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3 थप्पड़ 4 कत्ल, इस वजह से हुआ मशहूर भजन गायक के परिवार का खात्मा

वारदात के बाद कातिल जानबूझकर बिना जीपीएस वाली कार लेकर भागा था, जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाए. पुलिस समझ चुकी थी कि कातिल जो भी है, वो पाठक परिवार का बेहद करीबी था.

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पुलिस ने कातिल को हरियाणा के पानीपत से गिरफ्तार कर लिया है
पुलिस ने कातिल को हरियाणा के पानीपत से गिरफ्तार कर लिया है

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एक थप्पड़ की कीमत कभी किसी को इतनी भारी नहीं चुकानी पड़ी होगी, जितना यूपी के एक मशहूर भजन गायक को चुकानी पड़ी. इस गायक को थप्पड़ मारने वाले के हाथों ना सिर्फ़ अपना पूरा का पूरा परिवार गंवाना पड़ा, बल्कि खुद उसका भी क़त्ल हो गया. नए साल से महज़ एक रोज़ पहले यूपी के शामली शहर में हुई इस वारदात में थप्पड़ तो बेशक एक फ़ौरी वजह साबित हुई, लेकिन इस चार क़त्ल के भयानक मामले की बिहाइंड स्टोरी के तौर पर जो बातें सामने आईं, उसने लोगों को दहला दिया.

31 दिसंबर 2019, बीते साल का आखिरी दिन

यूपी के शामली शहर की पंजाबी कॉलोनी में उलझन का माहौल था. वजह ये कि यहां रहने वाले मशहूर भजन गायक अजय पाठक और उनका पूरा परिवार सुबह से ही किसी को नज़र नहीं आया. वैसे तो उनके घर के दरवाज़े पर ताला लटक रहा था. मगर हैरानी की बात ये थी कि परिवार के सभी के सभी चार लोगों के मोबाइल फोन रहस्यमयी तरीके से स्विच्ड ऑफ हो चुके थे.

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42 साल के अजय पाठक अपने मकान की ऊपरी मंज़िल पर अपनी 38 साल बीवी स्नेहलता पाठक और दो बच्चों 15 साल की बेटी वसुंधरा और 10 साल के बेटे भागवत के साथ रहते थे. मकान के ग्राउंड फ्लोर पर उनके बुज़ुर्ग चाचा दर्शन पाठक रहा करते थे. जबकि इसी मोहल्ले में थोड़ी दूरी पर अजय पाठक के भाई अपने परिवार के साथ रहते है. लेकिन किसी को पाठक परिवार के इन चार लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.

कमरे में बिखरी थीं लाशें

ऐसे में नाते रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने आखिरकार हिम्मत कर के पाठक परिवार के बंद मकान के अंदर झांकने का फैसला कर लिया. मकान के मेन गेट के साथ बना छोटा सा गेट तो खुला था लेकिन ऊपर के मंज़िल में जहां अजय पाठक रहते थे वहां बाहर से ताला लगा हुआ था. फिक्रमंद मोहल्लेवालों ने दोपहर होते होते ये ताला तोड़ दिया और जैसे ही अंदर दाखिल हुए. घर का मंज़र देखकर सबकी रुह कांप उठी.

अजय पाठक और उनकी बीवी स्नेहलता की खून से सनी लाश उनके बेडरूम पर पड़ी थी. जिस पर तलवार और तेज़ धार चाकू से हमला किए जाने के अनगिनत निशान थे. जबकि बच्चों के कमरे में भी खून की धार ज़रूर थी लेकिन ना तो वहां वसुंधरा थी और ना ही भागवत. लोगों ने अब दूसरे कमरों का रुख किया और ग्राउंड फ्लोर पर बने एक कमरे में उन्हें एक और भयानक तस्वीर नज़र आई. यहां वसुंधरा की कंबल से ढंकी लाश पड़ी थी. उसे भी कातिल ने वैसी ही दर्दनाक मौत दी थी. जबकि 10 साल के बेटे भागवत का कोई अता पता नहीं था.

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मौका-ए-वारदात पर पहुंची फॉरेंसिक टीम

देखते ही देखते एक परिवार में तीन क़त्ल और सबसे छोटे बेटे की गुमशुदगी की इस वारदात की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. और पूरा का पूरा पुलिस अमला खोजी कुत्तों, फॉरेंसिक एक्सपर्ट और क्राइम टीम के साथ मौका-ए-वारदात पर जा पहुंचा था. पुलिस ने मामले की संजीदगी को देखते हुए फौरन चार टीमें बनाईं और तफ्तीश शुरू कर दी.

पुलिस का ध्यान सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के सर्विलांस, पाठक परिवार के नज़दीकी लोगों और दुश्मनों पर था. इसी कोशिश में पुलिस की नज़र एक अजीब सी चीज़ पर पड़ी. पुलिस ने देखा कि अजय पाठक की फोर्ड इको स्पोर्टस कार भी उनके घर के सामने से गायब है. अजय पाठक के पास तीन कारें थीं. एक इनोवा, दूसरी टवेरा और तीसरी फोर्ड इको स्पोर्टस. कातिल उसी तीसरी कार के साथ गायब हो चुका था.

बिना GPS की कार लेकर फरार हुआ था कातिल

तो क्या फोर्ड इको स्पोर्टस कार के साथ कातिल का फरार होना महज़ एक इत्तेफाक था या फिर इसके पीछे कोई सोची समझी साज़िश थी. तो पुलिस ने जब इस बात की पड़ताल की तो उसका दिमाग घूम गया. अजय पाठक के पास मौजूद तीन कारों में एक फोर्ड इको स्पोर्ट्स ही थी, जिसमें जीपीएस नहीं लगा था. जबकि बाकी कि दोनों गाड़ियों में जीपीएस था. तो क्या कातिल जानबूझकर बिना जीपीएस वाली कार लेकर भागा जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल हो. अगर यही सच था तो इसका मतलब ये हुआ कि कातिल जो भी है वो पाठक परिवार का बेहद करीबी था.

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एक सवाल ये भी था कि क्या कातिल पाठक परिवार के मासूम बेटे भागवत को अपने साथ ही अगवा कर ले गया या फिर उसकी भी जान ले ली. ऐसे कई सवाल थे. लेकिन जवाब एक भी नहीं. पुलिस के मुताबिक अजय पाठक अपने परिवार के साथ अगली सुबह करनाल जाने वाले थे. इसलिए उनके चाचा और रिश्तेदारों को मकान में ताला देखकर लगा कि अजय अपने पूरे परिवार के साथ करनाल के लिए निकल चुके हैं.

मगर बेचैनी तो तब बढ़ी जब उनके परिवार के सभी लोगों का मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ आने लगा. इसी बेचैनी ने उनके रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों को घर का ताला तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और फिर जो उन्होंने जो कुछ देखा, उस पर यकीन करना मुश्किल था. ग़ायब फोर्ड इको स्पोर्ट्स कार की शक्ल में पुलिस को इस क़त्ल का एक सुराग मिल चुका था. पुलिस ने फौरन इस कार के नंबर को ना सिर्फ आसपास के ज़िलों बल्कि आसपास के राज्यों में भी फ्लैश कर दिया और देखते ही इंटरसेप्ट करने की गुज़ारिश की.

सीसीटीवी में कैद थीं कातिल की तस्वीरें

पुलिस की एक टीम पाठक परिवार के मकान में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने में जुट गई. इस कोशिश में पुलिस को दूसरी कामयाबी मिली. वारदात से एक रोज़ पहले यानी 30 दिसंबर को पाठक परिवार के घर एक संदिग्ध शख्स आता हुआ दिखाई दे रहा था. हैरानी की बात ये थी कि ये शख्स अगले दिन सुबह तक बाहर नहीं निकला और जब बाहर निकला तो बेहद संदिग्ध हालत में, बदहवासी के आलम में. तो क्या यही रहस्यमयी आदमी पाठक परिवार का कातिल था.

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पुलिस की अब तक की जांच तो कुछ यही इशारा कर रही थी. पुलिस ने अब इस आदमी की पहचान पता करने की कोशिश शुरू कर दी. जल्द ही उसे इसमें कामयाबी भी मिली. मगर पुलिस तब तक ये राज़ आम नहीं करना चाहती थी. जब तक की वो क़ातिल तक पहुंच ना जाती. और जब तक की कत्ल की पूरी साज़िश साफ नहीं हो जाती.

जांच के दौरान पुलिस को पहले तो इस बात ने ज़रूर चौंकाया कि पाठक परिवार के पास आने वाला शख्स रात भर उन्हीं के घर में रहा. लेकिन जब नाते रिश्तेदारों और मोहल्लेवालों से बात हुई तो पता चला कि पाठक परिवार के लिए ये कोई अनोखी बात नहीं थी. असल में अजय पाठक के भजन मंडली के लोग पहले भी उनके पास आते और रात को रुक कर अगले रोज़ सुबह चले जाते थे. ऐसे में पुलिस को ये भी पता चल चुका था कि कातिल जो भी है. वो अजय पाठक का बेहद करीबी है.

1 जनवरी 2020

अब नए साल का सूरज निकल चुका था. पुलिस लगातार पाठक परिवार में हुए तिहरे कत्ल को सुलझाने की कोशिश में लगी थी. तभी उसे इस सिलसिले में पानीपत से एक उम्मीदों भरी खबर मिली. पानीपत हाईवे के सर्विस लेन पर हरियाणा पुलिस ने एक ऐसे शख्स को पकड़ा था, जो एक फोर्ड इको स्पोर्ट्स कार में 10 साल के एक बच्चे की लाश को जलाने की कोशिश कर रहा था. तो क्या यही पाठक परिवार का कातिल था. पानीपत पुलिस ने शामली पुलिस को जब इको स्पोर्ट्स कार का नंबर बताया तो फिर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं बची.

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ये वही कार थी जिसे कातिल पाठक परिवार के मकान के सामने से चुरा कर ले गया था और कातिल का हुलिया भी ठीक उसी शख्स से मेल खाता था. जिसकी तस्वीर यहां सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई थी. शामली के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल के मुताबिक उस शख्स का नाम है हिमांशु सैनी.

कातिल ने कुबूल कर लिया गुनाह

हिमांशु अजय पाठक की भजन मंडली का एक खास सदस्य था. कुछ इतना खास कि उसका पाठक परिवार में अक्सर आना जाना था और उसने अलग अलग किश्तों में कमेटी यानी चिटफंड के नाम पर अजय पाठक को कुल 60 हज़ार रुपये दे रखे थे. पानीपत में पकड़े गए शख्स ने अपनी पहचान भी यही बताई थी और 30-31 की दरमियानी रात को पाठक परिवार के सभी के सभी चार लोगों के कत्ल की बात भी कबूल कर ली थी.

पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि उसने उस रात पाठक परिवार के घर में ही डिनर किया था. रात को उन्हीं के घर ठहर गया था. सुबह उसकी वहां से जाने की तैयारी थी. लेकिन आधी रात को उसने पहले एक तलवार और तेज़ धार चाकू से सोई हालत में अजय पाठक का कत्ल किया. फिर उसके बगल में सो रही उसकी बीवी स्नेहलता पाठक की जान ली और तब दूसरे कमरे में जाकर पहले 15 साल की बेटी वसुंधरा को मारा और आखिर में गला घोंटकर 10 साल के बेटे भागवत की भी जान ले ली.

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कत्ल के बाद वो एक-एक कर सभी लाशें निपटाना चाहता था. लेकिन चूंकि भोर हो चली थी और ज्यादा देर करने से पकड़े जाने का डर था इसलिए उसने सिर्फ मासूम भागवत की लाश इको स्पोर्ट्स की डिग्गी में रखी और लाश निपटाने के इरादे से वहां से फरार हो गया. वो रात को फिर से लौटकर बाकी लाशों को घर से निकालकर ले जाना चाहता था लेकिन इससे पहले ही उसका भेद खुल गया.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर पाठक के करीबी हिमांशु ने ऐसा किया क्यों. क्यों उसने एक साथ पूरे के पूरे परिवार का कत्ल कर दिया. क्यों उसने अजय के साथ साथ उसके पूरे परिवार का खात्मा कर दिया. अजय से हिमांशु से ऐसी क्या अदावत थी जिसने उसे इस कदर बेरहम बनने के लिए मजबूर कर दिया. पाठक परिवार के इस हत्याकांड के इस दूसरे पहलू को जानना भी ज़रूरी है.

हिमांशु ने इसलिए हत्याकांड को दिया अंजाम

असल में हिमांशु ना सिर्फ अजय पाठक का नज़दीकी था बल्कि उसका पाठक के साथ रुपये पैसों का लेनदेन भी था. उसने पाठक को कमेटी के लिए 60 हज़ार रुपये दिए थे और काफी दिनों से अपने ये रुपये वापस मांग रहा था. हिमांशु ने बैंक से लोन भी ले रखा था और ना चुका पाने पर उसे लीगल नोटिस भी मिल चुका था. यानी वो रुपये पैसों की तंगी से जूझ रहा था.

30 दिसंबर की शाम को वो अपने इसी 60 हज़ार रुपये की उम्मीद लिए अजय पाठक से मिलने पहुंचा था. लेकिन रुपये लौटाना तो दूर की बात अजय पाठक ने ना सिर्फ उसे कथित तौर पर गालियां दी बल्कि तीन चार थप्पड़ भी रसीद कर दिए. तब तो हिमांशु ने खून का घूंट पी लिया. लेकिन उसी पल उसने अजय पाठक और उनके पूरे परिवार के कत्ल की साज़िश बुन ली.

खाना खाने के बाद पाठक दम्पति और बच्चे अलग-अलग कमरों में सो गए औऱ हिमांशु दूसरे कमरे में सोया. लेकिन रात 3 बजे उसने एक-एक कर घर में रखे तलवार और तेज़ धार छुरे से अपना इंतकाम पूरा किया. उसने पहले अजय पाठक फिर उसकी बीवी स्नेहलता पाठक का बेरहमी से कत्ल किया. फिर उसकी बेटी वसुंधरा और आखिर में 10 साल के मासूम भागवत को मौत के घाट उतार दिया.

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