिश करने के बावजूद उसके पास इस गुमशुदगी का कोई सुराग नहीं था. और तब पुलिस ने एक रोज़ राकेश के दोस्त राजू के बारे में जानकारी जुटाने का फैसला किया. पुलिस ने अब राजू के मोबाइल फोन की सीडीआर और लोकेशन चेक की. और ये देख कर हैरान रह गई कि 20 फरवरी को जिस रोज़ राकेश अपने घर से गायब हुआ था, उस रोज़ राजू दिन भर राकेश के साथ ही था. यानी दोनों के मोबाइल फोन की लोकेशन, गाजियाबाद और दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर साथ-साथ नजर आ रही थी.
राकेश का दोस्त राजू ही निकला कातिल
अब पुलिस ने शक के आधार पर राकेश वार्ष्णेय के सबसे करीबी दोस्त और उसके बिजनेस पार्टनर राजू उपाध्याय को ही हिरासत में लिया. पूछताछ शुरू हुई. शुरू में तो राजू ने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की. अपनी बेगुनाही के झूठे सबूत दिखाता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उसका असली सबूतों से सामना करवाया तो वो टूट गया और उसने कबूल कर लिया कि अपने दोस्त और पार्टनर की गुमशुदगी में असल में उसी का हाथ है. लेकिन ये तो बस शुरुआत थी. पूछताछ में राजू ने खुलासा किया उसने अपने दोस्त राकेश को सिर्फ गायब ही नहीं किया, बल्कि उसका कत्ल भी कर चुका है. राजू ने बताया कि उसे राकेश की हत्या 20 फरवरी को ही कर दी थी और उसकी लाश गाजियाबाद के पास से बहने वाले गंग नहर में ठिकाने लगा दी थी.
आखिर राजू ने क्यों किया राकेश का मर्डर?
लेकिन ये अपने आप में एक हैरान करने वाली बात थी. एक दोस्त जिस पर खुद राकेश और उसके घरवाले हद से ज्यादा भरोसा करते थे, जो राकेश की गुमशुदगी के बाद उसे ढूंढने के लिए सबसे ज्यादा भागदौड़ करता रहा, यहां तफ्तीश में राकेश के क़त्ल के लिए उसी का चेहरा बेनक़ाब हो चुका था. सवाल था आखिर क्यों? आखिर क्यों राजू उपाध्याय ने राकेश का क़त्ल कर दिया? दोनों दोस्त थे, तो फिर दोनों के बीच ऐसी क्या बात हो गई? क़त्ल के बाद वो क्यों राकेश को ढूंढने का नाटक करता रहा? और सबसे अहम ये कि अगर ये क़त्ल राजू ने ही किया था, तो फिर राकेश की गुमशुदगी को अपहरण बता कर उसके घरवालों को धमकाने वाले लोग थे? राकेश के घरवालों को फोन कौन करता था?
जहर पिलाने के बाद लगाए थे एनेस्थिसिया के 6 इंजेक्शन
तो तफ्तीश में इन सवालों का भी खुलासा हो गया. पता चला कि 20 फरवरी को राजू ही राकेश को अपने साथ दिल्ली के दिलशाद गार्डन में मौजूद अपने दफ्तर में लेकर गया था और वहां धोखे से शराब में जहर मिलाकर पिला दिया. लेकिन उसका इरादा राकेश का क़त्ल जहर से करने का नहीं था. लिहाजा़, पहले उसने उसे जहर पिलाया और फिर एक के बाद एक उसे एनेस्थिसिया यानी बेहोशी की दवाई के 6 इंजेक्शन लगा दिए. अब जाहिर है जब किसी इंसान को जहर देने के बाद बेहोशी के इतने सारे इंजेक्शन लगा दिए जाएं, तो फिर उसकी मौत तो होनी है, तो बेहोशी की इस दवा के हेवी डोज का असर ये हुआ कि दिलशाद गार्डन में ही राकेश की जान चली गई.
राजू ने लिया था अपने कुछ गुर्गों का ऑडिशन
अब क़त्ल तो हो चुका था. लेकिन तफ्तीश में सच्चाई सामने आ जाने का खतरा था. लिहाज़ा, राजू ने राकेश की गुमशुदगी को अलग-अलग मोड़ देने की कोशिश की. और इसी काम के लिए उसने अपने कुछ गुर्गों का ऑडिशन भी लिया था. असल में राजू कुछ ऐसे लोगों को चुनना चाहता था, जिनकी आवाज़ रौबदार हो और जो फोन पर राकेश के घरवालों को राकेश के अपहरण की बात बता कर उन्हें डरा सकें. तो राजू के गुर्गों ने इस काम को बखूबी किया. पहले राजू के सामने अपना वॉयस टेस्ट दिया और फिर राकेश की हत्या के बाद उसके घरवालों को फोन कर डराते और मामले को उलझाते रहे.
चार महीने की तफ्तीश और चार कातिल
उधर, राजू तो खैर साये की तरह राकेश के घरवालों की मदद का नाटक कर रहा था. उसी ने घरवालों के साथ थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई थी और कोर्ट में राकेश के कुछ कारोबारी दुश्मनों के खिलाफ उसके घरवालों से याचिका भी दायर करवा दी थी. एक तरह से देखा जाए, तो अपने अपने इरादे में काफी हद तक कामयाब भी रहा. और यही वजह रही कि राकेश के असली क़ातिलों तक पहुंचने में गाजियाबाद पुलिस को करीब चार महीने लग गए. पुलिस अब राजू उपाध्याय के साथ इस क़त्ल में शामिल अनुज गर्ग, कृष्ण अग्रवाल और हरीश शर्मा को गिरफ्तार कर चुकी थी. लेकिन कत्ल का मोटिव, बेहोशी की दवा से कत्ल की साज़िश और राकेश की लाश का सवाल अब भी बरकरार था. तो खैर जल्द ही उसका भी खुलासा हो गया.
20 करोड़ की प्रॉपर्टी के लिए किया दोस्त का कत्ल
आखिर दिल्ली के एक प्रॉपर्टी डीलर ने अपने ही बिजनेस पार्टनर और दोस्त की हत्या क्यों कर डाली? वो भी तब जब उनमें किसी बात को लेकर कोई अनबन तक नहीं थी. इस सवाल का जवाब हैरान करने वाला है. एक दोस्त के दुश्मन बनने की इस कहानी की शुरुआत हुई एक पावर ऑफ अटॉर्नी से. राकेश वार्ष्णेय और राजू उपाध्याय साथ में प्रापर्टी का काम तो करते ही थे. अच्छे दोस्त भी थे. राकेश के पास मुरादाबाद में एक प्रॉपर्टी थी, जिसकी कीमत करीब 20 करोड़ रुपये है. राकेश इस प्रॉपर्टी को बेचना चाहता था. उसने एक रोज़ इस प्रॉपर्टी को लेकर राजू से बात की और उसे किसी ग्राहक की तलाश में अपनी प्रॉपर्टी का पावर ऑफ अटॉर्नी भी दे दिया. बस, यहीं से राजू के मन में उस प्रॉपर्टी को लेकर ऐसा लालच आया कि उसने राकेश के साथ अपनी सारी दोस्ती भुला दी. उसने सोचा कि अगर वो राकेश को रास्ते से हटा दे, तो फिर ये प्रॉपर्टी उसके नाम हो जाएगी और इसी के साथ उसने राकेश के कत्ल की साजिश रचनी शुरू कर दी.
एनिस्थिसिया इंजेक्शन के बदले एंबुलेंस देने का वादा
चूंकि वो बेहद शातिर है, तो उसने कत्ल के लिए फुलप्रूफ प्लानिंग की. सबसे पहले तो उसने यही तय किया कि वो राकेश की जान सामान्य तरीके से नहीं लेगा, बल्कि कुछ ऐसे लेगा जिससे क़त्ल का शक ही ना हो. इसके लिए उसने एक कंपाउंडर से बात की. उसे राकेश को एनिस्थिसिया का इंजेक्शन लगाने के लिए राजी किया और उसे बदले में एक एंबुलेंस देने का वादा किया. कंपाउडर लालच में आकर क़त्ल में राजू का साथ देने के लिए राजी हो गया. इसी तरह उसने क़त्ल के बाद मामले को भटकाने के लिए ऐसे आदमी की तलाश की, जो राकेश के घरवालों को धमकी भरे कॉल कर सके और इसके लिए उसने बाकायदा कुछ लोगों का ऑडिशन लिया और उन्हें भी रुपये का लालच दिया, शराब की बोतलें गिफ्ट में दी. वो इस काम के लिए कोई रौबदार आवाज़ चाहता था, ताकि राकेश के घरवालों को धमकी वाली बात सच लगे.
बुलंदशहर पुलिस ने बरामद की थी राकेश की लाश
क़त्ल के बाद राजू ने अपने गुर्गों की मदद से राकेश की लाश उसी की क्रेटा कार में रखी और उसे मुरादनगर की गंगनहर में फेंक आया और फिर उसकी कार शालीमार गार्डन इलाके में पार्क कर फरार हो गया. इत्तेफाक देखिए कि इधर जब राकेश के घरवाले उसकी तलाश में लगे थे, उसकी लाश गंगनहर में फेंकी जा चुकी थी और उन्हीं दिनों बुलंदशहर पुलिस ने वो लाश बरामद भी कर ली थी, लेकिन चूंकि तब उस लाश की पहचान नहीं हो सकी, बुलंदशहर पुलिस ने उस लाश को लावारिस मान कर उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था. हालांकि बाद में राकेश के घरवालों ने लाश के साथ मिले कपड़ों और दूसरी चीज़ों से उसकी पहचान की.
अब होगा राकेश के घरवालों का DNA टेस्ट
फिलहाल, बुलंदशहर पुलिस ने नहर से बरामद लाश के जो सैंपल अपने पास रखे हैं, उससे राकेश के घरवालों का डीएनए टेस्ट किया जाना है, ताकि ये बात कन्फर्म हो सके कि वो लाश राकेश वार्ष्णेय की ही थी. यानी इस मामले को पुलिस ने पूरी तरह से सुलझा तो लिया है, लेकिन एक दोस्त की इस बदनीयती की कहानी ने सभी को हैरान जरूर कर दिया है.