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...और बाराती बन कर आई पुलिस ने रमेश कालिया को भून डाला

रमेश कालिया. ये वो नाम था जिसे सुनते ही ठेकेदारों और बिल्डरों की रुह कांपने लगती थी.  लेकिन यूपी पुलिस ने अचानक सटीक रणनीति के तहत उसका काम तमाम कर दिया.

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रमेश कालिया. ये वो नाम था जिसे सुनते ही ठेकेदारों और बिल्डरों की रूह कांपने लगती थी. दरअसल, छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देनेवाले रमेश ने साल 2002 और 2003 में अचानक जैसे गियर ही बदल लिया था. अब उसकी नज़र सिर्फ जमीनों पर थी. खासकर उन जमीनों पर जिनमें कोई लफड़ा होता. वह ऐसी जमीनों पर कब्जा करता और रास्ते में जो भी आता, उसे ढेर कर देता. ये वो वक्त था जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, प्रदेश की कानून व्यवस्था. खासकर राजधानी लखनऊ की. क्योंकि कालिया ने उन दिनों पूरे उत्तर प्रदेश में अपना आतंक फैला रखा था. तभी मुलायम सिंह यादव ने एक अहम फैसला लिया.

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सीएम मुलायम ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नवनीत सिकेरा को लखनऊ का एसएसपी बना दिया. आईपीएस नवनीत सिकेरा ऐसे बदमाशों के लिए सरदर्द का दूसरा नाम था. खास कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाश तो सिकेरा के नाम से ही खौफ खाते थे. आलम यह था कि यूपी के क्राइम कैपिटल के नाम से बदनाम रहे मुज्जफ्फरनगर में अपनी तैनाती के दौरान सिकेरा ने अलग-अलग शूटआउट में कुल 55 छंटे हुए बदमाशों को मौत की नींद सुला दी थी. लखनऊ को कालिया के खौफ से आजाद करने के लिए सिकेरा को वहां तैनात करने का शायद यही सबसे अच्छा समय था.

ये वो दौर था, जब लखनऊ में अजीत सिंह का सिक्का चलता था. खासकर रेलवे के ठेकों पर तो अजीत और उसके लोगों का ही राज था. किसी की हिम्मत नहीं होती कि वो अजीत के खिलाफ चूं भी कर सके. लेकिन एक शख्स था, जिससे अजीत भी डरता था. और वो था रमेश यादव उर्फ रमेश कालिया. लखनऊ से सटे उन्नाव के एक गेस्ट हाउस में समाजवादी पार्टी के बाहुबली एमएलसी अजीत सिंह का जन्मदिन मनाया जा रहा था. अचानक एक गोली स्विमिंग पूल के नजदीक बैठे अजीत सिंह के सिर को छेद कर बाहर निकल जाती है और वो जमीन पर गिर जाते हैं. लोग फौरन अजीत सिहं को उठाकर इलाज के लिए कानपुर ले जाते हैं. लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है.

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ये कत्ल सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के एमएलसी का था, लिहाजा, अजीत सिंह की मौत की खबर आग की तरह पूरे सूबे में फैल गयी. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव खुद अजीत सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल हुए. इसके साथ ही पुलिस पर अजीत के कातिलों को पकड़ने के लिए दबाव बढ़ने लगा. अजीत सिंह की दुश्मनी रमेश कालिया से थी, लिहाजा पुलिस रमेश कालिया के खिलाफ कत्ल का मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरु कर देती है. यूपी पुलिस रमेश कालिया के खिलाफ खुफिया ऑपरेशन की तैयारी करती है.

पुलिस बारातियों के भेष में नीलमत्था के एक मकान में पहुंचती है. और फिर शुरू होता है पुलिस और कालिया एंड कंपनी के बीच आखिरी एनकाउंटर. करीब 20 मिनट चला ये खौफनाक एनकाउंटर वैसे तो दो पुलिसवालों को भी जख्मी कर गया, लेकिन इस एनकाउंटर में कालिया का जिस्म भी ठंडा पड़ चुका था. और साथ ही सिकेरा का राजधानी का पहला मिशन पूरा हो चुका था.

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