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भीड़ के इंसाफ की एक दिल दहलाने वाली दास्तां..

एक शख्स पर अपने ही पड़ोस में रहने वाली एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार का इल्जाम है. यह वारदात गुजरात के नवसारी जिले के अमलसाड गांव की है. तालाब किनारे आरोपी को बर्बर तरीके से मौत के घाट उतारे जाने की यह वारदात दिल दहलाने वाली है.

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Symbolic Image
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एक शख्स पर अपने ही पड़ोस में रहने वाली एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार का इल्जाम है. यह वारदात गुजरात के नवसारी जिले के अमलसाड गांव की है. तालाब किनारे आरोपी को  बर्बर तरीके से मौत के घाट उतारे जाने की यह वारदात दिल दहलाने वाली है.

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मंगल सुखा हलपति नाम का शख्स एक बच्ची के साथ बलात्कार के इल्जाम से घिर कर भीड़ के हत्थे चढ़ गया. इससे पहले कि पुलिस उसे गिरफ्तार करती, उसके खिलाफ कोई मुकदमा चलाया जाता, इंसाफ की अदालत में उसे गुनाहगार ठहराया जाता, भीड़ ने अपने ही कायदे-कानूनों के मुताबिक उसे गुनहगार भी ठहरा दिया और मौत की सजा भी दे दी.

दरअसल मंगल सुखा पर आरोप था कि उसने शराब के नशे में पड़ोस में रहने वाली 2 साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार किया. मासूम बच्ची की रोने की आवाज सुनकर मौके पर पहुंची महिलाओं ने बच्ची की हालत देखने के बाद मंगल को पीटना शुरू कर दिया. महिलाओं की मार से बचने के लिए आरोपी गांव के तालाब मे कूद गया लेकिन तब तक वहां पर पूरा गांव इक्कठा हो चुका था. इसके बाद लोगों ने मंगल सुखा को तालाब से बाहर निकाला और उसे पीटकर अधमरा कर दिया.

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भीड़ ने आरोपी पर लाठी-डंडे और लात-घूंसों समेत तमाम हथियारों से हमला किया. देखते ही देखते वह अधमरा होकर जमीन पर गिर गया. लोगों का गुस्सा फिर भी कम नहीं हुआ और वो उसे पीटते रहे लेकिन किसी ने भी उसे बचाने की कोशिश नहीं की. पूरा गांव मौत का यह तमाशा देखता रहा.

मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को भीड़ से बचाकर नवसारी सिविल अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. सवाल आखिर वही है कि क्या ऐसे किसी को भी सरेआम पीट-पीट कर मृत्युदंड दिया जा सकता है? आजाद हिंदुस्तान के इतिहास में ऐसा शायद ही पहले कभी हुआ हो, जब किसी मुल्जिम को जेल से निकाल कर भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया हो. लेकिन नागालैंड के दीमापुर में ऐसा भी हुआ था. यहां रेप के इल्जाम में एक शख्स को भीड़ ने ना सिर्फ जेल से निकाल कर पीटा, बल्कि उसे सरेआम चौराहे पर फांसी दे दी. जब इससे भी जी नहीं भरा तो फिर उसे जिंदा जला दिया.

देश के उत्तर पूर्वी हिस्से पर बसे सूबे नागालैंड के शहर दीमापुर में 5 मार्च को जो कुछ हुआ. उसने इन सवालों पर अचानक ही पूरे देश को माथापच्ची करने पर मजबूर कर दिया. नागालैंड के छात्रों ने रेप के इल्जाम में गिरफ्तार एक शख्स को एक ऐसी अजीब और भयानक मौत दी, कि अगर यह मंजर आईएसआईएस और तालीबान के आतंकवादियों ने देखा होता शायद उन्हें भी इस बात का इत्मीनान हो जाता कि ऐसी कबिलाई सोच को जीने वाले दुनिया में एक वही अकेले नहीं हैं. दरअसल, दीमापुर के सेकेंड हैंड कार डीलर सैय्यद फरीद खान को पुलिस ने 25 फरवरी को एक नागा स्टूडेंट के साथ लगातार कई दिनों तक रेप करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया था. इससे पहले कि पुलिस उसके खिलाफ कोई सुबूत पेश करती, गवाह अपनी बात रखते, अदालत उसकी सजा मुकर्रर करता. गुस्साए नौजवानों ने खुद अपने हाथों से उसे बर्बर सजा दे दी. रेप की इस वारदात से गुस्साए तकरीबन 10 हजार छात्रों और नौजवानों ने सीधे दीमापुर के डिस्ट्रिक्ट जेल पर ही धावा बोल दिया और एक-एक कर जेल के दो फाटकों को तोड़ कर अंदर दाखिल हो गए. फिर क्या था, मुट्ठी पर जेल कर्मी कोने में खड़े हो कर सारा तमाशा देखते रहे और हजारों लोगों की भीड़ ने इस मुल्जिम को सबके सामने अगवा कर लिया.

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इस मुल्जिम को उसके तथाकथित गुनाह की सजा देने के लिए भीड़ उसे मारते-पीटते और घसीटते हुए दीमापुर के चौक पर ले आई. तब तक उसके तमाम कपड़े फट चुके थे और फिर उसे बिल्कुल नग्न हालत में रस्सियों से बांध कर सड़कों पर घसीटा जाता रहा. इस दौरान सिर फिरे नौजवानों की टोली इस भयानक मंजर के हर पहलू को कैमरे में कैद करती रही. जब वो जुल्मों-सितम के इस सिलसिले से गुजर कर बिल्कुल बेसुध हो गया उसे एक फंदे के सहारे दीमापुर चौक पर टांग दिया गया. अंत में उसे इसी हाल में जिंदा जला दिया गया.

सबसे फिक्र की बात यह रही कि भीड़ इस तादाद और उनकी इस सोच के आगे तमाम कायदे-कानून, पुलिस, सुरक्षा इंतजाम सब छोटे पड़ गए. जिन पुलिसवालों ने इन लड़कों को रोकने की कोशिश की, उन्हें भी लहूलुहान हो कर रास्ते से हटना पड़ा. जब सब कुछ शांत हो गया, तो दीमापुर प्रशासन ने पहले कर्फ्यू और धारा 144 लगाने का ऐलान किया. सूत्रों की मानें तो सैय्यद फरीद खान एक बांग्लादेशी नागरिक था.

 

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