दिल्ली का एक पॉश इलाका. रोज शाम की तरह आज भी वहां वह उजली कार खड़ी थी. अंदर तीन दोस्त थें और खाने-पीने की कुछ चीजें. उमस भरी गर्मी से बचने के लिए कार के अंदर एसी चल रहा था. लेकिन लगभग तीन घंटे बाद वहां सबकुछ सामान्य नहीं था. तीन घंटे बाद वहां पुलिस थी, तीन लाशें थी और थे कई सवाल. दिल्ली के आरके पुरम इलाके में कार में लाश की इस अनोखी गुत्थी ने पुलिस की नींद उड़ा दी है.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, हर दिन वह सफेद होंडा सिटी कार इसी जगह आकर रुकती है. कार में सवार तीनों लोग गहरे दोस्त थे. सोमवार को जब कार रूकी तो इंजन और एसी दोनों लगातार ऑन था. कार की पछली खिड़की का एक शीशा थोड़ा सा नीचे गिरा हुआ था. कार की खिड़की के शीशे से अंदर का मंजर साफ दिख रहा था. इसी बीच एक राहगीर कार के करीब से गुजरता है और देखता है कि कार में बैठे तीनों लोग अपनी-अपीन सीटों पर लढ़के पड़े हैं. वह सौ नंबर पर पुलिस को कॉल कर देता है.
रात करीब सवा दस बजे
पुलिस मौके पर पहंचती है और कार का दरवाजा खोल कर जब अंदर देखती है तो एक अजीब सी बदबू आती है. तीनों दोस्तों में से एक ड्राइविंग सीट पर जबकि बाकी दोनों दोस्त पिछली सीट पर बेहोशी की हालत में पड़े थे।.कपड़े और सीट पर उलटियां पड़ी थीं. पुलिस फौरन उसी कार को लेकर तीनों को एम्स ले जाती है. पहुंचने के बाद पता चलता है कि तीनों की मौत हो चुकी है.
सरेशाम सरे राह सड़क किनारे खड़ी कार में एक साथ तीन-तीन मौत की खबर से दल्ली पुलिस में हड़कंप मच जाता है. फौरन कार के रजिस्ट्रेशन और कार से बरामद मोबाइल फोन से तीनों की पहचान की कोशिश की जाती है. पता चलता है कि मरने वाले तीनों दोस्तों के नाम लक्ष्मण, बलविंदर और निशांत है. पुलिस तीनों के घर वालों को खबर करती है. घरवाले सामने आते हैं तो पता चलता है कि तीनों बरसों पुराने गहरे दोस्त थे. रोजाना साथ का उठना-बैठना था. यहां तक कि तीनों साथ ही बिजनेस भी करते थे.
आखिर क्या हो रहा था कार के अंदर?
अब परेशान करने वाला सवाल यह कि आखिर तीन घंटे के अंदर ऐसा क्या हुआ कि कार में बैठे-बैठे ही तीनों की नौत हो गई? क्या खड़ी कार और बंद शीशे में चलती एसी से बनी जहरीली गैस ने जान ली? क्या जहरीले खाने की वजह से मौत हुई? या किसी ने तीनों को जहर दे दिया? या फिर जाने-अनजाने में ली या दी गई ड्रग्स बनी मौत की वजह?
मौत से जुड़े सवाल तो कई हैं पर पुलिस की मानें तो मौत की असली वजह इन्हीं चार में से कोई एक है. दिल्ली में खास तौर पर रात के वक्त किसी सुनसान सड़क के किनारे कार खड़ी कर गप्पें मारना आम बात है. कई इलाकों में तो हर रात बाकायदा सड़क किनारे कार-ओ-बार भी होता है. यानी कार को ही बार बनाकर लोग शुरू हो जाते हैं. लेकिन बकौल घर वाले तीनों शराब नहीं पीते थे। फिर तीन घंटे तक तीनों कार में क्या कर रहे थे?
ऐसा कई बार हुआ है जब खड़ी कार में एसी ऑन होने की वजह से कार के अंदर कार्बन मोनोक्साइड गैस बन गई और उस गैस ने धीरे-धीरे कार में बैठे लोगों को बहोश कर उनकी जान ले ली. लेकिन यहां मामला थोड़ा अलग है. चश्मदीदों और पुलिस की मानें तो कार की खिड़कियों के शीशें कुछ नीचे गिरे हए थे. जाहिर है एसी की वजह से कार के अंदर कार्बन मोनोक्साइड गैस नहीं बन सकती. यानी कम से कम इस वजह से तीनों की मौत कतई नहीं हो सकती.
क्या जहरीला था खाना?
कार के अंदर से पुलिस को कुछ बचे हुए प्याज और चटनी मिले हैं. मतलब साफ है कि तीनों कार के अंदर कुछ खा रहे थे. इसके साथ ही तीनों के कपड़े और उनकी सीट पर उलटियों के भी निशान हैं. पहली नजर में इन सारी चीजों को जोड़ कर देखने से यही लगता है कि तीनों ने कुछ ऐसी चीजें खाई हैं जिनसे उन्हें उलटियां हुईं और फिर उनकी मौत. लेकिन अगर वो खाना जहरीला होता तो फिर जहां से भी वो खाना उन्होंने लिया था उसे और लोगों ने भी खाया होगा. मगर इन तीन के अलावा और किसी की ऐसी मौत की खबर अब तक नहीं मिली है.
इसके अलावा फूड प्वाइजनिंज के मामले में अक्सर देखा गया है कि एक से ज्यादा लोग अगर एक साथ जहरीला खाना खा भी लेते हैं तो किसी पर उसका ज्यादा असर होता है किसी पर कम. लेकिन यहां तीनों की मौत लगभग एक साथ होती है. यानी मौत की वजह को लेकर इस दूसरे सवाल पर भी सवाल खड़ा होता है. तीनों दोस्तों की लाशों का पोस्टमार्टम हो चुका है. मगर रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. हालांकि शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस यही मान कर चल रही है कि मौत की असली वजह प्वाइजनिंग ही है.
क्या किसी ने उन्हें जहर दिया?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक फिलहाल वो इस पहलू से भी जांच कर रही है कि कहीं तीनों को जानबूझ कर किसी ने जहर तो नहीं दिया. तीनों के घरवालों ने भी यही शक जताया है कि किसी ने दुश्मनी में उन्हें जहर दे दिया. रश्तेदारों ने पुलिस को बताया है कि सोमवार शाम घर से निकलते वक्त निशांत के पास 60 हजार रुपये और लक्ष्मण के पास 90 हजार रुपये कैश थे. ये रुपए उन्हें किसी को देने थे. लेकिन पुलिस को कार से सिर्फ आठ हजार रुपये मिले हैं. हलांकि तीनों के फोन और क्रेडिट कर्ड पर्स वगैरह सब सलामत थे.
अब सवाल ये है कि क्या तीनों की किसी से दुश्मनी थी? और उसी दुश्मनी में तीनों की जान ले ली गई. हालांकि उन तीन घंटों के दौरान कार में किसी चौथे शख्स की मौजूदगी के कोई सबूत नहीं मिले हैं. फिर तीनों के घर वालों को भी नहीं पता कि उनकी किसी से दुश्मनी थी. अब दुश्मनी भी नहीं तो फिर कैसे मौत हुई? आखिर क्या हो सकती है मौत की वजह?
कहीं ड्रग्स तो नहीं मौत की वजह?
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जहर के अलावा वो इस पहलू से भी मामले की जांच कर रही है कि कहीं जाने अनजाने में तीनों ने कोई ऐसी ड्रग्स तो नहीं ले ली या उन्हें दे दी गई जो बाद में जहर बन गया हो. हलांकि कार के अंदर या तीनों के पास से ऐसी कोई चीज नहीं मिली है. यहां तक कि तीनों के घर वालों का कहना है कि वो तो शराब भी नहीं पीते थे. जाहिर है ड्रग्स के सवाल पर से भी पर्दा तभी हट सकता है जब विसरा रिपोर्ट आ जाए.
दस वर्षों से थी दोस्ती
बलविंदर, निशांत और लक्ष्मण पिछले करीब दस सालों से गहरे दोस्त थे. तीनों साथ मिलकर इवेंट् मेनेजेटमेंट का काम भी करते थे. बलविंदर का तीन साल का एक बेटा भी है. दूसरा दोस्त निशांत के पिता की पहले ही मौत हो चुकी है. परिवार में अब सिर्फ उसकी मां बची है, जबकि लक्ष्मण के दो बच्चे हैं. लक्ष्मण डीजे का भी काम करता था.