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बाबा का गुंडाराज और बेबस पुलिस-प्रशासन

राज्य की सबसे बड़ी अदालत का हुक्म. हुक्म की तामील के लिए तीस हजार से भी ज्यादा अर्धसैनिक बल और हरियाणा पुलिस के जवान. जिसे गिरफ्तार कर अदालत के सामन पेश किया जाना है उसका पूरा अड्डा भी पुलिस के घेरे में. मगर बाबा रामपाल के गुंडाराज के आगे सब बेकार.

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राज्य की सबसे बड़ी अदालत का हुक्म. हुक्म की तामील के लिए तीस हजार से भी ज्यादा अर्धसैनिक बल और हरियाणा पुलिस के जवान. जिसे गिरफ्तार कर अदालत के सामन पेश किया जाना है उसका पूरा अड्डा भी पुलिस के घेरे में. मगर बाबा के गुंडाराज के आगे सब बेकार. हिसार के संत रामपाल की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पिछले कई दिनों से खुद अपनी फजीहत करवा रही है और बाबा के गंडाराज का गुस्सा उतार रही है मीडिया पर.

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मंगलवार 18 नवंबर 2014 को दोपहर के 12 बजकर 05 मिनट पर सतलोक आश्रम के बाहर और अंदर जो कुछ हुआ, वह धर्म की आड़ में अपराध और कोर्ट की अवमानना का काला सच है. एक तरफ रामपाल को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस थी तो दूसरी तरफ संत को पुलिस से बचाने के लिए आश्रम में पहले से डेरा डाले हजारों समर्थक. ये समर्थक ही थे, जिनकी ओट में छिप कर संत रामपाल अब तक पुलिस से बचने में कामयाब रहे. लेकिन सोमवार को हरियाणा के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने रामपाल की गिरफ्तारी ना होने पर फटकार क्या लगाई, मानों मंगलवार को पुलिसवालों का सब्र जवाब दे गया.

बच्चों और औरतों को बनाया ढाल
खेतों के बीच मौजूद रामपाल के आश्रम को पहले तो पुलिस ने चारों ओर से घेरा और फिर माइक पर चेतावनी देते हुए समर्थकों से आश्रम खाली करने को कहा. लेकिन हुआ इसका उल्टा. समर्थकों ने पुलिस की बात अनसुनी कर दी और घेरा बनाकर खड़े गए. घेरा भी ऐसा कि आगे बच्चे, पीछे औरतें और उनके पीछे बाकी लोग. ताकि पुलिस बल प्रयोग करने से पहले हजार बार सोचे. पुलिस किसी तरह समझा-बुझा कर समर्थकों को आश्रम से बाहर निकालने की कोशिश करती रही. तब तक सब कुछ ठीक था, मगर तभी अचानक आश्रम से पुलिसवालों पर पथराव शुरू हो गया. फिर क्या था. पुलिस फौरन हरकत में आई और उसने पहले तो आश्रम पर आंसू गैस के गोले दागे और फिर वाटर कैनन से रामपाल के समर्थकों को हटाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस की इस कोशिश का भी असर उल्टा हुआ. आश्रम में छिपे समर्थकों ने अब सीधे आश्रम को एक किले की तरह इस्तेमाल करते हुए पुलिसवालों पर हमला कर दिया.

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पुलिस की बड़ी गलती
इस हमले में पहले तो पुलिस पर पथराव हुआ और फिर कथित तौर पर फायरिंग तक की गई. यहां तक कि पेट्रोल बम तक फेके जाने की शिकायतें सामने आईं. देखते ही देखते रामपाल का आश्रम मैदान-ए-जंग में तब्दील हो गया. लेकिन इन सबके बीच पुलिस ने एक ऐसी हरकत की, जिसने पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी. सतलोक आश्रम में रामपाल को पकड़ने गई पुलिस अचानक चुन-चुन कर मीडियावालों को निशाना बनाने लगी. शांतिपूर्ण तरीके से कानून के दायरे में रहते हुए पूरे मामले की कवरेज में लगी मीडिया का आखि‍र कुसूर क्या था? इन सवालों का जवाब सूबे के डीजीपी के पास भी नहीं था.

हकीकत यही थी कि मीडिया को इस कार्रवाई की कवरेज से रोकने के लिए पुलिस ने ना सिर्फ पत्रकारों पर हमला किया, बल्कि उनके मोबाइल फोन और कैमरे तक तोड़ डाले. यहां तक कि कुछ पुलिसवालों ने उपद्रवियों की तरह लाइव टेलीकॉस्ट के लिए लाई गई ओवी वैन्स में भी तोड़फोड़ की कोशिश की. हालत ये रही कि पुलिस के हमले से आजतक संवाददाता नितिन जैन, कैमरामैन शकील खान, किशन कुमार और संजीव कुमार समेत दर्जनों मीडियाकर्मी जख्मी हो गए.

क्या आश्रम में नहीं है रामपाल?
उधर, आश्रम पर पुलिस का शिकंजा लगातार कस रहा था. अब पुलिस ने पहले तो हाथ आए समर्थकों पर लाठीचार्ज किया और फिर उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया. देखते की देखते पुलिस ने जेसीबी मशीन मंगवाई और आश्रम का गेट धराशाई कर दिया. हालांकि इतना होने के बावजूद कुछ समर्थक आश्रम में ही जमे रहे. अब हालत ये थी कि पुलिस को शक था कि रामपाल आश्रम में ही छिपा बैठा है, जबकि संत रामपाल के समर्थकों का कहना था कि वो आश्रम से निकल चुके हैं.

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अदालती अवमनना के गुनहगार बाबा को गिरफ्तार करने का हुक्म अदालत ने क्या जारी किया बाबा ने अपने आश्रम को किला और भक्तों को ढाल बना डाला. दरअसल, संत रामपाल और पुलिस के बीच ये चूहे बिल्ली का खेल लंबे समय से चल रहा था. संत के खिलाफ दर्ज मामले में अदालत हर बार उसे हाजिर होने के लिए तारीख देती और हर बार संत अदालत को गच्चा दे जाता. हार कर अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. लेकिन इस वारंट को भी तामील करवाने में पुलिस को 15 दिनों से ज़्यादा का वक्त लग गया.

आगे पढ़ें, कैसी है रामपाल की आर्मी... {mospagebreak}रामपाल की आर्मी और सुरक्षाघेरा
गिरफ्तारी से बचने के लिए संत रामपाल और उसके समर्थकों ने ना सिर्फ बड़ी तादाद में आश्रम में हथियार, पेट्रोल बम और पत्थर इकट्ठा कर रखे थे. बल्कि हमलों के लिए तेजाब भी मौजूद था. और तो और संत ने बाकायदा अपने जवान समर्थकों की एक आर्मी बना रखी थी. काले लिबास में लिपटी एक ऐसी आर्मी, जिसके जवान बिल्कुल पुलिसवालों की तरह हाथ में रूल और ढाल लिए मुस्तैद थे, जबकि कानून से टकराने के लिए सिर पर हेलमेट भी था. इतने दिनों तक इसी आर्मी ने बाबा का सुरक्षा घेरा बना रखा था और अब जब पुलिस सीधी कार्रवाई पर उतरी तो यही आर्मी बिल्कुल ट्रेंड कमांडोज की तरह पुलिस पर टूट पड़े. पुलिस की मानें तो इस आर्मी के काम करने के तौर-तरीके को देख कर ये साफ है कि इसमें कई रिटायर्ड फौजी भी शामिल हैं.

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रामपाल ने अपनी सुरक्षा के लिए कई घेरे बना रखे थे. इसमें सबसे बाहरी घेरे पर बाबा की प्राइवेट आर्मी के जवान तैनात थे, जबकि दूसरा घेरा महिलाओं और बच्चों का था. तीसरे और आखि‍री घेरे में भी संत की इसी आर्मी के चुनिंदा जवान बिल्कुल ब्लैक कैट कमांडोज की तरह रामपाल को घेरे रहते थे. इरादा साफ था, एक तरफ रामपाल जहां कानून से टकराने को तैयार था, वहीं महिलाओं औरतों और बच्चों के पीछे छुपकर वो पुलिस को कार्रवाई करने से रोकना भी चाहता था. यहां तक कि अपनी गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में रामपाल को इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि अगर पुलिस ने कार्रवाई की तो इन महिलाओं और बच्चों का क्या होगा.

पुलिस ने कार्रवाई की और कई लोग जख्मी हो गए. पुलिस की मानें तो आश्रम की ओर से चलाई गई गोली जहां दो पुलिसकर्मियों को लगी, वहीं कुल डेढ़ सौ पुलिसवाले जख्मी हो गए. जबकि दूसरी और महिलाओं और बच्चों समेत संत रामपाल के 85 समर्थकों को भी चोटे आईं. हालांकि आश्रम ने दावा किया कि पुलिस के हमले में 8 से 10 लोगों की मौत हो गई और चार महिलाओं की लाशें तो आश्रम में ही पड़ी हैं.

गिरफ्तारी के चक्कर में करोड़ों स्वाहा
बाबा की गिरफ्तारी के चक्कर में हर रोज करोड़ों रुपये फूंके जा रहे हैं. गिरफ्तारी का ड्रामा शुरू हुए 16 दिन हो चुके हैं. दस तारीख के बाद बाबा को घेरने का सिलसिला शुरू हुआ और इस चक्कर में हर रोज सरकार के खजाने से छह करोड़ बर्बाद हो रहे हैं. बाबा की गिरफ्तारी के लिए, प्रशासन के भारी भरकम लाव लश्कर पर मोटी रकम खर्च हो रही है. लेकिन बाबा अपने आपको पुलिस के हवाले करने को तैयार नहीं हुए. फिर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पूरा हिसाब-किताब मांग लिया. बाबा रामपाल को डराने में रोज 6 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है और पिछले एक सप्ताह हरियाणा प्रशासन करीब 40 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है.

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इस पूरे एक्शन प्लान में 100 आईएपीएल और एचपीएस के अधिकारी भी डंटे रहे. जिनका 2 हजार रुपये रोज से खर्चा करीब 2 लाख बैठता है, इसके अलावा हरियाणा रोडवेज की करीब 300 बसे ड्यूटी पर लगाई गई. इन बसों में 600 कर्मचारी भी तैनात हैं. पुलिस और प्रशासन ने रोडवेज के अलावा करीब 700 वाहन अभियान में लगा रखे हैं, जिनमें 400 पुलिस बसें, 100 वज्र, 40 बुलेट फ्रूफ वाहन, 40 एंबुलेंस, 30 जेसीबी, 20 क्रैन, 20 पीसीआर, 25 ट्रैक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के करीब 30 वाहन शामिल हैं.

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