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इंसाफ के लिए अदालत की चौखट पर जहर खा कर दी जान

एक महिला दिल्ली की एक अदालत की दहलीज पर जाकर अपनी जान दे दती है. इस फरियाद के साथ कि मुझे इंसाफ चाहिए. क्या मिलेगा? अब वो तो जान देकर चली गई. लेकिन उसका सवाल अब भी अपनी जगह कायम है. सितम ये देखिए कि जिनके कंधों पर इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी है वो खुद ही मुल्जिम के कटघरे में खड़े है.

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30 अप्रैल को रेखा ने की थी आत्महत्या
30 अप्रैल को रेखा ने की थी आत्महत्या

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एक महिला दिल्ली की एक अदालत की दहलीज पर जाकर अपनी जान दे दती है. इस फरियाद के साथ कि मुझे इंसाफ चाहिए. क्या मिलेगा? अब वो तो जान देकर चली गई. लेकिन उसका सवाल अब भी अपनी जगह कायम है. सितम ये देखिए कि जिनके कंधों पर इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी है वो खुद ही मुल्जिम के कटघरे में खड़े है.

हाथ बेकार क्योंकि गठिया ने बीमार किया. घर में खाकी वर्दी के सवालों ने बलत्कार किया. थाने में कानून ने आबरू तार-तार किया. और घर, थाने के बाहर खाकी वर्दी ने जीना दुश्वार किया. बस इसीलिए कोई और जगह नहीं मिली तो इसने कानून की चौखट पर ही खुद की कहानी खत्म कर ली. ठीक इंसाफ की ड्यौढ़ी पर अपनी इस आखिरी ख्वाहिश के साथ. मुझे इंसाफ चाहिए. क्या मिलेगा?

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दिल्ली पुलिस की काली हकीकत का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें दिल्ली पुलिस का एक इस्पेक्टर जो कि दिल्ली पुलिस के एक थाने का एसएचओ यानी मालिक भी है एक केस के सिलसिले में एक महिला से पूछताछ कर रहा है. जी हां. एक महिला से एक पुरुष इंस्पेक्टर ने ये तमाम सवाल पूछे. कानून की डिक्शनरी यानी आईपीसी-सीआरपीसी की तमाम धाराओं को अपनी जेब में रख कर. ये तो खुद उस इंस्पेक्टर की अपनी ही करतूत वीडियो की शक्ल में सामने आ गई तो हमें और आपको पता भी चल गया. इस वीडियो से बाहर इस महिला ने पूरे दस महीने कैसे काटे ये तो हमें पता ही नहीं. पर हां जिस तरह से इसने दिल्ली की तीस हजारी अदालत की चौखट पर जाकर अपनी जान दी उससे इतना तो अंदाजा लगा ही सकते हैं कि दिल्ली पुलिस के इस इंस्पेक्टर की दरिंदगी झेल कर जीने से कहीं ज्यादा आसान इसे मरना लगा.

30 अप्रैल को रेखा ने दी थी जान
यूं तो ये कहानी 30 अप्रैल को तब सामने आई, जब रेखा दिल्ली की तीस हजारी अदालत की दहलीज पर जहर खा कर अपनी जान दे दी. मगर इस कहानी की शुरुआत उससे भी दस महीने पहले हो चुकी थी. कहनी एक इंस्पेक्टर के वर्दी की रौब की. कहानी एक इंस्पेक्टर का खुद को कानून से बड़ा मानने की और कहानी एक औरत से एक पुलिस अफसर की ऐसी घटिया पूछताछ की कि वो मरने को मजबूर हो गई.

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30 अप्रैल को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के गेट नंबर दो के करीब अचानक अफरातफरी मच गई. दरअसल एक लड़की गश खा कर गिर पड़ी थी. उसके मुंह से झाग निकल रहा था. फौरन लोगों की मदद से पुलिस ने उसे पास के ही अरुणा असफ अली अस्पताल ले गई. लेकिन तब तक वो मर चुकी थी. उसने जहर खा लिया था. लड़की के बैग से एक सुसाइड नोट मिला.

बस इसी सुसाइड नोट के सामने आते ही अब तमाम निगाहें विजय विहार थाने के एसएचओ दिनेश कुमार की तरफ उठ गई हैं. चौबीस घंटे के अंदर-अंदर इंस्पेक्टर दिनेश कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया गया. फिर शुरुआती तफ्तीश के बाद अगले 48 घंटे के अंदर ही उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया. लेकिन अभी इंस्पेक्टर दिनेश कुमार का असली चेहरा सामने आना बाकी था.

दरअसल खुदकुशी करने से पहले यानी 30 अप्रैल को रेखा उर्फ तानू नाम की ये महिला जिसका एक हाथ गठिया की बीमारी की वजह से काम नहीं कर रहा था, तीस हज़ारी कोर्ट एक वकील से मिलने गई थी. इंस्पेक्टर दिनेश कुमार के खिलाफ शिकायत करने. उस शिकायत को वो अदालत के साथ-साथ राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक भेजना चाहती थी. लेकिन वकील का जवाब सुन कर वो नाउम्मीद हो गई. इसी के बाद उसने अदालत की चौखट पर ही जहर खा कर जान दे दी.

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पहले भी लिखा चुकी थी रिपोर्ट
मगर मरने से पहले रेखा ने जो सुसाइड नोट लिखा उससे पुलिस को सच्चाई पता चल गई. जांच में पता चला कि रेखा इससे पहले भी पुलिस में रिपोर्ट लिखा चुकी थी. इतना ही दौरान जांच के दौरान पुलिस के हाथ इंस्पेक्टर दनेश कुमार के मोबाइल में शूट वो वीडियो भी मिल गया जो उसने पूछताछ के दौरान खुद ही शूट किया था. इसके बाद इंस्पेक्टर दिनेश कुमार फिर रेखा के पास पहुंचा. उससे दोबारा पूछताछ की. और फिर सब कुछ रिकॉर्ड किया. दस महीने इंस्पेक्टर रेखा को इसी तरह लगातार तंग कर रहा था. यहां तक कि उसे कई बार टॉर्चर भी किया. और इसी वजह से रेखा ने अपनी जान दे दी.

महिला को थाने बुला कर नहीं कर सकते पूछताछ
कानून साफ-साफ कहता है कि किसी महिला को थाने बुला कर पूछताछ नहीं कर सकते. न ही शाम छह बजे के बाद किसी महिला से पूछताछ की जा सकती है. मगर रेखा के मामले में दिल्ली पुलिस ने सारे कानून ताक पर रख दिए. दिल्ली जैसे शहर में एक इंस्पेक्टर सरेआम दिन-रात कभी भी किसी वक्त एक घर में घुसता है. घर वालों को धमकाता है. झूठे केस बनाता है.

पुरुष होकर अकेले महिलाओं से पूछताछ करता है. वो भी अश्लील तरीके से. और ये सब कुछ तब जबकि बाकायदा कानून ये कहता है कि महिला से पूछताछ बिना महिला पुलिस अफसर की मौजूदगी के नहीं होना चाहिए. सीआरपीसी यानी क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट की धारा 160 बाकायदा इसी के लिए है. इंस्पेक्टर दिनेश कमार सिर्फ रेखा के घर में ही नहीं बल्कि इलाके के बहुत से और लोगों को भी धमकाता रहता था.

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अब देखना ये है कि जीते जी जो इंसाफ रेखा को नहीं मिल पाया क्या मरने के बाद वो उसे मिलेगा? गिरफ्तारी के बाद इंस्पेक्टर दिनेश कुमार को सोमवार को जमानत भी मिल गई.

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