उरी हमले के बाद से ही हिंदुस्तान के दिल में लगा जो ज़ख्म लगातार रिस रहा था पूरे दस रोज़ बाद जाकर उस पर ठंडक पड़ी. बस, एक सर्जिकल स्ट्राइक और एक ही झटके में 38 दहशतगर्दों समेत चालीस से ज़्यादा दुश्मन हलाक. इस कार्रवाई से अगर हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है, तो इसने हुकूमत से आवाम की उम्मीदें कहीं और ज़्यादा बढ़ा दी हैं. उम्मीद ये कि अब बाकी के दुश्मन बाकी नहीं बचेंगे.
लेकिन ये सर्जिकल स्ट्राइक तो बस एक शुरुआत है. क्योंकि अभी तो दुश्मन के साए में बहुत से रक्तबीज लगातार फल-फूल रहे हैं. फिर चाहे वो दाऊद इब्राहिम हो, हाफ़िज़ सईद या फिर मसूद अज़हर. तारीख़ गवाह है कि तीन चेहरों ने हिंदुस्तान को एक नहीं, बल्कि दसियों बार ख़ून के आंसू रुलाए हैं. फिर चाहे वो 1993 में हुआ मुंबई अटैक हो या फिर इसी साल हुआ सबसे ताज़ा उरी अटैक. लेकिन अब वक़्त आ गया है, इनके गुनाहों का हिसाब करने का.
सबूत बताते हैं कि ये सभी के सभी अब भी पाकिस्तान में ही छिपे बैठे हैं. दाऊद का सबसे हालिया पता कराची के ही क्लिफ्टन इलाक़े में मौजूद डी-13 नाम का बंगला है. ठीक इसी तरह हाफ़िज़ सईद भी पाकिस्तान के ही मुरीदके इलाक़े में रह कर अलग-अलग नामों से दहशत की दुकान चलाता है. जबकि बहावलपुर में मदरसों के नाम पर हिंदुस्तान का दुश्मन नंबर तीन यानी मसूद अज़हर दहशतगर्दी की दुकान चला रहा है.
जैसे आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी नेवी सील ने उसके घर में घुस कर मारा था. वो दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान भी ऐसा ही ऑपरेशन अंजाम देगा और निशाने पर कोई और नहीं बल्कि होंगे हिंदुस्तान के दुश्मन नंबर एक, दो और तीन यानी दाऊद इब्राहिम, हाफ़िज़ सईद और मसूद अज़हर. वैसे तो ये तीनों बहुत पहले से ही हिंदुस्तानी एजेंसियों की रडार पर हैं. लेकिन मौजूदा सरकार ने जिस तरह पाकिस्तानी करतूतों की ईंट का जवाब पत्थरों से दिया है, उससे लोगों को भी ये उम्मीद बंधने लगी है कि आज नहीं तो कल, हिंदुस्तान के इन तीनों दुश्मनों का हश्र भी वही होगा, जो कभी ओसामा बिन लादेन का हुआ था.
1993 का मुंबई धमाका, यानी पहला ऐसा आतंकवादी हमला, जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 23 सालों में ये सिलसिला लगातार जारी है. ना जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए. पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ. दरअसल पाकिस्तान को आतंक का अड्डा बनाने वालों में वहां की सरकार से ज्यादा फौज और आईएसआई का हाथ रहा है.