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यूपी के बाहुबलीः वो चर्चित हत्याकांड, जिसने मुख्तार अंसारी को बनाया खौफ का दूसरा नाम

उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव करीब आते ही सभी दल और नेता एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं. मगर मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) एक ऐसा नाम है, जिसने जेल में रहकर भी विधानसभा चुनाव जीते हैं.

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विधायक मुख्तार अंसारी इस वक्त बांदा की जेल में बंद है
विधायक मुख्तार अंसारी इस वक्त बांदा की जेल में बंद है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहले LMG केस में आया था मुख्तार अंसारी का नाम
  • 2005 में MLA कृष्णानंद राय की हत्या में आया था नाम
  • अब यूपी की बांदा जेल में बंद है बाहुबली विधायक

सत्ता, सियासत और अपराध मिलकर एक ऐसा गठजोड़ बनाते हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हर जगह कामयाब नजर आता है. ऐसे कई बाहुबली नेता हैं, जिन्होंने जरायम की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और सत्ता में अपनी पैठ बना ली. ऐसा ही एक नाम है यूपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का. जो इस वक्त जेल में बंद हैं.

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उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव करीब आते ही सभी दल और नेता एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं. मगर मुख्तार अंसारी एक ऐसा नाम है, जिसने जेल में रहकर भी विधानसभा चुनाव जीते हैं. वर्तमान में भी वो मऊ से विधायक हैं. मुख्तार के बाहुबली बनने की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है. छात्र जीवन से ही सिसायत में हाथ आजमाने वाले मुख्तार अंसारी का नाम साल 2005 में उस वक्त पूरे देश ने जाना, जब बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में उसका नाम आया था. 

कृष्णानंद राय हत्याकांड

लाइट मशीन गन (LMG) केस में नाम आने के बाद मुख्तार अंसारी साल 2004 में चर्चा का विषय बन चुके थे. इसी के ठीक एक साल बाद साल 2005 में वो वारदात हुई, जिसने मुख्तार अंसारी को खौफ का दूसरा नाम बनाया. दरअसल, यूपी की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी का प्रभाव माना जाता था. 1985 से लगातार ये सीट अंसारी परिवार के कब्जे में रही. लेकिन 2002 में बीजेपी के उम्मीदवार कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हराकर उस सीट पर जीत हासिल की थी. तभी से कृष्णानंद राय दबंग विधायक मुख्तार अंसारी के निशाने पर आ गए थे.

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वो 29 नवंबर 2005 का दिन था. बीजेपी विधायक कृष्णनंद राय गाजीपुर के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन कर घर वापस लौट रहे थे, तभी बसनिया चट्टी के पास घात लगाए बैठे हमलावरों ने कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 से हमला कर दिया था. इस हमले में 500 राउंड फायरिंग की गई थी. इस दौरान कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोगों को गोलियों से भून दिया गया था. 

उस दिन सबसे बड़ा इत्तेफाक ये था कि हमेशा बुलेट प्रूफ गाड़ी में चलने वाले बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय उस दिन सामान्य गाड़ी से बाहर निकले थे. इस हत्याकांड के दौरान मुख्तार अंसारी जेल में बंद था. लेकिन फिर भी इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड उसे ही माना गया. कृष्णानंद राय हत्याकांड की जांच पहले यूपी पुलिस, फिर एसटीएफ और बाद में सीबीआई ने की. लेकिन गवाहों और सबूतों के अभाव में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को इस केस में बरी कर दिया था. जिनमें संजीव माहेश्वरी, रामू मल्लाह, मुन्ना बजरंगी, एजाजुल हक, मंसूर अंसारी, अफजाल अंसारी और राकेश पांडे शामिल थे. जुलाई 2018 में बागपत जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई थी.

कौन है मुख्तार अंसारी

गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 15 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था. मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा लगते हैं. 

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लेकिन मुख्तार अंसारी की कहानी आपराधिक गाथाओं से भरी पड़ी है. माना जाता है कि उसी के बल पर मुख्तार ने सियासत में ताकतवर मुकाम हासिल किया. वो 1996 में बसपा के टिकट पर पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद मुख़्तार अंसारी ने वर्ष 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी 3 चुनाव मुख्तार ने अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म की दुनिया का अहम चेहरा बना दिया. सियासी अदावत के चलते ही मुख्तार अंसारी का नाम साल 2002 में अपराध जगत से जुड़ गया था. 

 

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