दुनिया में न जाने ऐसी कितनी मिसालें हैं जब कद्रदानों ने करोडों रुपये की पेंटिंग्स खरीदीं लेकिन दिल्ली में विदेश से लाई गई तकरीबन 4 करोड़ रुपए की पेटिंग लेने जब उसका एक कद्रदान कूरियर कंपनी की दफ्तर पहुंचा, तो वहां पहले से पुलिसवाले उसका इंतजार कर रहे थे. जानते हैं क्यों? क्योंकि इस पेंटिंग में मौत छुपा कर रखी गई थी.
पेंटिग खरीदने वाला शख्स दिल्ली में इंग्लैंड से आई एक पेंटिंग को रिसीव करने पहुंचा था. लेकिन जैसे ही पेंटिंग उसके हाथ में आयई अचानक उसने खुद को पुलिसवालों से घिरा पाया. दरअसल ये कोई मामूली पेंटिंग नहीं थी. बल्कि इसकी कीमत थी पूरे चार करोड़ रुपए.
दरअसल दुनिया में ड्रग्स की तस्करी करने वालों ने कानून की आंखों में धूल झोंकने के लिए अनेकों तरीके ईजाद कर रखे हैं और आनेवाले दिनों में भी न जाने कितने नए तरीके आने वाले हैं लेकिन इस कड़ी में इस वक्त सुरक्षा एजेंसियों के हाथ ड्रग्स की तस्करी का जो सबसे नया और सबसे चौंकाने वाला तरीका हाथ लगा है, वो अपने आप में जितना खतरनाक है, उतना ही अजीब.
कार्गो प्लेन के जरिए भेजी गई पेंटिंग
दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक यानी इंग्लैंड के हीथ्रो एयरपोर्ट पर एक कार्गो प्लेन हिंदुस्तान के लिए उड़ान भरती है. सामानों से भरे से इस प्लेन में एक छोटी, मगर ऐसी ख़तरनाक चीज़ छुपी है, जिसका इंतजार हिंदुस्तान की पुलिस भी कर रही है. प्लेन तकरीबन 9 घंटे का सफर तय कर हिंदुस्तान की सरजमीं यानी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा.
खुफिया एजेंसियों की निगाहें फ्लाइट पर थीं लेकिन जिस चीज की तलाश उन्हें थी वह हासिल करना आसान नहीं था. अगले कुछ घंटों वो चीज फ्लाइट से निकाल कर एक कूरियर कंपनी के दफ्तर में पहुंचा दी जाती है, लेकिन इससे पहले कि कूरियर कंपनी के लोग उसकी डिलिवरी आगे कर पाते, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के ऑफिसर बीच में आ जाते हैं. छापेमारी कर वो उस चीज को बरामद करते हैं और फिर उसकी डिलिवरी लेने आए शख्स को भी दबोच लेते हैं.
पेंटिंग का कवर टूटा तो खुल गई पोल
ऊपर से देखने पर ये कुछ और नहीं, बल्कि एक खास किस्म की फ्लेक्स पेटिंग लगती है. जिसे देख कर किसी को भी इसके डेकोरेटिव आइटम होने का ही गुमान हो सकता है, लेकिन जब एनसीबी के ऑफिसर इस फ्लेक्स पेंटिंग के साथ लगे लकड़ी के बॉर्डर का ऊपरी कवर तोड़ते हैं, वो हकीकत सामने आ जाती है, जिसकी तलाश में पुलिस लंदन से लेकर दिल्ली तक इस फ्लेक्स पेंटिंग पर निगाहें गड़ाए बैठी है और ये चीज है खतरनाक ड्रग कोकीन. कोकीन की इस खेप की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में तकरीबन 4 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा है.
एक खुफिया सूचना पर ड्रग के धंधेबाजों का पीछा करती हुई नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के अफसर उस कनसाइनटमैंट तक भी पहुंच गए, जिसमें ड्रग छिपा कर इंग्लैड से भिजवाया गया था और उस शख्स तक भी, जो हिंदुस्तान में इस कनसाइनमैंट को रिसीव करनेवाला था. दूसरे लफ्ज़ों में कहें, तो अब तक की कार्रवाई में ये ऑपरेशन बिल्कुल अपने निशाने पर बैठा लग रहा था. लेकिन इस ऑपरेशन की असली कामयाबी इस बात पर ही तय थी कि बरामद कनसाइनमैंट से आखिर कितना और कौन से ड्रग की खेप बरामद होती है.
अंदाजा लगाना भी था मुश्किल
पेंटिंग में काले रंग का बॉर्डर इतना मजबूत और खूबसरत है कि उसे देख कर अंदाजा लगाना भी मुश्किल था कि इसके अंदर कुछ छिपाया भी जा सकता है लेकिन जैसे ही एक स्क्रू ड्राइवर ओर हथौड़े की मदद से इस पैनल को तोड़ा जाता है, अंदर टेप में चिपकी एक सफेद रंग की वो खास चीज़ दिखाई दे जाती है. इस सफेद चीज की एक झलक मानों को एनसीबी के अफसरों के हौसले को दूना कर देती है. उम्मीद के मुताबिक हर पैनल के अंदर से सफेद पाउडर की खेप बरामद होती है. ये सफेद पाउडर कुछ और नहीं बल्कि सुपर फाइन कोकीन की वो खेप है, जिसे त्रिनिदाद एंड टोबैगो से इंग्लैंड के रास्ते यहां तक भिजवाया गया है.
ऐसे सामानों की रहती है तलाश
एनसीबी की मानें तो अब तमाम इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर ऐसी चीजों की जांच पड़ताल बेहद सख्ती से की जाती है, ड्रग्स के धंधेबाज खुद ही अपने साथ ड्रग की खेप ले जाने के बजाय उसे कूरियर के रास्ते एक जगह से दूसरे जगह तक भिजवा देना ही ज़्यादा मुफीद समझते हैं क्योंकि ऐसे में हाथों-हाथ पकड़े जाने का खतरा भी नहीं होता है और माल एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से पहुंच भी जाता है.
जानकारों की मानें तो धंधेबाज हमेशा कैवेटीज यानी छेदवाली चीजों की तलाश में रहते हैं, जिनमें छिपा कर ड्रग एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से भिजवा दिया जाता है. फिर चाहे वो छेद किसी लहंगे की कढ़ाई में, जूते के सोल में या फिर जिस्म के किसी हिस्से में ही क्यों न हो.