उत्तर प्रदेश के बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. इस केस में लंबे वक्त से सीबीआई जांच की मांग उठ रही थी. मुन्ना बजरंगी की हत्या 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में हो गई थी. इस केस के लिए सीबीआई जांच की अरसे से मांग हो रही थी.
मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में कुख्यात बदमाश सुनील राठी का नाम सामने आया था. दावा किया जा रहा था कि सुनील राठी के इशारे पर ही उसके गुर्गों ने मुन्ना बजरंगी को गोली मारी थी. उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराध जगत में सुनील राठी का नाम कुख्यात रहा है.
सुनील राठी ने अपने पिता की हत्या के बाद जुर्म की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद एक-एक करके चार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. लोग सुनील के नाम से भी डरने लगे थे. उसकी मां विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर छपरौली विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुकी हैं.
कृष्णानंद राय पर बरसाई थीं गोलियां
मुन्ना बजरंगी को 8 से 10 गोलियां मारी गई थीं. मुन्ना बजंरगी ने साल 2005 में गाजीपुर के विधायक कृष्णानंद राय पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं. मुन्ना बजरंगी एक ऐसा नाम था, जो कभी उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबलियों की ताकत बनकर उभरा था. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद फरार हुए मुन्ना को लगातार 2 साल की मेहनत के बाद 2009 में मुंबई से गिरफ्तार किया जा सका था.
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14 साल की उम्र में की थी पहली हत्या
मुन्ना बजरंगी ने 14 साल की उम्र में पहली हत्या की थी. उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर् ज थे. लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था.
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माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी. मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था.