यूपी टीआईटी (UPTET) का पेपर लीक हो जाने के बाद सरकार सकते में है. इस मामले लेकर यूपी सरकार ने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं. लगातार आरोपियों की धरपकड़ की जा रही है. लेकिन पेपर लीक का यह कोई पहला मामला नहीं है, जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया हो. ऐसे ही कई बड़े मामले पिछले सालों में भी सामने आए हैं, जिनकी वजह से ना जाने कितने ही परीक्षार्थियों के सामने जिंदगी और मौत का सवाल खड़ा हो गया था. हम आपको ऐसे ही कुछ मामलों के बारे में बताने जा रहे हैं.
CAT पेपर लीक
कैट पेपर लीक का यह मामला इतना बड़ा था कि इसे राष्ट्रीय स्तर का फर्जीवाड़ा करार दिया गया था. पहले इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस और एजेंसियों के पास थी. लेकिन बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई थी. जब सीबीआई कदम दर कदम जांच को आगे बढ़ाती गई तो एक ऐसे बड़े रैकेट का ख़ुलासा हुआ था, जिसने पेपर लीक के मामले में नए आयाम स्थापित किए थे.
इस रैकेट का सरगना था डॉ. रंजीत कुमार सिंह उर्फ रंजीत डॉन. जो बिहार के नालंदा में हिलसा प्रखंड में आने वाले खद्दी लोधीपुर गांव का रहने वाला था. रंजीत डॉन ने साल 1994 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया था. वहां उसके खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्र लगाने के आरोप लगाए गए थे.
रंजीत डॉन का नाम CAT पेपर लीक के अलावा ऑल इंडिया मेडिकल पीजी एंट्रेंस पेपर लीक, सीबीएसई पेपर लीक, मेडिकल पेपर लीक और मध्य प्रदेश के सबसे बड़े व्यापम घोटाला में भी आरोपी को तौर पर सामने आया था. 2003 कैट पेपर लीक मामले में उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद वो डेढ़ साल तक जेल में बंद रहा. उसके पास एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति थी. बताया जाता है कि उसकी सालाना इनकम 100 करोड़ रुपये से ज्यादा थी.
केजीएमयू पेपर लीक
केजीएमयू के दंत संकाय में 21 जुलाई 2019 में सीनियर रेजिडेंट के पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. नौ विभागों में भर्ती के लिए पहली बार लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था. जिसमें ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग का पेपर लीक हो गया था. जिसका इल्जाम विभाग के एक वरिष्ठ शिक्षक पर था.
उस वक्त तत्कालीन कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने परीक्षा निरस्त कर दी थी. इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. बाद में यूपी सरकार ने यह जांच कमिश्नर के हवाले कर दी थी. मामले की जांच के दौरान केजीएमयू के दंत संकाय के दो वरिष्ठ डॉक्टरों और एक महिला डॉक्टर को आरोपी बनाया गया था. परीक्षाथियों ने इस मामले को लेकर जमकर हंगामा किया था.
NEET पेपर लीक
14 सितंबर, 2021 को राजस्थान में मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट के लिए NEET की परीक्षा का पेपर लीक हो गया था. दरअसल, जयपुर के एक केंद्र पर परीक्षा शुरू होने से ठीक 35 मिनट बाद ही प्रश्न पत्र लीक हुआ था. महज़ आधे घंटे में परीक्षा आयोजित करवाने वाले लोगों के मोबाइल पर आंसर पहुंच गए थे. इसके बाद इन आरोपियों ने नीट के प्रश्न पत्र की आंसर शीट का प्रिंट निकालकर पैसा देने वाले छात्रों को सप्लाई कर दिया था.
लेकिन इस बात की खबर किसी तरह राजस्थान पुलिस को वक्त पर मिल गई थी. जिसके चलते पुलिस ने परीक्षा केंद्रों पर दबिश देकर आठ लोगों को नीट प्रश्न पत्र की आंसर शीट के साथ गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में 4 जगह छापे मारकर 6 मेडिकल छात्रों सहित 9 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने गिरफ़्तार किए गए दलालों के पास से 10 लाख रुपये भी बरामद किए थे.
जांच में पता चला था कि परीक्षक के ज़रिए ही छात्र-छात्राओं को आंसर शीट दी गई थी. इस काम के लिए उनसे 35 लाख में सौदा हुआ था. जयपुर के भांकरोटा के राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में 2 बजे से लेकर 5 बजे तक होने वाले नीट एग्ज़ाम में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था. जैसे ही पुलिस ने आंसर शीट के साथ परीक्षा दे रही एक छात्रा को दबोचा, उसने कहा कि यह आंसर शीट कमरे में मौजूद परीक्षा लेने वाले परीक्षक ने उसे दी थी. परीक्षक ने कहा कि छात्रा के चाचा से 10 लाख रुपये में डील हुई थी.
इस मामले में रैकेट का सरगना राजन गुरु भी पकड़ा गया था. जो खुद एक मेडिकल ऑफिसर है. वह राजस्थान मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट 2010 का सेकेंड टॉपर रहा है. कोटा में बायो सर के नाम से मशहूर राजन गुरु का असली नाम राजन राजपुरोहित है. वह पिछले कई सालों से यह काम कर रहा था. वह चुनाव भी लड़ चुका है और नक़ली नाम से कोटा में अपनी कोचिंग भी चलाता था. इसके अलावा वह सरकारी मेडिकल अधिकारी भी था. इस मामले में राजन गुरु के लिए काम करने वाले कई गुर्गे पकड़े गए थे. इस मामले ने पूरे देश को हैरान कर दिया था.
REET पेपर लीक
राजस्थान में 26 सितंबर 2021 को रीट की परीक्षा आयोजित की गई थी और उसी दिन परीक्षा का पेपर लीक हो गया था. यह पेपर लीक का एक ऐसा मामला है, जिसमें अभी तक राजस्थान सरकार ने 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है. मगर अभी पता नहीं चल पाया है कि रीट परीक्षा का पेपर कैसे लीक हुआ था. इस मामले की जांच की जिम्मेदारी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के हवाले की गई थी. मामले की छानबीन और जांच के दौरान पता चला कि इस मामले का सरगना भजन लाल विश्नोई नाम का शख्स है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि रीट परीक्षा का पेपर लीक कराने वाला शातिर सरगना भजन लाल विश्नोई अब तक एसओजी के लिए पहेली बना हुआ है. उसका कोई पता नहीं चल पाया है. इसलिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की जांच पिछले एक महीने से आगे नहीं बढ़ पा रही है.
इस केस को लेकर अदालत में याचिका भी दाखिल कर दी गई. जिसमें याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि रीट परीक्षा पेपर लीक मामले में जांच पूरी नहीं हो पा रही है और यह भी पता नहीं है कि कहां- कहां, किस-किस तरह पेपर लीक किया गया है. ऐसे मामले में बड़े स्तर पर पेपर लीक को देखते हुए एग्जाम रद्द किए जाएं और इसकी जांच CBI से कराई जाए.
राजस्थान की जांच एजेंसियां जांच करने में सक्षम नहीं है. दूसरी याचिका में भी परीक्षा रद्द करने की मांग और परिणाम रोकने की मांग की गई है. दूसरी तरफ़ से राजस्थान सरकार ने कहा है कि नीट यूजी परीक्षा में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक-दो जगह की गड़बड़ियों की वजह से पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जा सकती. लिहाज़ा सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को देखते हुए इस परीक्षा को रद्द ना की जाए.
यूपी टीईटी पेपर लीक
28 नवंबर 2021 को UPTET की परीक्षा दो पालियों में होनी थी, लेकिन एग्जाम से कुछ घंटे पहले ही वॉट्सऐप पर पेपर लीक हो गया था. इसके बाद इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने और उनकी संपत्ति जब्त करने की बात भी कही है. उन्होंने बताया कि एक महीने के अंदर दोबारा एग्जाम कराया जाएगा.
इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर हो गई है. इसमें जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड करने की मांग की गई है. इसके साथ ही पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी कराने की मांग भी की गई है. याचिका में एग्जाम रद्द होने से अभ्यर्थियों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग भी की गई है.
इनके अलावा भी पेपर लीक हो जाने के कई ऐसे मामले लगातार सामने आते रहे हैं. जिनकी वजह से हजारों, लाखों परिक्षार्थियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इन मामलों में जांच पड़ताल के दौरान कई लोग पकड़े जाते रहे हैं. उन्हें सजा भी मिली लेकिन फिर भी पेपर लीक के मामले थमने का नाम नहीं लेते.