आसाराम पर एक और खुलासा. इस बार बाबा के साथ नाम जुड़ा है फर्जी मुठभेड़ के आरोप में जेल में बंद पूर्व आइपीएस डीजी वंजारा का. बताया जा रहा है कि आश्रम में महिलाओं के साथ जो भी कुछ होता था उसे वंजारा का समर्थन होता था.
एक धर्म का चोला ओढ़ कर लड़कियों के साथ जोर-ज्यादती करने का मुल्जिम, तो दूसरा पुलिस की वर्दी में फर्जी एनकाउंटर कर लोगों को मौत की नींद सुलाने का आरोपी. इत्तेफाक देखिए कि दोनों ही गुजरात के और दोनों ही इस वक्त कानून के शिकंजे में.
आप पूछेंगे भला आसाराम बापू के साथ गुजरात के इस दागी पुलिस ऑफिसर यानी डीजी वंजारा का क्या रिश्ता हो सकता है? लेकिन जब आप पर्दे के पीछे इन दोनों की असली केमिस्ट्री से वाकिफ होंगे, तो आपको खाकी वर्दी और सफेद चोले की आड़ में गुनाहों के गंठजोड़ की वो कहानी पता चलेगी, जिसे जानकर हैरान हो जाएंगे.
आसाराम के नापाक इरादों का शिकार हो चुकी एक महिला की मानें तो ना सिर्फ आसाराम अक्सर आश्रम की लड़कियों और महिलाओं के साथ ज्यादती करते थे, बल्कि उनके हर सही-गलत काम में गुजरात के पुलिस अधिकारी रहे डीजी वंजारा का भी फुल सपोर्ट होता था. और तो और वंजारा और आसाराम कई बार महिलाओं की हिफाजत के बहाने से ही आसाराम के महिला आश्रम में देर रात को आ धमकते थे. एक बार तो इस महिला की मौजूदगी में वंजारा आसाराम के साथ रात दो बजे महिला आश्रम में पहुंचे थे..
इल्जाम है कि यही वजह थी कि जब कोई आसाराम के खिलाफ मुंह खोलने की कोशिश करता, तो उसके साथ ऐसी मारपीट होती थी उसके लिए टिकना मुश्किल हो जाता था. और अगर इसी मारपीट में किसी की मौत हो जाती, तो आसाराम वंजारा के साथ मिल कर उस मामले को निपटा देते. वंजारा पर ये संगीन इल्जाम लगाने वाली इस महिला का कहना है कि यही वजह है कि अब उन्हें गुजरात पुलिस पर कोई ऐतबार नहीं है.
अमृत प्रजापति का खुलासा
ये तो रही आसाराम की शिकार हुई एक महिला की बात, आसाराम के ही आश्रम में उनके निजी वैद्य के तौर पर काम कर चुके अमृत प्रजापति भी आसाराम और वंजारा के रिश्तों की गवाही देते हैं. उनका कहना है कि वंजारा अक्सर आसाराम के पास आते थे और 2008 में गुजरात पुलिस ने ही आश्रम में हुए दो बच्चों की रहस्यमयी मौत के मामले की लीपापोती कर दी.
जाहिर है, इन आरोपों से तो यही साबित होता है कि आसाराम गुजरात में पुलिस अफसरों के साथ मिलकर जुर्म का वो सिंडिकेट तैयार कर चुके थे, जिसके खिलाफ मुंह खोलना भी किसी के लिए मुश्किल होता. लेकिन अब एक लड़की के हिम्मत करने की वजह से सारी सच्चाई सामने आ गई है.
बाप-बेटे का पाखंड, बाप बेटे का कलंक, बाप बेटे की शर्मनाक हरकतें तो अब आम हो चुकीं. लेकिन एक मोबाइल फोन में कैद वीडियो और एमएमएस का जखीरा कहीं आम हो गया तो तो पता नहीं बाप-बेटे की रही-सही इज्जत का क्या हश्र होगा.
मोहित भोजवानी का मोबाइल खोलेगा राज
मोहित भोजवानी के पास नारायण साईं की कलंक की कुटिया का एक-एक राज है. पुलिस आसाराम एंड फैमिली के पाप की कड़ियां जोड़ रही हैं. और इसी कड़ी में पुलिस के हाथ लगा है भोजवानी का वो मोबाइल फोन जो बाप-बेटे के लिए किसी बम से नहीं है.
दरअसल भोजवानी के मोबाइल फोन से पुलिस को मिला है ब्लू फिल्मों और अश्लील एमएमएस का वो जखीरा, जिसे देख कर वर्दीवालों का भी माथा घूम गया.
अब सवाल ये है कि एक आध्यात्मिक गुरु यानी नारायण साईं का दायां हाथ माने जानेवाले भोजवानी के मोबाइल फोन में इतने अश्लील क्लिप्स के होने का मतलब क्या हो सकता है? ज़ाहिर है, एक मोबाइल फोन में इतने अश्लील क्लिप्स रखने का मकसद सिर्फ और सिर्फ मौज-मस्ती तो कतई नहीं हो सकता.. और बस, इसी बात ने पुलिस को भोजवानी से इन क्लिप्स से जुड़ा एक-एक सच जानने पर मजबूर कर दिया है.
अब पुलिस ये जानना चाहती है कि कहीं भोजवानी ने ये क्लिप्स नारायण साईं के इशारे पर ही तो अपने मोबाइल में सेव नहीं कर रखे थे. कहीं इन क्लिप्स में नारायण साईं और आसाराम के आश्रमों में रहनेवाली लड़कियों के क्लिप्स भी तो शामिल नहीं हैं, जिनकी मदद से किसी को ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही हो. जाहिर है, इन सवालों का जवाब अगर पुलिस को कोई दे सकता है, तो भोजवानी और नारायण साईं ही हैं. नारायण तो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं हैं, लेकिन भोजवानी को रिमांड पर लेकर पुलिस उससे यही पूछ रही है.
पुलिस को भोजवानी पर शक इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि नारायण साईं पर एफआईआर दर्ज होने से पहले नारायण साईं और भोजवानी को लोकेशन जयपुर आ रही थी, जबकि बलात्कार का मामला दर्ज होते ही नारायण साईं का मोबाइल फोन स्वीच्ड ऑफ हो गया. ऐसे में अब भोजवानी के पकड़े जाने के साथ ही पुलिस को नारायण साईं का सुराग मिलने की भी उम्मीद जगी है.
ठीक 1 महीने और 13 दिन बाद आसाराम जोधपुर जेल से बाहर निकले भी, तो उस हालत में जैसा उन्होंने ख्वाबों में भी नहीं सोचा होगा.
आसाराम ने कभी ख्वाबों में भी ये नहीं सोचा होगा कि जोधपुर से जेल से बाहर निकलने पर उन्हें इस हालत में अपने होम-टाउन अहमदाबाद के लिए रवाना होना होगा.
अहमदाबाद से लेकर जयपुर और जोधपुर से लेकर दिल्ली तक, आसाराम के शागिर्द अलग-अलग पर्चों की शक्ल में ना सिर्फ आसाराम के खिलाफ दर्ज हुए एफआईआर पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि पुलिस और मीडिया पर भी हमले कर रहे हैं. इन पर यकीन करें तो आसाराम के खिलाफ बोलनेवाला हर शख्स या तो किसी साजिश का शिकार है या फिर खुद साजिश का हिस्सा है.
दिल्ली में बांटे जा रहे ऐसे ही एक पर्चे में कहा गया है कि अगर लड़की के साथ आसाराम ने वाकई ज्यादती करने की कोशिश की थी, तो लड़की ने एफआईआर दर्ज करवाने में देर क्यों की? साथ ये भी कहा है कि आसाराम के उपदेशों से जिन्हें नुकसान हो रहा था, उन्होंने ने आसाराम के खिलाफ ये पूरी साजिश रची.