दिल्ली के ट्रिपल मर्डर की वह पहेली आपको याद होगी, जिसमें कातिल वारदात के बाद जाते-जाते घर के बाहर घर का ही ताला लगाकर चला जाता है. फ्लैट में एक महिला और दो बच्चों की लाश तब सामने आती है, जब महिला का पति और घर का मालिक काफी मशक्कत के बाद घर में दाखिल होता है. ठीक आठ दिन अब ट्रिपल मर्डर की वो पहेली सुलझ गई है क्योंकि ताला खुलते ही असली कातिल सामने आ गया है.
सोमवार, 1 जून 2015
दिल्ली के उत्तम नगर में हुई 34 साल की एक महिला और उसके दो मासूम बच्चों के कत्ल की ये वारदात पहले ही दिन से सबको उलझा रही थी. वजह ये कि कस्टम इंस्पेक्टर अमित कुमार के पूरे परिवार को यूं दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारने के बाद कातिल ने घर के दरवाजे पर उन्हीं के घर का ताला लगा दिया था. लेकिन कातिल की इसी हरकत ने पुलिस को सुराग दे दिया कि हो ना हो कत्ल के पीछे परिवार के किसी करीबी का हाथ जरूर है.
पुलिस की रडार पर अब हर वो शख्स था, जो इस परिवार से जुड़ा था या फिर इस परिवार को करीब से जानता था. पुलिस तमाम लोगों से पूछताछ कर थक चुकी थी. लेकिन कातिल का कोई ओर-छोर भी नजर नहीं आ रहा था. मगर इस बार कातिल ने एक ऐसी गलती की जिसने पुलिस के साथ-साथ इस परिवार को जाननेवाले हर शख्स के मन में एक शक पैदा कर दिया .
दिल्ली से 193 किलोमीटर दूर अमित कुमार के पुश्तैनी घर सहारनपुर में इस रोज वारदात का शिकार बनी अमित की पत्नी 34 साल की दीपमाला, 9 साल का बेटा सक्षम और 6 साल की बेटी वैष्णवी का अंतिम संस्कार किया जा रहा था. गम और गुस्से की इस घड़ी में इस परिवार का हर शख्स वहां मौजूद था. सिवाय एक शख्स के और ये शख्स था, दीपमाला की छोटी बहन माला का पति और जूतों का काम करनेवाला 26 साल का दीपक.
गैरमौजूदगी ने खड़े किए सवाल
आम लोगों के लिए ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी. लेकिन कत्ल के बाद हर किसी को शक की निगाह से देख रही पुलिस के लिए ये जरूर एक चौंकानेवाली बात थी. सवाल ये था कि आखिर दीपक तीनों के अंतिम संस्कार में क्यों नहीं पहुंचा? जबकि वो कहीं दूर नहीं, सहारनपुर में ही रहता था. पहले तो पुलिस ने खामोशी से इस बात का पता लगाने की कोशिश की और बाद में घरवालों से दरयाफ्त भी किया. लेकिन दीपक की रहस्यमई गैरहाजिरी के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं था.
फिर तकरीबन 16 घंटे बाद
पुलिस को एक ऐसी बात पता चली, जिसने उसके पैरों तले जमीन खिसका दी. दीपक की मौत हो चुकी थी. जी हां, उस दीपक की जो रिश्ते में ट्रिपल मर्डर का शिकार बनी दीपमाला का बहनोई था और जो दीपक अचानक इस मुश्किल घड़ी में पूरे परिवार बीच से लापता हो चुका था. दीपक की लाश सहारनपुर-अंबाला रेलवे लाइन पर पड़ी हुई मिली और लाश को देखकर लग रहा था कि उसने किसी ट्रेन के सामने आकर खुदकुशी कर ली थी.
अब पुलिस तो क्या, खुद उसके घरवालों को भी ये लगने लगा कि हो ना हो दीपक अपनी बड़ी साली दीपमाला और उसके दो बच्चों के कत्ल के बारे में जरूर कुछ ना कुछ जानता था. इसी बीच पुलिस को दीपक से जुड़ा एक ऐसा सुराग हाथ लगा, जिसने ना सिर्फ दीपक का बल्कि दिल्ली के उत्तमनगर में हुए ट्रिपल मर्डर का राज भी खोल दिया.
ऊपरी तौर पर ये लग रहा था कि शायद दीपक की मौत के साथ ही दीपमाला और उसके दो मासूम बच्चों के कत्ल का ये मामला हमेशा-हमेशा के लिए एक राज बनकर रह जाएगा. लेकिन सच जानने के लिए पुलिस अंदर ही अंदर तफ्तीश में लगी थी. इस कड़ी में पुलिस ने सबसे पहले दीपक के मोबाइल फोन की सीडीआर यानी कॉल डिटेल की जांच करने का फैसला किया और तब पुलिस का ध्यान दो ऐसे नंबरों पर गया, जिनसे दीपक ने हाल के दिनों में कुछ ज्यादा ही बात की थी. इसी बीच पुलिस ने ये भी देखा कि ट्रिपल मर्डर के कुछ देर बाद भी दीपक ने अपने मोबाइल फोन से दिल्ली से सहारनपुर में किसी कॉल किया था. यानी एक बात साफ थी कि वारदात के वक्त दीपक दिल्ली में ही था.
दीपक को दी गई थी धमकी
पुलिस ने जब सहारनपुर में रहनेवाले इन दो नौजवानों से पूछताछ की तो दोनों ने ना सिर्फ दिल्ली में हुए दहलाने वाले ट्रिपल मर्डर का हर राज खोल दिया बल्कि ये भी बताया कि किस तरह सोमवार 1 जून को इस वारदात को अंजाम दिया गया. पुलिस ने इस मामले में बेशक दीपक के इन दोनों दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन खुद पुलिस की मानें तो इस वारदात को दीपक ने अकेले ही अंजाम दिया था और इस ट्रिपल मर्डर की वजह थी, दीपक की बड़ी साली दीपमाला का दीपक के साथ किया जाने वाला सुलूक और उसे दी गई धमकी.
बकौल पुलिस, 'दीपमाला के बहनोई दीपक की किसी लड़की से नाजायज रिश्ते थे और दीपमाला इसे लेकर दीपक को ना सिर्फ हमेशा टोका करती थी बल्कि अक्सर उसे बुरे अंजाम की धमकी भी देती थी. यहां तक कि वारदात से महज एक रोज पहले दीपमाला ने उसे अपनी हरकतों से बाज नहीं आने पर पुलिस से गिरफ्तार करवा देने की धमकी दी थी. बस इतनी सी बात पर दीपक इतना खफा हुआ कि उसने दीपमाला को मौत के घाट उतारने की साजिश रच ली और हथियार लेकर सहारनपुर से दिल्ली आ पहुंचा.
आगे पढ़ें, किसने मारा दीपक को, कैसे हुई उसकी मौत... {mospagebreak}दिल्ली पहुंचने के बाद दीपक ने अपने इरादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जो कुछ किया, उसे सुनकर किसी के भी रौंगटे खड़े हो सकते हैं. वो सीधे दीपमाला के घर जा पहुंचा. यहां दीपमाला ने उसे घर में बिठाया और चाय भी पूछा. लेकिन पहले तो उसने दीपमाला की जान ली और जब उसके छोटे-छोटे बच्चों ने अपने मौसा को अपनी ही मां का कत्ल कर देखा तो उनका मुंह बंद करवाने के लिए दीपक ने एक-एक कर दोनों बच्चों का भी कत्ल कर दिया.
क्या हुआ था उस शाम
सोमवार 1 जून की शाम पूरी वारदात को साढ़े चार बजे से साढ़े पांच बजे के बीच अंजाम दिया गया. दीपमाला अपने बहनोई को जानती थी इसलिए उसने दीपक के दरवाजा खोल दिया और चाय बनाने चली गई. इसी बीच दीपक ने पहले तो पीछे से जाकर दीपमाला को बेडरूम तक खींच लाया और फिर अपने साथ लाए चमड़ा काटने वाले एक चाकू से उसकी गला रेत कर जान ले ली और फिर राज खुलने के डर से दोनों बच्चों को भी बाथरूम में ले जाकर उनकी एक-एक कर उसी चाकू से गला काट कर जान ले ली. अब घर में तीन लाशें पड़ी थीं. लेकिन जाते-जाते पुलिस को उलझाने और दुनिया को धोखा देने के लिए दीपक ने दीपमाला के टॉप्स और चेन समेत कुछ जेवर और रुपए चुरा लिए और घर में बाहर से ताला लगा दिया.
इसके फौरन बाद उसने अपने दोस्त राजेश को फोन किया और बताया कि उसने दिल्ली में कोई बड़ा काम किया है. पुलिस की मानें तो तब तक राजेश को इस बात का अहसास नहीं था कि उसके दोस्त दीपक ने दिल्ली में ट्रिपल मर्डर जैसी किसी वारदात को अंजाम दिया है. दीपक के दोस्तों ने ना तो ट्रिपल मर्डर की साजिश रची और ना ही वारदात को अंजाम दिया. लेकिन फिर भी उसकी मौत के बाद पुलिस ने उसके दो दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया.
राज छुपाने की कवायद
दिल्ली में अपनी ही पत्नी की बड़ी बहन और उसके दो मासूम बच्चों की जान लेकर दीपक अब सहारनपुर पहुंच चुका था. यहां उसके पास दो काम था. एक तो अपने सीने में दफ्न कत्ल के राज को हमेशा-हमेशा के लिए सबसे छुपाए रखे और दूसरा दिल्ली में दीपमाला के घर से लूटे गए जेवरातों का सौदा करना. लेकिन इन दो कामों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसने सबसे पहले जिसके सामने अपना दिल खोल कर रख दिया वो था उसका दोस्त राजेश और दूसरा गुलशन.
पुलिस की मानें तो दीपक ने अपने इन दोनों ही दोस्तों को कत्ल की इस दहलानेवाली वारदात के बारे में तफ्तील से बताया और दिल्ली से लूटे गए जेवर और रुपयों का एक हिस्सा भी दिया. लेकिन दोनों ने पुलिस और कानून का साथ देने की बजाय चुप रहना ठीक समझा और कुछ जेवर छिपा भी लिए. इसके बाद दीपक ने अपने इन्हीं दोस्तों की मदद से एक सुनार से बात की और जेवर बेचकर तकरीबन 4 हजार रुपये भी हासिल किए. लेकिन जब दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए दीपक को बुलाया तो वो घबरा गया और जब से उसे लगा कि अब पुलिस और घरवालों से बचने का उसके पास कोई रास्ता नहीं है तो उसने ट्रेन के सामने कूद कर खुदकुशी कर ली.
दीपक अब इस दुनिया में नहीं है. जबकि पुलिस ने उसके दोनों दोस्तों को कातिल का साथ देने के इल्जाम में गिरफ्तार किया है. हालांकि दिल्ली पुलिस का ये भी कहना है कि चूंकि उस रोज वारदात के वक्त उस फ्लैट में मौजूद सभी के सभी चारों लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं इसलिए पूरे वाकये की सटीक सिलसिलेवार तस्वीर अब शायद ही कभी सामने आ पाए.