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ओबामा की जान को था 112 मिनट तक खतरा!

खुफिया एजेंसियों को खबर मिली कि 26 जनवेरी को परेड के दौरान आतंकवादी फर्जी आईकार्ड के साथ पुलिस या सेना की वर्दी में राजपथ में घुस सकते हैं. ये हथकंडा आतंकवादी दुनिया के कई मुल्कों में पहले भी आजमा चुके हैं.

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खुफिया एजेंसियों को खबर मिली कि 26 जनवेरी को परेड के दौरान आतंकवादी फर्जी आईकार्ड के साथ पुलिस या सेना की वर्दी में राजपथ में घुस सकते हैं. ये हथकंडा आतंकवादी दुनिया के कई मुल्कों में पहले भी आजमा चुके हैं.

लिहाजा खबर मिलते ही भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स भी चौकन्ने हो गए इसके बाद फैसला हुआ कि सबसे पहले खुद उन सुरक्षाकर्मियों को खंगाला जाएगा जिनकी ड्यूटी राजपथ पर है. कयोंकि उसी राजपथ पर बराक ओबामा खुले आसमान के नीचे 112 मिनट बैठने जा रहे थे.

आज़ाद हिंदुस्तान के इतिहास में राजपथ की सुरक्षा का सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू हो चुका था. परेड शुरू होने में अब बस नौ घंटे बाकी थे. और अब इन्हीं नौ घंटों में सबसे अहम काम होना था। काम, खुद उन सुरक्षा कर्मचारियों और अधिकारियों की सही पहचान का जिनपर राजपथ में परेड के दौरान बराक ओबामा की हिफाजत की जिम्मेदारी थी.

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दरअसल सुरक्षा एजेंसियों के पास पुख्ता खबर थी कि आतंकवादी फर्जी आई-कार्ड और सुरक्षा कर्मचारियों की वर्दी मे राजपथ में घुस सकते हैं. इस खबर के मिलते ही अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के भी कान खड़े हो गए. फौरन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिल कर राजपथ की सुरक्षा के लिए नई प्लानिंग बनी. राजपथ को जाने वाले सारे रास्तों को कुल 13 हिस्सों में बांट दिया गया. इन 13 के 13 रस्तों की एंट्री प्वाइंट पर निगरानी की जिम्मेदारी डीसीपी लेवल के अफसर कर रहे थे. अब इन्हीं 13 प्वाइंट से होकर ही आम लोगों के साथ-साथ सुरक्षा कर्मचारियों को भी राजपथ के अंदर जाना था.

पर राजपथ पर आम लोगों के आने का सिलसिला सुबह पांच बजे के बाद ही शुरू होना था. उससे पहले सुरक्षा कर्मचारियो को अंदर भेजना था ताकि वो अपनी-अपनी पोजीशन ले सकें. लिहाज़ा रात एक बजे से ही दिल्ली पुलिस, एनएसजी और अर्ध सैनिक बलो के सारे जवान और अफसरों को बुला लिय़ा गया. इसके बाद हर एंट्री प्वाइंट पर एक-एक सुरक्षाकर्मी की उसके अफसर और साथियों से पहचान कराई गई. पहचान सही पाए जाने के बाद मौके पर ही उसे सिक्यूरिटी पास दिया गया. दरअसल सिक्यूरिटी पास मौके पर देने का फैसला इसलिए किया गया ताकि उस पास की कोई नकल ना बना सके. इतना ही नहीं जिस मेन मंच के पास ओबामा बैठे थे उसके इर्द-गिर्द की सुरक्षा की जिम्मेदारी में जिन दो हजार लोगों को लगाया गया था उन्हें भी परेड से ऐन पहले उनकी पोजीशन की जानकारी दी गई.

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राजपथ के अंदर एक बार सुरक्षा कर्मचारियों के मोर्चा संभाल लेने के बाद अब बारी थी आम लोगों को अंदर लाने की. सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर पहले ही ये बता दिया गया था कि आम लोग परेड शुरू होने से तीन घंटे पहले ही अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाएं। इसका असर ये हुआ कि सुबह का उजाला होने से पहले भोर के अंधेरे में ही लोग राजपथ पहुंचने शुरू हो गए थे. आम लोगों को भी उन्हीं 13 एंट्री प्वाइंट से राजपथ ले जाया गया. वो भी पूरी तलाशी के बाद.

भीड़ की हरकतों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे के अलावा सेटेलाइट की तस्वीरों से भी मदद ली जा रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय वक्त पर पहंच चुके थे. उन्हें सबसे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अगवानी करनी थी. इसके कुछ मिनट बाद ही राष्ट्रपति का काफिला भी राजपथ पहुंच गया. अब इंतजार था 66वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि यानी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का.

सुबह मौसम खराब था.  रात की बरिश के बाद सुबह भी बूंदाबांदी जारी थी. अमूमन राजपथ पर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति के साथ ही उनकी बग्घी या कार में आते हैं. मगर पहली बार था जब राष्ट्रपति अकेले आए. और मुख्य अतिथि अलग. दरअसल इसकी वजह वही सुरक्षा थी. अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के स्टाफ अपने राष्टपति को किसी और कार में बैठने की इजाजत नहीं देते. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति जब जमीन पर होते हैं तो सिर्फ अपनी कार द बीस्ट में ही बैठते हैं. क्योंकि द बीस्ट ना बम से तबाह हो सकता है ना गोलीबारी का इसपर असर होता है और यहा तक कि रासायनिक हमले से भी ये महफूज रहता है.

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ओबामा इधर परेड का लुत्फ ले रहे थे और उधर हिंदुस्तान और अमेरिका की तमाम खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां अब पूरी तरह से हरकत में थीं. राजपथ की जमीन से लेकर राजपथ के ऊपर के आसमान तक पर सबकी नजरें गड़ी थीं. सेटेलाइट और राडार की मदद से आसमान खंगाले जा रहे थे तो ड्रोन की मदद से आसमान से जमीन नापी जा रही थी। राजपथ से दूर खास तौर पर बनाए गए कंट्रोल रूम में सैकड़ों जवान सीसीटीवी कैमरे के हर फ्रेम पर नजरें गड़ाए थे. राजपथ पर हर 180 मीटर के फासले पर एक सीसीटीवी कैमरा लगा था.

112 मिनटों के दौरान राजपथ पर बराक ओबामा के सामने से कुल 25 झांकियां गुजरीं. इन तमाम झांकियों में शामिल लोगों को भी उसी तलाशी और पहचान की कवायद से गुजरना पड़ा जिससे खुद सुरक्षा कर्मचारी गुजरे थे. और आखिरकार 112 मिनट के बाद जैसे ही 66वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है और ओबामा अपनी उसी द बीस्ट कार में बैठ कर राजपथ छोड़ देते हैं तब जाकर मुकम्मल होता है पिछले दस दिनों को आजाद हिंदुस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा सुरक्षा अभियान

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