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नोएडा की दूसरी बड़ी मर्डर मिस्ट्री? आखिर किसने किया गौरव चंदेल का कत्ल

उस दिन मल्टीनेशनल कंपनी के रीजनल मैनेजर गौरव चंदेल गुरुग्राम अपने दफ्तर से नोएडा एक्सटेंशन अपने घर लौट रहे थे. रास्ते में चंदेल अपनी पत्नी को फोन करके कहते हैं कि वो रात 10 बजे तक घर पहुंच जाएंगे. लेकिन वो लौटकर कभी नहीं आए.

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इस हत्याकांड में साफतौर पर पुलिस की लापरवाही सामने आई है
इस हत्याकांड में साफतौर पर पुलिस की लापरवाही सामने आई है

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  • अभी तक बरकरार है गौरव चंदेल के कत्ल का राज
  • नोएडा पुलिस के हाथ अभी तक खाली, अफसर खामोश
  • आरोपियों के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं

घर से बस करीब चार किलोमीटर दूर फोन पर दूसरी तरफ बीवी ने साफ सुना था कोई कह रहा था कि गाड़ी सड़क किनारे लगाओ. खुद उसने फोन पर कहा था कि वो गाड़ी के पेपर चेक करवा रहा है. इसके बाद फोन बंद हो जाता है और गौरव चंदेल गायब. अगली सुबह करीब तीन किलोमीटर दूर गौरव की लाश मिलती है. करीब 15 दिन हो गए गौरव के कत्ल को, लेकिन नोएडा पुलिस ने शुरूआत से ही जिस तरह से इस पूरे मामले की तफ्तीश की है उसने आरुषि केस के बाद इसे नोएडा की दूसरी सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बना दिया है.

8 मार्च 1999, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद

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आउटलुक मैगज़ीन के कार्टूनिस्ट इरफान हुसैन दिल्ली प्रेस क्लब से साहिबाबाद अपने घर लौट रहे थे. रात का वक्त था. घर के करीब पहुंचने से पहले इरफान हुसैन अपनी बीवी को फोन करते हैं. कहते हैं कि वो अगले 15 मिनट में घर पहुंच जाएंगे. लेकिन इरफान हुसैन घर नहीं पहुंचते. इरफान की पत्नी मुनीरा पूरी रात इरफान को ढूंढती है. पर इरफान का कोई सुराग नहीं मिला. 9 मार्च की सुबह सुबह मुनीरा इरफान की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में लिखाती है. 5 दिन बाद.. 13 मार्च 1999 को नेशनल हाईवे नंबर 24 पर गाज़ीपुर के करीब सड़क किनारे इरफान की लाश मिलती है. बेहद खराब हालत में. इरफान के दोनों हाथ पैर बंधे हुए थे. गला कटा हुआ और जिस्म पर चाकुओं के 28 ज़ख्म. इरफान की कार और मोबाइल फोन गायब था. बाद में इस केस में जिन पांच संदिग्धों को पुलिस ने पकड़ा था. वो सभी निचली अदालत में ही बरी हो गए. इरफान के कत्ल के पीछे साज़िश थी, दुश्मनी या फिर लूटपाट. आज भी कोई दावे से नहीं कह सकता.

6 जनवरी 2020 पर्थला चौक, ग्रेटर नोएडा, रात करीब 10 बजे

करीब 21 साल बाद इराफन कहानी फिर से हमारे सामने है, लेकिन किरदार बदला हुआ है. मल्टीनेशनल कंपनी के रीजनल मैनेजर गौरव चंदेल गुरुग्राम अपने दफ्तर से नोएडा एक्सटेंशन अपने घर लौट रहे थे. रास्ते में चंदेल अपनी पत्नी को फोनकर के कहते हैं कि वो रात 10 बजे तक घर पहुंच जाएंगे. लेकिन रात करीब साढ़े 10 बजे चंदेल पर्थला चौक पर थे. तभी चंदेल की पत्नी का फोन आता है. चंदेल बताते हैं कि वो गाड़ी के पेपर चेक करा रहे हैं. इसके बाद फोन काट देते हैं. लेकिन उसके पहले पत्नी को फोन पर आवाज़ सुनाई देती है कि कोई चंदेल से कह रहा था कि कार सड़क किनारे ले लो. चंदेल की पत्नी को लगा कि शायद पुलिस वाले चेकिंग कर रहे हैं. पर्थला चौक से चंदेल का घर महज़ 4 किमी ही रह गया था. कायदे से अगले 10-15 मिनट में चंदेल को घर पर होना चाहिए था. पर चंदेल घर नहीं पहुंचते. इसके बाद पूरा परिवार चंदेल को ढूंढने सड़क पर आ जाता है. लेकिन चंदेल सुबह मिलता है. हिंडन नदी के करीब सड़क किनारे मुर्दा. चंदेल की मौत साज़िश है, दुश्मनी या फिर लूट-पाट. आज 15 दिन बाद भी यूपी पुलिस के पास इसका पुख्ता जवाब नहीं है. 15 दिन पहले ना नोएडा के आखिरी एसएसपी के पास इसका जवाब था. ना आज 15 दिन बाद नोएडा के पहले कमिश्नर के पास इस सवाल का जवाब है.

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क्या है गौरव चंदेल की मौत का रहस्य

पर चंदेल की मौत का सच है क्या. आइये समझने की कोशिश करते हैं. चंदेल के मोबाइल पर आखिरी कॉल रात करीब साढ़े 10 बजे पत्नी का आया था. तब चंदेल की लोकेशन पर्थला चौक थी. इसके बाद अगले कुछ घंटों में चंदेल का मोबाइल तीन अलग-अलग लोकेशन बता रहा था. पर्थला चौक के बाद दूसरी लोकेशन हैबतपुर थी. हैबतपुर पर्थला चौक से करीब साढ़े तीन किमी दूर है. लेकिन हैबतपुर चंदेल के घर के रुट पर नहीं पड़ता तो चंदेल उधर क्यों गया था. या उसे जबरन ले जाया गया? हैबतपुर के बाद चंदेल की दूसरी लोकेशन करीब 9 किमी दूर रोज़ा जलालपुर थी. रोज़ा जलालपुर के बाद चंदेल के मोबाइल ने जिस आखिरी लोकेशन का पता दिया वो थी सैदुल्लापुर. रोज़ा जलालपुर से करीब ढाई किमी आगे. ये तीनों ही लोकेशन मेन रोड से हटकर कच्ची सड़कों की थी. और चंदेल के घर के रुट पर तो बिलकुल भी नहीं.

हिंडन नदी के किनारे मिली लाश

इन तीन लोकेशन के बाद 7 फरवरी की सुबह खुद चंदेल की लाश जिस हिंडन नदी के किनारे मिलती है. वो इन तीनों लोकेशन से अलग थी. और एक हफ्ते बाद चंदेल की कार जिस डासना मसूरी से मिलती है वो लोकेशन भी अलग. ज़ाहिर है चंदेल देर रात इन इलाकों में खुद नहीं भटक रहा था. बल्कि तब तक चंदेल की कार पर किसी और का कंट्रोल था, पर किसका? क्या चंदेल पर्थला चौक पर ही अगवा हो चुके थे? और क्या अगवा होने के बाद हैबतपुर, रोज़ा जलालपुर और सैदुल्लापुर के बीच ही कहीं पर चंदेल का कत्ल कर दिया गया? इसके बाद रात के अंधेरे में हिंडन नदी किनारे उसकी लाश फेंक दी गई?

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चंदेल के सिर में लगी थीं दो गोली

कत्ल के साथ साथ सवाल कातिल की पहचान को लेकर भी है. चंदेल की पत्नी के मुताबिक आखिरी बातचीत के दौरान चंदेल अपनी गाड़ी के कागज़ात दिखा रहे थे. अब कागज़ात पुलिसवाले ही चेक करते हैं. तो क्या चंदेल की आखिरी मुलाकात पुलिसवालों से ही हुई थी? या फिर पुलिस के भेस में लुटेरे थे? क्या ये लुटेरे किसी नई गैंग के थे या फिर पुराने गैंग के. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चंदेल के सिर में दो गोली बरामद होने की बात कही गई है. यानी कातिल जो भी था उसने सिर में वो भी दो गोली इसलिए मारी ताकि चंदेल के बचने की कोई गुंजाइश ना रहे. ये काम लुटेरों के अलावा भी किसी और का हो सकता है. चंदेल के किसी दुश्मन का या दुश्मन का सच छुपाने की किसी साज़िश का या फिर सिर्फ लुटेरों का.

चंदेल मर्डर केस में आरुषि हत्याकांड जैसी लापरवाही

आरुषि केस के बारे में आज भी कहा जाता है कि नोएडा पुलिस ने शुरूआत की सबसे कीमती गड़ी गंवा दी थी। अगर शुरूआती घंटे की तफ्तीश नोएडा पुलिस तब ईमानदारी से कर लेती तो आरुषि का कातिल आज बेनकाब होता। ठीक वही गलती नोएडा पुलिस ने गौरव चंदेल के केस में किया। सरहदों की लकीरें नापने के चक्कर में अगर नोएडा पुलिस शुरू के दो-चार घंटे ना गंवाती तो क्या पता उसे चंदेल के कत्ल की तफ्तीश ही ना करनी पड़ती। बल्कि गौरव चंदेल जिंदा मिल जाता।

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6 जनवरी 2020, रात 8 बजे, गुरूग्राम

गौड़ सिटी फिफ्थ एवेन्यू के रहने वाले 40 साल के वर्किंग प्रोफेशनल गौरव चंदेल जब इस रोज़ अपने दफ्तर से घर के लिए निकले तो उन्होंने अपनी बीवी प्रीति को फोन किया. गौरव ने बताया कि वो अगले दो घंटों में घर पहुंच जाएगा और फिर सभी साथ में ही डिनर करेंगे. आम तौर पर जब भी काम से फुर्सत होती गौरव अपनी पत्नी से फोन पर बातें किया करते थे. इस रोज़ भी दफ्तर से रवाना होने से पहले उन्होंने प्रीति को फोन किया था. इस हिसाब से गौरव को रात करीब 10 बजे तक गुरुग्राम से नोएडा एक्सटेंशन के अपने मकान में पहुंच जाना चाहिए था.

6 जनवरी 2020, रात करीब 10, नोएडा एक्सटेंशन

जब 10 बज जाने के बाद भी गौरव घर नहीं पहुंचे और ना ही उन्होंने रास्ते से प्रीति को फिर से कोई फोन किया. तो प्रीति ने परेशान होकर गौरव का फोन मिला दिया. गौरव ने फोन उठाया तो ज़रूर लेकिन इस बार उसकी अपनी बीवी प्रीति से बहुत ही छोटी बातचीत हुई. पर्थला चौक पर किसी को पेपर चेक कराने की बात कहते हुए फोन कट गया. थोड़ा परेशान लग रहे गौरव ने प्रीति को सिर्फ इतना बताया कि वो नोएडा एक्सटेंशन के ही पर्थला गोलचक्कर के करीब हैं और अपने पेपर चेक करवा कर फौरन घर लौट रहे हैं. पर्थला गोलचक्कर गौरव के घर से बमुश्किल तीन से चार किमी के फासले पर है. प्रीति की मानें तो उन्होंने बातचीत के दौरान पीछे की कुछ आवाज़ें सुनीं थी. जिसमें कुछ लोग गौरव से उनकी कार सड़क के किनारे लगाने को कह रहे थे.

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फोन नहीं उठा रहे थे गौरव

इस हिसाब से गौरव को कम से कम अगले आधे घंटे यानी रात 10.30- पौने ग्यारह तक घर पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन जब 40-45 मिनट गुज़र जाने के बावजूद गौरव घर नहीं पहुंचें तो प्रीति की बेचैनी बढ़ने लगी. अब उसने गौरव को एक के बाद एक कई फोन किए. घंटी बजती रही लेकिन गौरव ने फोन नहीं उठाया. प्रीति को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अपनी गाड़ी के कागज़ चेक करवा रहे गौरव के साथ बीच रास्ते पर ऐसा क्या हुआ कि वो ना तो घर लौटा और ना ही उठा रहे हैं. ये हालत प्रीति ही नहीं बल्कि पूरे चंदेल परिवार और रिश्तेदारों को बेचैन करने के लिए काफी थी.

पुलिस ने दिखाई बड़ी लापरवाही

लिहाज़ा प्रीति ने अब अपने पड़ोसियों से बात की और फोन पर ही कुछ और देर तक गौरव का पता लगाने की कोशिश चलती रही. लेकिन जब सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तो घबराए घरवाले और पड़ोसी सीधे बिसरख पुलिस स्टेशन पहुंचे. लेकिन जैसा कि आमतौर पर पुलिस थानों में होता है, बिसरख के पुलिसवालों ने भी परेशान चंदेल परिवार को बहुत ठंडा रिस्पॉन्स दिया और ये समझाने की कोशिश की कि गौरव अपनी मर्ज़ी से कहीं चले गए होंगे और खुद ही वापस लौट आएंगे. चूंकि गौरव की पत्नी प्रीति को पूरे सीक्वेंस यानी घटनाक्रम का पता था तो वो पुलिस कि बात मानने को तैयार नहीं हुई. ऐसे में ज़िद करने पर बिसरख के पुलिसवालों ने चंदेल परिवार को पहले थाना फेस-3 फिर चेरी काउंटी पुलिस चौकी और तब गौड़ सिटी पुलिस चौकी के लिए टरका किया और इस तरह गौरव के रिश्तेदार उसे रातभर थानों और पुलिसचौकी में ढूंढते और पुलिस से फरियाद करते रहे.

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घरवालों को बहलाते रहे पुलिसवाले

बहुत दबाव बनाने पर पुलिस ने ही गौरव के फोन की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की जो अब भी एक्टिव थी और इस कोशिश में पुलिस को नोएडा एक्सटेंशन के ही रोज़ा जलालपुर और हैबतपुर जैसे गांवों का पता चला जहां गौरव के मोबाइल फोन की लोकेशन नज़र आ रही थी. अब घरवालों ने पुलिस से इन जगहों पर चलकर गौरव को तलाशने के लिए कहा, पुलिस अनमने ढंग से गई भी और कोई कामयाबी नहीं मिली. इस बीच पुलिसवाले बार-बार घरवालों को खुद भी गौरव की तलाश करने की सलाह दे रहे थे.

खुद परिजनों ने ही बरामद की गौरव की लाश

ऐसे में घरवालों ने पर्थला गोल चक्कर से गौड़ सिटी तक एक बार फिर गौरव को ढूंढने का फैसला किया क्योंकि गौरव को इसी रूट से अपने घर आना था और आखिरी बार उसकी अपनी बीवी प्रीति से पर्थला चौक पर फोन पर बात हुई थी. सुबह के करीब साढ़े चार बज रहे थे. रिश्तेदारों की गाड़ी पर्थला चौक से गौड़ चौक की तरफ सर्विस लेन पर चल रही थी. तभी उन्हें हिंडन पुलिया से पहले एक क्रिकेट ग्राउंड के पास कोई ज़मीन पर पड़ा नज़र आया. बेचैन घरवालों ने अंधेरे में उस शख्स को टटोलने की कोशिश की लेकिन करीब पहुंचते ही सब के पैरों तले ज़मीन खिसक गई ये गौरव ही थे. जो औंधे मुंह ज़मीन पर पड़े थे और उनके सिर से खून निकल रहा था. यहां तक की सांसे भी थम चुकी थीं.

मगर फिर भी करिश्मे की उम्मीद से लोग फौरन गौरव को नज़दीक के अस्पताल लेकर गए लेकिन जिसकी सांसे एक बार थम चुकी हों वो फिर दोबारा कब सांस लेता है. गौरव की मौत की खबर पूरे चंदेल परिवार पर बिजली बनकर गिरी. रातभर गौरव को तलाश रहे घरवालों को अब ये समझ नहीं आ रहा था कि वो करें तो क्या करें क्योंकि गौरव तो मिल चुका था मगर ज़िंदा नहीं, मुर्दा.

आखिर गौरव को किसने रोका था- पुलिस या लुटेरे

अब सवाल ये भी था कि आखिर गौरव का ये हाल किसने किया. आखिरी बार तो वो पुलिसवालों को ही अपनी गाड़ी के कागज़ात दिखा रहे थे. गौरव की ब्रैंड न्यू किया सेल्टोस कार कहां थी. दो मोबाइल, लैपटॉप और दूसरी कीमती चीज़ें भी गायब थीं. तो क्या ये मामला लूट और उसके लिए हुए क़त्ल का था. तो फिर वो पुलिसवाले कौन थे जिनको अपने आखिरी वक्त में गौरव गाड़ी के पेपर दिखा रहे थे. वो पुलिसवाले ही थे या फिर पुलिस के लिबास में कोई लुटेरे. ऐसे ही कई सवाल अब हर किसी को बेचैन कर रहे थे.

फिर सामने आया पुलिस का निकम्मापन

गौरव चंदेल की पत्नी और घर वाले पुलिस को कहते रहे कि मोबाइल के लोकेशन के हिसाब से गौरव को ढूंढते हैं. बेमन से पुलिस निकली भी. पर सिर्फ खानापूर्ती करने. अगर नोएडा पुलिस सचमुच ईमानदारी से अपनी ड्यूटी बजाती तो गौरव चंदेल की लाश पुलिस ढूंढती. मगर रात भर पुलिस की तरह सड़कों पर भटकते हुए लाश ढूंढी खुद गौरव के घर वालों ने. पुलिस के निकम्मेपन का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है.

एक माह पहले खरीदी थी नई कार

गुरुग्राम की एक कंपनी में रीजनल मैनेजर का काम करने वाले गौरव एक खुशमिज़ाज इंसान थे. उन्हें कारों से बड़ा लगाव था और शायद यही वजह थी कि गौरव ने अपने लिए बमुश्किल महीने भर पहले हाल ही में लॉन्च हुई किया सेल्टोस कार खरीदी थी. कार खरीदने के दौरान शोरूम में खिंचवाई गई गौरव की तस्वीर उसकी खुशी और ज़िंदगी को लेकर उसकी उम्मीदों की गवाह बनकर रह गई है.

गौरव के जिस्म पर थे चोट के कई निशान

लेकिन इसी गौरव के साथ 6 और 7 जनवरी की दरमियानी रात को जो कुछ हुआ वो भी मानों एक पहेली बनकर रह गया. अल सुबह करीब साढ़े चार बजे गौरव की लाश मिली थी. चूंकि मामला अस्वाभाविक मौत का था. पुलिस ने गौरव की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और जब तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सामने आई. गौरव की गुमशुदगी और मौत की भय़ानक हकीकत सामने आ गई. गौरव का क़त्ल किया गया था और वो भी सिर में दो गोली मारकर. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को गौरव के जिस्म पर भी चोट के कई निशान मिले थे. जो इस बात का सबूत थे कि कत्ल से पहले गुनहगारों ने गौरव के साथ मारपीट और ज़बरदस्ती की कोशिश की थी. फिर जिस तरह गौरव की मौत के साथ ही उसकी सारी कीमती चीज़ें मौका-ए-वारदात से गायब थी वो भी देखकर ये बात तो साफ हो गई थी कि गौरव का कत्ल शायद लूटपाट के इरादे से ही किया गय़ा था.

गौरव के लिए बदमाशों ने बिछाया था जाल

लेकिन जिस तरह से रात के करीब 10 बजे भीड़भाड़ वाले पर्थला गोलचक्कर के पास से एक शख्स को अगवा किया गया और फिर लूटपाट कर उसकी जान इसी भीड़भाड़ वाली सड़क के किनारे फेंक दी गई. उसे देखकर साफ था कि कातिल लुटेरों के हौंसले कितने बुलंद थे. आखिरी वक्त पर गौरव की अपनी बीवी से हुई बातचीत में ही लुटेरों का एक सुराग भी छुपा हुआ था. गौरव ने अपनी बीवी को गाड़ी के कागजात चेक करवा कर घर आने की बात कही थी और बीवी ने भी फोन पर कुछ लोगों को गौरव से उसकी कार सड़क के किनारे लगाने की बात कहते हुए सुना था. यानी लुटेरों ने गौरव को अपना शिकार बनाने के लिए बाकायदा जाल बिछाया था और बहुत मुमकिन है कि इसके लिए सभी के सभी बदमाशों ने पुलिस की वर्दी भी पहन रखी हो.

सामने आई पुलिस की दोहरी लापरवाही

अगर ऐसा ही था तो फिर ये पुलिस की तरफ से की गई एक ऐसी घातक और दोहरी लापरवाही थी जिसने एक बेगुनाह को बेमौत मार डाला. पहली लापरवाही तो ये कि पुलिस की नाक के नीचे बदमाश पुलिसवाले बनकर बीच सड़क पर लोगों को लूट रहे थे. अगवा कर रहे थे और दूसरी लापरवाही ये कि लुटेरों का शिकार बन रहे लोगों के बारे में बताए जाने के बावजूद पुलिस थानों की सीमा विवाद का पुराना खेल खेल रही थी.

एसएसपी ने तलब किया था जवाब

गौरव चंदेल की हत्या में पुलिस की भूमिका को लेकर सवार यूं ही नहीं उठ रहे, बल्कि अगर वारदात की रात सचमुच ग्रेटर नोएडा पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें, तो आप पाएंगे कि गौरव की जिंदगी बचाने के लिए पुलिस ने उस रात वो नहीं किया, जो उसे करना चाहिए था. बल्कि सच्चाई तो ये है कि मोबाइल फ़ोन की लोकेशन निकाल लेने के बावजूद सीमा विवाद में उलझी ग्रेटर नोएडा की पुलिस उसे ढूंढ़ने की बजाय टोपी ट्रांसफर करने के खेल में उलझी रही और अब यही वजह है कि नोएडा के आखरी एसएसपी वैभव कृष्ण ने बिसरख थाने के एसएचओ से इस सिलसिले में जवाब तलब किया था.

पुलिस ने गौरव को ढूंढ़ने में नहीं दिखाई थी दिलचस्पी

असल में 6 दिसंबर की रात घर के रास्ते से गायब हुए गौरव चंदेल की बीवी प्रीति रात के करीब एक बजे बिसरख थाने पहुंची थीं. उसने बताया था कि उसकी आखिरी बार अपने पति से रात के दस बज कर बाइस मिनट पर फ़ोन पर बात हुई थी. लेकिन इसके बाद उसका फ़ोन रिसीव नहीं हुआ. पुलिस की मानें तो उस रात सर्विलांस टीम की मदद से तीन बार गौरव के फ़ोन की लोकेशन निकाली गई, जो सैदुल्लापुर, जलालपुर और हिंडन नदी के पास मिली और तीनों बार पुलिस टीमें गौरव को ढूंढ़ने गई, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला. लेकिन घरवालों की मानें तो उस रोज़ पुलिस गौरव को ढूंढ़ने में दिलचस्पी दिखाने की जगह सिर्फ़ टालमटोल करती रही और घरवालों को अलग-अलग थानों और चौकियों के बीच भटकाती रही. हद तो तब हो गई, जब खुद घरवालों ने ही हिंडन पुल के पास से गौरव की लाश ढूंढ़ निकाली, जबकि पुलिस कुछ पता ही नहीं चला.

ऐसे में अब ग्रेटर नोएडा पुलिस जहां सवालों के घेरे में है, वहीं खुद एसएसपी इस मामले की जांच कर रहे थे. देखना ये है कि महकमा अपने काहिल पुलिस अफ़सरों पर कोई कार्रवाई करता है, या फिर उन्हें क्लीन चिट मिल जाती है. उधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से बात साफ़ हुई कि उस रात लूटपाट के लिए ना सिर्फ़ बदमाशों ने गौरव के साथ मारपीट की, बल्कि उसके सिर में करीब से दो गोली मार दी, जिससे उसकी जान चली गई.

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