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Inside Story: हाथरस के बेखौफ कातिल, ढाई साल से डर के साए में जी रहा था पीड़ित परिवार

सोमवार को हाथरस में एक अस्पताल के बाहर एक बेटी चीख-चीखकर इंसाफ मांग रही थी. उसके सिर से बाप का साया उठ चुका था. लग रहा था मानों पूरी दुनिया उजड़ गई हो. बेबस लाचार बेटी रो रोकर बेहाल थी. अपने पिता के हत्यारों को कोस रही थी. उसकी चीख पुकार और उसका रोना किसी पत्थर का दिल भी पिघला दे.

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पीड़िता ने इंसाफ मांगते हुए दोषी को सजा-ए-मौत देने की मांग की है
पीड़िता ने इंसाफ मांगते हुए दोषी को सजा-ए-मौत देने की मांग की है

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले का नाम एक फिर गलत वजह से सुर्खियों में आ गया है. जहां फिर एक बार एक बेटी से जुड़ा मामला सामने आया है. सरकार कानून के पुख्ता होने का दावा करती है. जनता से पुलिस पर भरोसा करने की बात कहती है. और इसी बात पर विश्वास कर हाथरस की एक बेटी के पिता ने कानून पर भरोसा किया तो उन्हें बदले में मौत मिली. एक ऐसी मौत जिसे देखकर किसी भी इंसान का दिल दहल जाए. इस मौत के बाद हाथरस ही नहीं बल्कि सारे देश की बेटियां कानून से यही सवाल कर रही हैं कि क्या अपनी बेटी की हिफाजत करना गुनाह है? क्या पुलिस और कानून पर भरोसा करना जुर्म है? इन सवालों के जवाब कौन देगा?

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लाचार बेटी का दर्द

सोमवार को हाथरस में एक अस्पताल के बाहर एक बेटी चीख-चीखकर इंसाफ मांग रही थी. उसके सिर से बाप का साया उठ चुका था. लग रहा था मानों पूरी दुनिया उजड़ गई हो. बेबस लाचार बेटी रो रोकर बेहाल थी. अपने पिता के हत्यारों को कोस रही थी. उसकी चीख पुकार और उसका रोना किसी पत्थर का दिल भी पिघला दे. लोग बुत बने तमाशा देख रहे थे. कोई उसके साथ हमदर्दी जताने वाला भी उस वक्त नजर नहीं आ रहा था. वो बार-बार पूछ रही थी उसके पिता का कुसूर क्या था. वो लोगों को बता रही थी कि उसके पिता के कातिलों ने उसके संग क्या किया था. 

ऐसे किया गया कत्ल

मामला हाथरस जिले के थाना सासनी क्षेत्र का है. गांव नौजरपुर में सोमवार की देर शाम अचानक आलू के खेतों से गोलियों की आवाज आने लगी. इससे पहले कि गांववाले कुछ समझ पाते, चार हमलावरों ने खेत में आलू की खुदाई करा रहे अमरीश को गोलियों से भून डाला. गोलियों की आवाज़ सुनकर आस-पास खेतों में काम कर रहे मजदूरों में अफरा तफरा मच गई. अमरीश अपने खेत में जमीन पर लहूलुहान पड़े थे. आनन-फानन में लोगों ने अमरीश को अस्पताल पहुंचाया. मगर वक्त ने अमरीश का साथ नहीं दिया. जिंदगी अमरीश को छोड़कर चली गई और मौत ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया. 

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इंसाफ की मांग

अमरीश पर फायरिंग की खबर जंगल में आग की तरह पूरे गांव में फैल चुकी थी. जैसे ही खबर उनके घर पहुंची तो घरवालों के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उनकी बेटी भागते दौड़ते बदहवास सी अस्पताल पहुंची. मगर वहां केवल उसके पिता की लाश थी. बेटी की यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ देर पहले जिस पिता का वो घर पर इंतजार करती थी, वो अब कभी घर नहीं आएंगे. अब वो उसे बेटी कहकर नहीं पुकारेंगे. बेटी का दर्द उसकी आंखों से आंसू बनकर छलक पड़ा. उसके दर्द का अहसास शायद ही कोई कर पाता. वो अपने पिता के मुर्दा जिस्म को देखकर बेइंतहा रो रही थी. चीख रही थी. पुलिस और कानून से इंसाफ मांग रही थी. 

रो रोकर बयां किया दर्द

कुछ लोगों ने उसके दर्द को समझा या नहीं, मगर उसकी वीडियो जरूर बना ली. जिसमें वो रो रोकर अपना दर्द बयां कर रही थी. वो लोगों को बता रही थी कि उसके पिता को किस बात की सजा मिली है. लड़की बता रही थी, 'मेरे साथ छेड़छाड़ की शिकायत पिता ने थाने में की थी. इसी बात को लेकर मेरे पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.' वो अपने पिता के कातिल का नाम गौरव शर्मा बता रही थी. वही वो शख्स था, जिसने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर उस बेटी के पिता को गोलियों से भून डाला था. 

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इसी दौरान वारदात की सूचना पुलिस तक पहुंच चुकी थी. पुलिस अस्पताल पहुंची और अमरीश के शव को पंचनामे के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इलाके की डीएसपी रूचि गुप्ता मौके पर पहुंची. मामले की जानकारी ली. और फिर मीडिया को बताया कि इस वारदात के सिलसिले में पीड़ित परिवार की तहरीर पर नामजद मुकदमा लिखने की तैयारी की जा रही है. 

कौन हैं कातिल  
अमरीश की हत्या करने वाले आखिर कौन लोग थे? कौन थे वे लोग जो कानून को खिलौना समझ कर खेल रहे थे. कौन है गौरव शर्मा? जिसके लिए कानून का कोई मतलब नहीं है. बात-बात पर बदमाशों का एनकाउंटर करने वाली पुलिस का डर गौरव को क्यों नहीं था? आखिर उसमें इतनी हिम्मत कहां से आई कि सरेआम एक निर्दोष लाचार पिता को मौत के घाट उतार दिया. दरअसल, कुछ समय पहले अमरीश ने गौरव शर्मा और उसके साथियों के खिलाफ थाने में उनकी बेटी से छेड़छाड़ करने की शिकायत दर्ज कराई थी. आरोपी उनकी बेटी को परेशान करते थे. रास्ते से आते-जाते उस पर फब्तियां कसते थे. इसी बात से परेशान होकर अमरीश ने खाकी का दरवाजा खटखटाया था. उन्हें लग रहा था कि अब परेशानी खत्म हो जाएगी. आरोपी अब उनकी बेटी को परेशान नहीं करेंगे.

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मगर ऐसा नहीं हुआ. सोमवार को आरोपी बेखौफ आए और अमरीश को सरेआम मार कर चले गए. बताया जा रहा है कि आरोपी गौरव और उसका परिवार इलाके में दबंग माना जाता है. उन्हें अपने खिलाफ थाने में छेड़छाड़ की शिकायत बहुत अखर रही थी. इस बात से दबंग बौखला गए थे. इसलिए उन्होंने कत्ल की इस संगीन वारदात को अंजाम दे डाला.

दोनों परिवारों के बीच पुराना विवाद!
इस मामले में मंगलवार को एक नया मोड़ आ गया, जब पता चला कि दोनों परिवारों के बीच कुछ साल पहले से विवाद चल रहा है. यही विवाद था, जिसकी वजह से इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी गौरव शर्मा एक महीने जेल में रहकर आया था. एसपी विनीत जायसवाल बताते हैं कि जुलाई 2018 में अमरीश ने छेड़छाड़ की एक रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी. उसी शिकायत पर गौरव शर्मा जेल गया था. लेकिन एक महीने बाद वो जमानत पर जेल से बाहर आ गया था. 

आरोपी गौरव दे रहा था धमकी
मृतक अमरीश की बेटी ने आजतक पर बताया कि जुलाई 2018 में एक दिन वो घर पर अकेली थी. तब गौरव राइफल लेकर उसके घर आया था और उसके साथ छे़डछाड़ की थी. इसके बाद वो वहां से भाग गया था. बाद में उसके खिलाफ अमरीश ने थाने में मामला दर्ज कराया था. इस मामले को वापस लेने के लिए आरोपी लगातार अमरीश पर दबाव बना रहा था. गौरव ने एक बार अमरीश को फोन करके धमकी भी दी थी. इसके बाद अमरीश की बेटी ने पुलिस को फोन किया, मगर थाना पुलिस ने उनसे कह दिया कि अगर धमकी देने वाला उनके घर आता है, तो वो 112 नंबर पर कॉल कर देना. मृतक की बेटी ने कहा कि अगर आरोपी को कड़ी सजा नहीं मिली तो वो आत्महत्या कर लेगी.

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एसपी के अनुसार मृतक के परिवार का कहना है, उनकी गौरव के परिवार से पुरानी रंजिश चली आ रही थी, जिसके चलते 1 मार्च को गांव के मंदिर में मृतक कि बिटिया मौजूद थी. तभी गौरव शर्मा, उसकी पत्नी और उसकी मौसी मंदिर में आए. दोनों के बीच वहां झगड़ा हुआ था. इसके बाद गौरव शर्मा ने अमरीश पर फायरिंग कर दी, जिसमें उसकी मौत हो गई. जबकि मृतक की बेटी का आरोप है कि गौरव शर्मा ने उसके पापा को गोली मार दी. लड़की का कहना है, 'मेरे साथ छेड़छाड़ की शिकायत पिता ने थाने में कर दी थी. इसी बात को लेकर मेरे पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.' 

सूबे की सियासत में उबाल 

उधर, इस मामले को लेकर सियासत भी गर्म है. विपक्षी दल बीजेपी सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस और सपा ने योगी सरकार पर हमला तेज कर दिया है. लेकिन सत्तारुढ़ बीजेपी का आरोप कि आरोपी गौरव शर्मा समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता है. इस मामले में बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने ट्वीट करते हुए कहा, 'लाल टोपी से सावधान , इस समाजवादी नेता ने हाथरस में लड़की के साथ छेड़खानी के विरोध में उसके पिता की हत्या कर दी है, ऐसे अपराधियों को समाजवादी पार्टी समर्थन करती है, जो जितना बड़ा अपराधी वो उतना बड़ा समाजवादी. 

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इसके बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी सरकार पर पलटवार किया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'हाथरस की बेटी' के बाद अब हाथरस में एक और बेटी के साथ हुई छेड़खानी की शिकायत करने वाले पिता की सरेआम हत्या का दुर्दांत कांड हुआ है, भाजपा सरकार से हताश उप्र की नारियों ने अब तो इस सरकार से इंसाफ़ की मांग करना भी छोड़ दिया है.

सियासत और नेता चाहें जो भी दावा कर लें, लेकिन एक बेटी ने अपना पिता खो दिया है. जो अब कभी लौटकर नहीं आएगा. ऐसे में उस लाचार बेटी और सबकी निगाहें अब यूपी पुलिस और कानून पर लगी हैं कि आखिर इस कांड का मुख्य आरोपी कब पकड़ा जाएगा? कब उसे सजा मिलेगी?

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