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उत्तर प्रदेश की पुलिस माफिया के खिलाफ अभियान चला रही है. हाल ही में पुलिस ने सूबे के 63 माफियाओं की लिस्ट जारी की है, जिसमें कई ऐसे गैंगस्टर और माफियाओं के नाम भी शामिल हैं, जो अपने इलाकों में दहशत का दूसरा नाम माने जाते हैं. ऐसा ही एक नाम है माफिया अजीत चौधरी का. जो मुरादाबाद जिले में कुख्यात है. इलाके के लोग और पुलिस उसे 'वसूली भाई' के नाम से जानते हैं.
कौन है वसूली भाई?
यूपी के माफियाओं की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने वाले वसूली भाई का असली नाम अजीत चौधरी है. वो मुरादाबाद के बिलारी थाने इलाके में पड़ने वाले गांव हाथीपुर बहादुद्दीन का रहने वाला है. पढ़ाई लिखाई में वो कुछ खास नहीं कर पाया. लेकिन साल 2012 में उसका नाम पहली बार पुलिस के रिकॉर्ड में आया. उस वक्त अजीत को अवैध असलहे के साथ पकड़ा गया और उसके खिलाफ मुरादाबाद के बिलारी थाने में मामला दर्ज हुआ था. पुलिस ने तभी उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट की कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया था.
जेल से बाहर आकर बना अपराधी
जेल में ही अजीत की मुलाकात कई पेशेवर अपराधियों से हुई और वहीं से उसे भी दबंग माफिया बनने का चस्का लग गया. उसने ठान लिया कि अब वो एक गैंगस्टर बन कर रहेगा. कुछ महीनों बाद उसकी जेल से जमानत हो गई. जेल से छूटकर आने के बाद अजीत चौधरी एक अपराधी बन चुका था और उसने तभी जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया.
अजीत चौधरी ऐसे बना वसूली भाई
सबसे पहले अजीत चौधरी ने रात के वक्त सुनसान रास्तों से गुजरने वाले राहगीरों को लूटना शुरू किया. वो आए दिन लूटपाट और छिनैती जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा. पुलिस और इलाके के लोगों को भी उसकी करतूतों की भनक लग चुकी थी. लेकिन अजीत पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उल्टा वो इस बात का फायदा उठाने लगा. वो लोगों से रंगदारी वसूलने लगा. इसके लिए वो लोगों को उनके मोबाइल पर मैसेज भेजकर रंगदारी मांगता था या फिर कागज पर्ची लिखकर भेजता था. वसूली के इस तरीके ने उसकी पहचान बदलकर रख दी. लोग उसे वसूली भाई के नाम से जानने लगे.
कत्ल के मामले में हुआ था नामजद
पहले वो मुरादाबाद के रेहड़ी, ठेले वालों और दुकानदारों से वसूली किया करता था. इसके लिए उसने बाकायदा अपना गैंग बना लिया था. अब उसके साथ कई नई उम्र लड़के काम करने लगे थे. यही वजह थी कि उसकी दबंगई का दायरा भी बढ़ता जा रहा था. लेकिन इसी दौरान इलाके में एक शख्स का मर्डर हो गया. जिसमें अजीत चौधरी भी नामजद हुआ. यह मामला मुरादाबाद के हजरतनगर गढ़ी थाने में दर्ज हुआ था.
साल 2016
लिहाजा, पुलिस ने दबिश देकर अजीत चौधरी उर्फ वसूली भाई को गिरफ्तार कर लिया. उसे कोर्ट में पेश किया गया. जहां से अदालत ने उसे जेल भेज दिया था. यही वो दौर था, जब पुलिस उसकी करतूतों को देखकर उस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही थी. लिहाजा, साल 2016 में ही बिलारी थाना पुलिस ने अजीत चौधरी के खिलाफ गुंडा एक्ट का प्रयोग किया.
साल 2017
कुछ समय बाद अजीत चौधरी जेल से बाहर आ चुका था. वो फिर से रंगदारी वसूलने का काम करने लगा था. मगर इस बार उसने एक बड़े कारोबारी पर हाथ डाल दिया. नतीजा ये हुआ कि पीड़ित कारोबारी ने 24 अप्रैल 2017 को मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाने में अजीत चौधरी के खिलाफ रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया. मुकदमा दर्ज होते ही अजीत चौधरी फरार हो गया. पुलिस काफी दिनों तक उसकी तलाश करती रही. लेकिन वो हाथ नहीं आया. पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर पांच हजार के इनाम का ऐलान कर दिया.
साल 2019
इनाम का ऐलान होते ही अजीत चौधरी ने बड़ी चालाकी से पुलिस को चकमा देते हुए एक अदालत में जाकर सरेंडर कर दिया और पुलिस देखती रह गई. अदालत ने उसे जेल भेज दिया था. इसके बाद साल 2019 में अजीत को जमानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ चुका था. लेकिन इस बार अजीत चौधरी कुछ बड़ा करने वाला था. जेल से आते ही उसने एक कत्ल की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दे डाला.
रामपुर जेल में बंद है अजीत चौधरी
इस बार वो पुलिस से ज्यादा देर भाग नहीं सका और पकड़ा गया. अब तक उसके खिलाफ जिले में हत्या, लूटपाट, छिनैती और रंगदारी वसूलने जैसे 14 संगीन मामले दर्ज हो चुके हैं. साल 2022 में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले पुलिस ने अजीत चौधरी को मुरादाबाद की जेल से निकालकर रामपुर जेल पहुंचा दिया था. तभी से वो वहां बंद है. हाल ही में यूपी पुलिस की माफिया लिस्ट में उसका नाम शामिल किया गया है. पूरे जिले में वो वसूली भाई के नाम से कुख्यात है.