उस वक्त प्लेन की रफ्तार थी सात सौ किलोमीटर प्रति घंटा. इसी रफ्तार से वो 38 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे आ रहा था. पर कुछ इस तरह कि ना प्लेन को झटका लग रहा था और ना ही मुसाफिरों को कोई शक.
कॉकपिट के बाहर मौजूद मेन पायलट को बात समझ में आ गई थी कि प्लेन तेजी से नीचे जा रहा है . सिर्फ 11 मिनट मिले थे को-पायलट आंद्रेस लुबित्ज को और इन 11 मिनटों में ही उसने प्लेन को ऐसा कंट्रोल किया कि 150 मुसाफिरों के साथ उसके परखच्चे उड़ा दिए. विमान के ब्लैक बॉक्स की जांच पूरी होने के बाद जर्मन अधिकारियों ने पहली बार विमान के अंदर आखिरी 11 मिनट की बातचीत और आखिरी 11 मिनट की पूरी कहानी जारी की है. इसी बातचीत से पहली बार ये खुलासा हुआ कि जब जर्मनविंग्स का विमान 150 मुसाफिरों के साथ एल्पस के पहाड़ से टकराया तब उसकी स्पीड 700 किलोमीटर प्रति घंटा की थी.
ब्लैक बाक्स की कुछ आवाज और चीखें तो रौगटे खड़े कर देने वाली हैं. खासकर आखिरी पांच मिनट. वो आखिरी पांच मिनट जब मुसाफिरों को खिड़कियों के बाहर देखने के बाद अहसास हुआ कि विमान तेजी से नीचे की तरफ जा रहा है. इसके बाद पूरे विमान में बस चीख-पुकार की ही आवाज गूंजने लगी और ये आवाज तब थमी जब सबसे पहले विमान का दाहिना विंग एल्पस के पहाड़ से टकराया और एक जोरदार धमाके की आवाज आई.
बार्सिलोना से उड़े विमान को अब तक दो घंटे हो चुके थे. विमान समय पर था और आधे घंटे बाद उसे अपनी मंजिल पर लैंड करना था. कुछ देर पहले ही पायलट कैप्टन पैट्रिक ये घोषणा भी कर चुका था कि विमान किस ऊंचाई पर उड़ रहा है और आगे मौसम कैसा है? अब बस कुछ देर बाद लैंडिंग की तैयारी करनी थी.
10:29 मिनट
लैंडिंग से पहले मेन पायलट कैप्टन पैट्रिक टॉयलेट जाने के लिए उठता है. विमान अभी ऑटो पायलट मोड पर था. कैप्टन पैट्रिक कॉकपिट छोड़ने से पहले अपने को-पायलट आंद्रेज को चार्ज सौंप देता है और वॉशरूम जाने के लिए कॉकपिट से बाहर निकल जाता है.
10:30 मिनट
पायलट के बाहर निकलते ही आंद्रेज फौरन कॉकपिट का दरवाजा अंदर से मैनुअली लॉक कर देता है. इसके बाद विमान को 38 हजार फीट से सीधे 100 फीट की ऊंचाई पर लाने के लिए ऑटो-पायलट मोड को चैंज कर देता है. इससे विमान अचानक नहीं बल्कि एक तय रफ्तार से नीचे आने लगती है और मुसाफिरों को झटका भी नहीं लगता.
10:31 मिनट
एयरबस को तेजी से नीचे आता देखकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल हवाई जहाज से संपर्क करने की कोशिश करती है. फौरन संदेश देती है. लेकिन कॉकपिट से कोई जवाब नहीं मिलता.
10:32 मिनट
पायलट कैप्टन पैट्रिक को वॉशरूम में ही अंदाजा हो जाता है कि विमान नीचे की तरफ जा रहा है. वो फौरन बाहर आता है और कॉकपिट का दरवाजा खोलने के लिए पासवर्ड डालता है. मगर हैरतअंजेग तौर पर दरवाजा नहीं खुलता. इसके बाद पायलट दरवाजा खटखटाता है. पर अंदर से कोई आवाज नहीं आती.
10:33 मिनट
अब पायलट पहली बार किसी अनहोनी से घबराता है और बदहवासी में जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगता है. पर अंदर से अब भी कोई आवाज नहीं आती.
10:34 मिनट
अब प्लेन के बाकी क्रू मेंबर्स भी कॉकपिट के पास पहुंच जाते हैं. सभी को-पायलट को आवाज देते हैं. पर अंदर अब भी खामोशी है.
10:35 मिनट
पायलट और क्रू मेंबर्स को कॉकपिट का दरवाजा पीटते और चीखते-चिल्लाते देख अब पहली बार मुसाफिरों को सच्चाई पता चलती है. सच्चाई ये कि को-पालट ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया है और प्लेन तेजी से नीचे की तरफ जा रहा है. पूरे विमान में दहशत फैल जाती है और हर मुसाफिर रोने-चीखने लगता है.
अब तक छह मिनट बीत चुके थे. मगर ना तो कॉकपिट का दरवाजा खुला और ना ही प्लेन का नीचे जाना रुका. पर इन छह मिनटों में जो सबसे बुरा हुआ वो ये कि अब विमान में सवार मुसाफिरों को पता चल चुका था कि को-पायलट कॉकपिट का दरवाजा बंद कर विमान को नीचे क्यों ले जा रहा है.
10:36 मिनट
मेन पायलट कैप्टन पैट्रिक अब भी लगातार कॉकपिट का दरवाजा खुलवाने की कोशिश कर रहे थे. फर उनकी ये नाकाम कोशिश मुसफिरों को और ज्यादा डरा रही थी.
10:37 मिनट
दरवाजा पीटने, खटखटाने और लात मारकर दरवाजा खोलने की जब तमाम कोशिश नाकाम हो गई. कैप्टन पैट्रिक किसी धातु से दरवाजे पर चोट मारते हैं, क्योंकि जोरदार चोट मारने की आवाज रिकॉर्ड हो रही है. ये शायद कॉकपिट में दाखिल होने की पायलट कैप्टन पैट्रिक की आखिरी कोशिश थी.
10:38 मिनट
'टैरेन-पुलअप' यानी नीचे जाते हवाई जहाज को रोकने के लिए दी जानेवाली इमरजेंसी अलार्म की आवाज भी अब बंद हो जाती है.
10:39 मिनट
पायलट कैप्टन पैट्रिक एक बार और चीखते हुए सुनाई देते हैं. वो लगभग गिड़गिड़ाते हुए आंद्रेज से आखिरी गुहार लगाते हैं, 'प्लीज ओपन द डैम डोर'. लेकिन उनकी इस आखिरी चीख का भी कॉकपिट से कोई जवाब नहीं आता.
10:40 मिनट
इस बदकिस्मत फ्लाइट की ये आखिरी घड़ी थी. विमान के नीचे आते ही एल्पस की चोटी से सबसे पहले विमान का दाहिना विंग टकाराता है. पूरे सात सौ किलोमीटर की रफ्तार से. टक्कर होते ही विंग के चीथड़े उड़ जाते हैं और फिर प्लेन का बाकी हिस्सा भी पहाड़ से जा टकराता है. टक्कर इतनी भयानक थी कि विमान का मलबा और टुकड़ों में बटी लाशें करीब दो किलोमीटर के दायरे में उड़कर बिखर जाती है.
इस तरह पायलट की जगह कमान संभालने के ठीक 11वें मिनट में आद्रेज अपनी जान समेत 149 लोगों की जान ले चुका था. जर्मन जांच अधिकारियों की मानें तो ब्लैक बाक्स से ये भी पता चलता है कि आंद्रेज लुबिज़ उस रोज काफी देर से पायलट पैट्रिक को कॉकपिट से बाहर जाने के लिए उकसा रहा था. टेकऑफ के बाद ही जब विमान ने अपनी तय ऊंचाई पकड़ ली थी तभी से वो बार-बार कैप्टन पैट्रिक से कह रहा था कि वो जब चाहें तब वॉशरूम जा सकते हैं, वो किसी भी वक्त फ्लाइट का कंट्रोल संभालने को तैयार है.
आंद्रेस को 6 जनवरी 2012 को ही यूएस फेडेरेशन ऑफ एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से पायलट का लाइसेंस जारी किया गया था. उसके बाद उसने सितंबर 2013 में जर्मनविंग्स में बतौर को-पायलट नौकरी करनी शुरू कर दी थी. इससे पहले वो लुफथानसा के केबिन क्रू में भी काम कर चुका था. लेकिन 2008 में आंद्रेस लुबिज अपनी गर्लफ्रेंड की वजह से जेहनी तौर पर परेशान था, जिसके साथ उसका ब्रेकअप हो गया था. बस इसी सदमे में वो डिप्रेशन में चला गया था. डिप्रेशन में जाने के बाद करीब दो साल तक उसने नौकरी से छुट्टी भी ले ली. इस दौरान पूरे 18 महीने तक उसका इलाज भी चला.