हिंदुस्तान में शायद ही ऐसी कोई दूसरी मिसाल मिले, जब एक बलात्कारी और बलात्कार की शिकार पीड़ित लड़की एक ही जेल में बंद हों. शाहजहांपुर की ज़िला कारागार ने यूपी पुलिस की बदौलत ये कारनामा कर दिखाया है. देश के पूर्व गृहराज्यमंत्री चिन्मयानंद को जिस लड़की के साथ रेप के इलज़ाम में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, अब उसी लड़की को यूपी पुलिस ने उठा कर जेल में डाल दिया है. है ना कमाल की यूपी पुलिस. अब ज़रा सोचें जब इलज़ाम लगाने वाली पीड़ित लड़की को ही पुलिस केस लगा कर जेल भेज चुकी है तो बलात्कार के उस केस का क्या होगा जो चिन्मायनंद पर है.
फिल्म से मिलता जुलता है स्वामी का किरदार
कुछ वक्त एक फिल्म आई थी हाउसफुल-2. फिल्म के एक सीन में अभिनेता रंजीत एक लड़की को देखते ही ब्यूटी-ब्यूटी करने लगते हैं. और जब पता चलता है कि वो लड़की उनकी बहू है, तो बेटी-बेटी करने लगते हैं. माफ कीजिएगा, वारदात की शुरूआत इस फिल्मी सीन के जिक्र से कर रहे हैं. मगर यकीन मानिए ये ज़रूरी था. क्योंकि जिस संस्कारी स्वामी की कहानी आपको सुनानी है. वो रंजीत के इस किरदार से बहुत मिलती-जुलती बहुत है. बस इन डायलॉग का सीक्वेंस थोड़ा सा आगे पीछे हो गया है.
मुख्यमंत्री के दोस्त का जलवा
शाहजहांपुर के ज़िल्लेइलाही संस्कारी स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज बेटी और ब्यूटी का फर्क भूल कर गुनाह कर बैठे. अब स्वामी हैं. अपने ज़िले के शाहजहां भी. और तो और सूबे के वज़ीर-ए-आला के आला दर्जे के दोस्त भी हैं. लिहाज़ा पुलिस और एसआईटी का फर्ज़ तो बनता ही कि ज़िल्लेइलाही की शान में रत्तीभर भी गुस्ताखी ना हो. और यहां तो एक गुस्ताख कनीज़ ने उन्हें क़ैदखान में क़ैद करवा दिया है. इस जुर्रत से ज़िल्लेइलाही अपना आपा खो रहे हैं. वो तो मुल्क के आईन का लिहाज़ और मीडिया का कैमरा ना होता तो अब तक इस गुस्ताख को दीवारों में चुनवा भी दिया गया होता.
पीड़िता को ही फंसाने में लगी रही पुलिस
21वीं सदी है फिर भी बादशाहत क़ायम है. हां बस दिखाने के लिए ही सही कानून का लिहाज़ हो रहा है. मगर घबराने की कतई ज़रूरत नहीं है. ज़िल्लेइलाही के सिपहसालार रात के अंधेरे में चोरी छुपे वो हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, जिससे क़ैद से उनकी रिहाई फौरन से पेशतर हो सके. मगर ग़ज़ब की बात है कि बदन पर रज रज के मालिश भी ज़िल्लेइलाही ने करवाई. रेप भी उन्हीं ने किया. और सूबे के सरकारी सिपाही हैं कि इस जुगत में लगे रहे कि कैसे उस गुस्ताख कनीज़ को संस्कारी स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज की शान में गुस्ताखी की सज़ा दी जाए. लिहाजा जिसका रेप हुआ. यूपी के सरकारी सिपाहियों ने उसे ही सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. कमाल है संस्कारी स्वामी जी का इक़बाल बुलंद हो.
मज़लूम को ही बना दिया मुजरिम
अब तो रियासत में उस मज़लूम के साथ हुई ज़्यादती का ज़िक्र ही नहीं हो रहा है. उल्टा मज़लूम को ही मुजरिम बना दिया गया है. मामला सिर के बल पूरा का पूरा पलट दिया गया है. और ये कमाल का कारनामा यूपी की एसआईटी ने शाहजहांपुर के ज़िल्लेइलाही संस्कारी स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज के लिए अपनी वफादारी पेश करने के लिए अंजाम दे डाला है. यानी जो मज़लूम थी वो मुजरिम बनकर जेल मे है. कसम से एसआईटी को तो झुककर सलाम करना चाहिए.
कानून की आड़ में खेल
सूबे में योगी के सिपाहसालारों ने उनके दोस्त को बचाने के लिए उस मज़लूम लड़की को उस जुर्म की सज़ा दिलाकर अंदर करवा दिया जो उसने किया ही नहीं. हां ये भी सच है कि उसके दोस्तों ने ही उसकी इस मज़लूमियत के वीडियो को पैसा कमाने का ज़रिया बनाने की कोशिश की थी. लेकिन सिर्फ कोशिश की थी. कानून की नज़र में ऐसी कोशिश भी गुनाह है. और ऐसी कोशिश करने वालों के साथ होकर मौन रज़ामंदी देना भी. सज़ा बनती है तो मिलनी भी चाहिए. क्योंकि कानून सब के लिए बराबर है. मगर इसकी आड़ में खेल तो कुछ और ही चल रहा है.
एसआईटी की लापरवाही या साजिश
जिनका कानून की धाराओं के साथ रोज़ का उठना बैठना है. वो एसआईटी के इस कदम को एक लम्हे में भांप गए. खुद उस मज़लूम बेटी के पिता को भी समझ में आ रहा है कि जो एसआईटी कई दर्जन मसाज और रेप के वीडियो होने के बाद भी हफ्तों तक इस संस्कारी स्वामी के खिलाफ एक अदद एफआईआर दर्ज नहीं कर पा रही थी. जिस एसआईटी ने कोर्ट से इस संगीन मामले में कड़ियों को जोड़ने के लिए स्वामी जी की पुलिस रिमांड तक नहीं मांगी. जिस एसआईटी ने मज़लूम लड़की के कमरे को सील करने के बाद सबूत के गायब होने का इंताज़ार किया. अब वही एसआईटी इस कदर मुस्तैद हो गई है कि पीड़िता को ही जेल भेज दिया.
आरोपी स्वामी को बचाने का खेल
हिंदी फिल्में तो हम सबने देखी नवीन अरोड़ा साहब. हमें भी समझ आ रहा है कि ये मुस्तैदी क्यों दिखाई जा रही है. मगर ये हम नहीं कहेंगे. इसे पीड़िता के पिता खुद कह रहे हैं. कुल मिलाकर यूपी एसआईटी उस मज़लूम बेटी तक ये बात इशारों-इशारों में पहुंचा देना चाहती है कि तुम स्वामी पर लगाए केस वापस लो. हम तुम्हें आज़ादी देंगे. जबकी हकीकत ये है कि पुलिस के पास पीडिता के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. ये सिर्फ दबाव की राजनीति है. मगर जिसने ज़िल्लेइलाही की ज़िद के आगे अपना सब कुछ गंवा दिया हो. उसके पास अब खोने को कुछ नहीं है. संदेश साफ है इंसाफ होकर रहेगा.