यूपी के ग्रेटर नोएडा की कासना जेल में डिप्टी जेलर और बंदी रक्षकों द्वारा पैसों की वसूली के लिए कैदियों की बुरी तरह पिटाई की घटना 'आज तक' पर दिखाए जाने के बाद इसका जबरदस्त असर हुआ है. इस मामले में टाल-मटोल करने वाले पुलिस के आलाधिकारी अब मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरकत में आ गए हैं. अखिलेश सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं.
गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आजतक और इंडिया टुडे पर जेल के भीतर के कारनामों के बारे में जो कुछ दिखाया गया है वह जांच का विषय है. सरकार इसकी जांच कराकर सच्चाई सामने लाएगी. सीएम के बयान के बाद यूपी सरकार ने फैसला किया है कि बरेली की डीआईजी शशि श्रीवास्तव अब इस मामले की जांच करेंगी.
आयोग ने लिया इसका संज्ञान
वहीं, यूपी मानवाधिकार आयोग ने भी इस घटना की संज्ञान लेते हुए जांच करने का फैसला किया है. आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रिफत आलम ने कहा की जेल के बारे में जो कुछ दिखाया गया है वह बहुत ही चौंकाने वाला है. इसकी सच्चाई जानने के लिए मानवाधिकार आयोग अपनी तरफ से जांच करेगा. यदि जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार को इसके बारे में लिखेगा भी.
सहूलियत के लिए रेट तय
बताते चलें कि आज तक ने इस बात का खुलासा किया था कि कासना जेल में कैदियों के साथ बर्बर बर्ताव किया जाता है. आरोप है कि कैदियों से मुलाकात के लिए आने वाले रिश्तेदारों को ही पहले जेल के स्टाफ की मुट्ठी गर्म करने पड़ती है. फिर जेल के अंदर भी सहूलियतों के नाम पर कैदियों से मोटी रकम वसूली जाती है. इसका बाकयदा रेट तय है.
कैदियों की बेरहमी से पिटाई
यदि कैदी गरीब है और पैसों का इंतेजाम नहीं कर सकता तो फिर उसकी बेरहमी से ऐसी की जाती है पिटाई कि देखने वालों की रुह कांप जाएं. लेकिन पिटने वाले कैदियों की चीखें जेल की चाहरदीवारी से बाहर नहीं जा सकतीं, ये जेल के अधिकारियों को अच्छी तरह पता है. इसी वजह से बेखौफ चलता रहता है जुल्म और अवैध वसूली का सिलसिला.