एक ऐसी खामोश मौत, जिसकी दहशत फिलहाल मुंबई तक ही थी, लेकिन ये खामोश मौत दबे पांव आपके शहर में भी दस्तक दे चुकी है. कुछ लोग इसे मौत की म्याऊं भी कहते हैं.
मंबई के बाद दिल्ली की फिजाओं में आजकल मौत की एक अजीब सी कश हवा में छल्ले बना रही है. अजीब इसलिए क्योंकि बस इसके दो कश ही काफी हैं किसी को भी अपना गुलाम बनान के लिए और 25 से 30 डोज काफी हैं जान लेने के लिए. मगर दिल्ली की नौजवान पीढ़ी इस नई मौत से शायद अभी अनजान है.
इस खामोश मौत का नाम है म्याऊं-म्याऊं और नशे के सौदागर पिछले कुछ महीनों से धड़ल्ले से मौत की इसका कारोबार दिल्ली में चला रहे थे. 27 मई को दिल्ली पुलिस को खबर मिली कि शुभम और प्रभात नाम के दो छात्र मादक पदार्थ की तस्करी कर रहे हैं. खबर मिलते ही पुलिस टीम ने दोनों को रोहिणी के जापानी पार्क से गिरफ्तार कर लिया. दोनों से पूछताछ पर पता चला कि उन्हें नशे के इस कारोबार में पीतपपुरा के रहने वाले तपन ने धकेला था.
दरअसल शुभम और प्रभात दोनों को नशे की लत थी और वो अक्सर तपन से एमफेटामाइन और मेफीड्रोन नाम की ड्रग्स खरीदा करते थे, लेकिन काफी वक्त से दोनों उसे पैसे नहीं दे पा रहे थे और तपन का उधार चुकाने और अपनी नशे की लत को पूरे करने के लिए एमबीए की पढ़ाई करने वाले छात्र ड्रग पैडलर बन गए.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस को म्याऊं-म्याऊं के इस रैकेट के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है. हालांकि, अभी तक की तफ्तीश में ये बात जरूर सामने आई है कि एक नेपाली शख्स दिल्ली में नशे का ये नया कारोबार चला रहा है.
दिल्ली अभी पूरी तरह से मौत की म्याऊं की गिरफ्त में नहीं आई है.लेकिन ये नशा मुम्बई में अपनी जड़ें जमा चुका है. ये आतंकवाद बेशक नहीं लेकिन किसी भी हाल में इसकी दहशत आतंकवाद से कम भी नहीं. ये दरअसल एक ऐसी लत है जो आहिस्ता-आहिस्ता पहले नसों में उतर कर इंसान को अपनी गिरफ्त में लेती है और फिर उसे पूरी तरह तबाह कर देती है.
क्या है म्याऊं
म्याऊं ड्रग?
मेफोड्रोन नाम की इस ड्रग को मुंबई की पार्टियों में म्याऊं के नाम से
पुकारा जाता है और आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कोकीन के
मुकाबले 20 गुना सस्ती ये ड्रग बहुत तेजी से अपना असर दिखाती है.
पिछले एक साल के भीतर इस ड्रग ने करीब एक लाख लोगों को अपनी
चपेट में ले लिया है. चौकाने वाली बात ये है कि ये आंकड़ा सिर्फ मुंबई
का है.