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करते हैं लाशों से धोखा, इंसान को क्‍या छोड़ेंगे...

कुदरत का कहर तो अपना काम कर चुका. जो बर्बाद करना था कर दिया. अब बारी कुदरत के ही बनाए इंसानों की है. क़हर ने इंसानों को लाश बना दिया, तो कुछ इंसान अब उन्हीं लाशों को नोचकर उनमें अपनी लालची जिंदगी तलाश रहे हैं.

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कुदरत का कहर तो अपना काम कर चुका. जो बर्बाद करना था कर दिया. अब बारी कुदरत के ही बनाए इंसानों की है. क़हर ने इंसानों को लाश बना दिया, तो कुछ इंसान अब उन्हीं लाशों को नोचकर उनमें अपनी लालची जिंदगी तलाश रहे हैं.

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देवभूमि के दानवों की कई कहानियां और तस्वीरें आपने देखी और सुनी होंगी. मगर जो वाकया हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे देखने के बाद आप सिर्फ एक ही बात कहेंगे...'मत कहो हम इंसान हैं'.

कफन के अंदर एक लाश है. एक औरत की लाश, उन सैकड़ों लाशों में से एक लाश, जो 16 जून की रात उत्तराखंड के पहाड़ों पर कुदरत के कहर ने गिराई थी. ये लाश केदारनाथ और गौरीकुंड के बीच किसी जगह पड़ी है. लाश का कोई दावेदार नहीं है.

एक जल्लाद कफन के बीच से लाश की उंगली बाहर निकालता है. पास में लोहे के वो तमाम औज़ार हैं, जो उसके काम आने वाले हैं. अब एक औज़ार से वो लाश की उंगली से सोने की अंगूठी निकालने की कोशिश करता है. साथ में इसके कुछ साथी भी खड़े हैं, जो अपने मोबाइल से इसकी वीडियो भी बना रहे हैं, पर वो बेफिक्र अपने काम में लगा है.

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इस बीच एक औरत की आवाज़ आती है, वह पूछती है कि किसलिए वीडियो बना रहे हो और ये क्या कर रहे हो. वो औरत की बात अनसुनी कर अब भी किसी तरह लाश की अंगूठी निकालने में लगा है. फिर कुछ देर बाद पूरी बेशर्मी से हंसते हुए कहता है तुम्हें देने के लिए...

इतना कहने के बाद वो खुद ही बताता है कि कैसे कुछ नेपाली लूटपराट कर रहे हैं और वे पिटेंगे.

बातों के बीच वो अब भी पूरी जद्दोजहद कर रहा है. पर शायद लाश के साथ-साथ उंगली भी फूल चुकी थी, लिहाज़ा तमाम कोशिश के बाद भी अंगूठी नहीं निकल रही है. इसी बीच कोई कहता है कि प्लास से निकाल...प्लास से निकाल.

अब वो प्लास से अंगूठी खींचने की कोशिश करता है, पर अंगूठी बाहर नहीं निकलती. जब तमाम कोशिशों के बाद भी अंगूठी नहीं निकली, तो आखिर में उंगली काटकर लाश से वो अंगूठी निकाल ली गई.

एक दूसरी शर्मनाक तस्‍वीर...
जानिए मौत के कुछ ऐसे सौदागरों की कहानी, जिसे देखकर आप वाकई यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या वाकई ये इंसान कहलाने के लायक भी हैं? उत्तराखंड के पहाड़ों में फंसे लोगों को हेलीक़ॉप्टर से निकाला जा रहा है. पर क्या आपको पता है कि कुछ प्राइवेट हेलीक़ॉप्टर वाले जिंदगी बचाने के लिए भी रिश्वत ले रहे हैं? रिश्वत इस बात की कि हेलीकॉप्टर में पहले कौन बैठेगा.

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खुफ़िया कैमरे में कैद सारथी एविएशन के जीएम बचाव के लिए नाजायज तरीके से पैसे मांगते देखे गए. लेकिन जब यही सवाल उनसे सीधे कैमरे पर पूछा गया, तो उन्होंने ऐसा यू-टर्न लिया कि हम भी देखकर दंग रह गए.

उत्तराखंड में जान बचाने की जंग में ना सिर्फ सेना बल्कि कई प्राइवेट एयरवेज कंपनियां भी दिन-रात लगी हैं. जिंदगी और मौत की इस जंग में कई निजी कंपनियों के ऑपरेटर्स दिल्ली में खुलेआम रिश्वत लेकर पीड़ितों को Rescue कर रहे हैं. बचाव कार्य की इस शर्मनाक कहानी से जब आजतक के Sting Operation ने पर्दा उठाया, तो ये सच सामने आया कि एक-एक जान की बोली लगाई जा रही थी. इसी सिलसिले में खुफिया कैमरे पर हमारी बात हुई प्राइवेट एविएशन कंपनी सारथी एयरवेज के जीएम दीप राज सिंह मेहरा से, जिससे ये काला धंधा उजागर हो गया.

हालांकि इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद जब हमने खुले कैमरे पर पकड़े गए एविएशन कंपनी के जीएम दीपराज सिंह मेहरा से बात की, तो वो अपने पहले के बयान से पूरी तरह मुकर गए. और तो और, जब हमने उनका स्टिंग ऑपरेशन होने की बात उन्हें याद दिलाई, तो भी वो बेहद बेशिकन तरीके से सारी बातों से इनकार करते नज़र आए.

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इस पूरे मसले पर उत्तराखंड सरकार का कहना है कि बचाव कार्य में जितने भी हेलीकॉप्टर की सेवायें ली जा रही हैं, उन सबका खर्चा राज्य सरकार उठायेगी. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अगर कोई निजी कंपनी बचाव के लिये अगर किसी से पैसे की डिमांड कर रही है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

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