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अमेरिका: मुंबई हमले की साजिश रचने वाले तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज

तहव्वुर राणा और उसके बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने 26/11 मुंबई हमले की साजिश रची थी जिसमें 166 लोगों ने अपनी जान गवा दी थी. डेविड हेडली सरकारी गवाह बन गया था फ़िलहाल वह मुंबई हमले में अपनी भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल की सजा काट रहा है.

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भारत सरकार मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण करने की कोशिश कर रही है
भारत सरकार मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण करने की कोशिश कर रही है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हेडली के साथ रची थी मुंबई हमले की साजिश
  • भारत कर रहा है राणा के प्रत्यर्पण की कोशिश
  • मुंबई हमले में 166 लोगों की हुई थी मौत

मुंबई हमले की साजिश के मुख्य किरदार तहव्वुर राणा की जमानत याचिका को एक अमेरिकी अदालत ने ख़ारिज कर दिया है. तहव्वुर राणा और उसके बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने 26/11 मुंबई हमले की साजिश रची थी जिसमें 166 लोगों ने जान गंवा दी थी. भारत के अनुरोध पर पाकिस्तानी मूल के इस कनाडाई व्यापारी को लॉस एंजिल्स में बीते 10 जून को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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राणा ने अपनी जमानत याचिका में लॉस एंजिल्स की जिला कोर्ट में कहा कि उसका स्वास्थ्य खराब स्थिति में है, इसके अलावा हिरासत के दौरान ही उसे दो दिल के दौरे पड़ चुके हैं. राणा ने ये भी तर्क दिया कि वह समाज के लिए खतरा नहीं है. राणा की इस दलील का कोर्ट में अमेरिकी सरकार ने विरोध किया. कोर्ट ने भी राणा को जमानत देने से इनकार कर दिया है.

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अमेरिकी अदालत ने राणा कि जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मुंबई हमले में राणा की भूमिका इतनी सीरियस है कि उसे जमानत पर खुले में नहीं छोड़ा जा सकता. वह समाज के लिए अब भी बराबर खतरा है.

पाकिस्तानी सेना में दस साल किया है काम 

तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली दोनों ही साल 2006 से भारत में हमले की तैयारी कर रहे थे जिसे उन्होंने 26 नवम्बर, 2008 के दिन अंजाम दिया था. मूलतः तहव्वुर राणा पाकिस्तान का रहने वाला है जहां उसने सेना में लगभग दस साल तक चिकत्सकीय सेवाएं दी थीं. पाकिस्तानी-अमेरिकी लश्कर आतंकवादी डेविड हेडली अपने गुनाह को कबूलते हुए सरकारी गवाह बन गया था. फ़िलहाल वह भारत में किए गए हमले में अपनी भूमिका के लिए एक अमेरिकी जेल में 35 साल की सजा काट रहा है.

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अमेरिका ने मानी भारत की मांग

इसी बीच अमेरिकी सरकार ने भारत की इस मांग का समर्थन भी किया कि राणा के प्रत्यर्पण के सम्बन्ध में दिए गए डाक्यूमेंट्स को सार्वजनिक न किया जाए. भारत द्वारा प्रत्यर्पण के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों में मुंबई आतंकवादी हमले में राणा की भागीदारी के बारे में जानकारी शामिल है जो राणा के साथ साझा की जाएगी.

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