आसाराम बापू के खिलाफ बोलने वाले एक और गवाह की गोली मार कर हत्या कर दी गई. कृपाल सिंह की मौत इस मामले में पहली नहीं बल्कि तीसरी मौत है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि आखिर कौन आसाराम बापू पर चले रहे यौन शोषण मामले के अहम गवाहों को एक-एक कर मौत के घाट उतार रहा है. पुलिस अभी तक इस साजिश के मास्टरमाइंड का पता नहीं लगा पाई है. लेकिन हम आपको उस काली रात का सच बता सकते हैं और वो भी खुद उसके मुंह से जिसकी वजह से आसाराम को जेल जाना पड़ा.
स्वयंभू संत आसाराम मामले में पीड़ित लड़की के अलफाज आज भी दर्द में डूबे हुए हैं. लड़की की आपबीती या यह कहें कि उस काली रात का कड़वा सच जिंदगी में कभी ना भरने वाला जख्म बन चुका है. वह बताती है कि कैसे 15 अगस्त 2013 की रात को आसाराम बापू के जोधपुर आश्रम में बहला-फुसला कर उसे आसाराम की कुटिया में ले जाया गया. वहां उसे पीने के लिए दूध दिया गया और फिर उसके बाद आसाराम बापू ने उसका यौन शोषण किया.
लड़की का आरोप है कि आसाराम बापू ने बाद में उसे धमकी दी कि अगर उसने इस बात का जिक्र किसी से भी किया तो वो वह लड़की के माता-पिता को नुकसान पहुंचा सकता है.
शाहजांपुर पहुंचकर आई हिम्मत
लड़की ने बताया कि घटना के बाद वह अपने माता-पिता के साथ शाहजहांपुर वापस आ गई. शाहजहांपुर पहुंच कर लड़की में हिम्मत आई और उसने अपनी मां को सारी बात बता दी. मां ने उसके पिता को बताई और फिर पूरा परिवार 19 अगस्त 2013 को दिल्ली पहुंच गया. लेकिन आसाराम बापू ने परिवार से मिलने से मना कर दिया. लिहाजा 20 अगस्त 2013 को लड़की ने दिल्ली के कमला मार्केट थाने में बाबा के खिलाफ यौन शोषण करने की रिपोर्ट लिखा दी. इस तरह 15 अगस्त 2013 की काली रात का पूरा सच सबके सामने आ गया.
आसाराम को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी और आखिरकार 1 सितंबर 2013 को पुलिस ने आसाराम को उसके इंदौर आश्रम से रात के करीब 12:30 बजे गिरफ्तार कर ही लिया. बस उस दिन से इस मामले में एक बार जेल जाने के बाद आज तक आसाराम बापू जमानत पाने के लिए अदालत में गुहार लगा रहे हैं.
कत्ल का सिलसिला
अमृतभाई गुलाबचंद प्रजापति आसाराम बापू के पूर्व निजी वैद्य और राजदार थे. लेकिन आसाराम के खिलाफ अदालत में गवाही देने के बाद 22 मई 2014 को राजकोट के क्लिनिक में गुमनाम बंदूकधारियों ने उनका कत्ल कर दिया. 11 जनवरी 2015 को आसाराम के पूर्व सेवादार और रसोइया अखिल गुप्ता को बाप-बेटे के खिलाफ सरकारी गवाह बनने के बाद घर के नजदीक ही गुमनाम बंदूकधारियों ने गोलियों से छलनी कर दिया. और अब 11 जुलाई 2015 को कृपाल सिंह की मौत हो गई. कृपाल पर 10 जुलाई को जानलेवा हमला किया गया था.
कृपाल सिंह को भी शाहजहांपुर में हमले की रात 8 बजे दो मोटरसाइकिल सवारों ने उस वक्त सरेराह गोली मारी जब वो अपने घर वापस जा रहे थे. वहां से उन्हें बरेली रेफर कर दिया गया, लेकिन कृपाल सिंह की जान नहीं बचाई जा सकी. डॉक्टरों के मुताबिक, कृपाल के स्पाइनअल कॉर्ड में चोट की वजह से उन्हें पैरालिसिस हो गया था और उनके बचने की उम्मीद काफी कम थी. पुलिस के मुताबिक कृपाल सिंह ने मरने से पहले तीनों लोगों के नाम लिए थे और वो फिलहाल उन तीनों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है.
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आसाराम के रसोइया रहे अखिल को भी मुजफ्फनगर में बाइक पर आए दो लोगों ने ठीक उसी तरह अपनी गोलियों का निशाना बनाया था जैसे कृपाल सिंह को बनाया गया. तो क्या आसाराम के खिलाफ मुंह खोलने वाले सभी गवाहों पर हमले का बिल्कुल एक जैसा ये तरीका भी महज इत्तेफाक है? या फिर इशारा कुछ और है?
कभी आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के लिए रसोइये का काम चुका अखिल गुप्ता इन दिनों अपने होम टाउन मुजफ्फनगर में ही रहता था. वो इन बाप-बेटे के साथ करीब दस सालों तक रहा, लेकिन फिर वहीं एक लड़की से शादी करने के बाद वो वापस अपने घर मुजफ्फरनगर लौट आया.
इसके बाद वो यहीं रह कर डेयरी का कारोबार कर रहा था, लेकिन जनवरी की एक रात करीब पौने आठ बजे जब वो स्कूटर पर अपने घर लौट रहा था. अचानक बाइक पर आए कुछ हमलावरों ने उसे पीछे से गोली मारी और अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए. बाद में अखिल को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. दरअसल, अखिल सूरत की दो बहनों की शिकायत के बाद आसाराम और नारायण साईं के साथ रेप के मामले का मुल्जिम बन चुका था क्योंकि उन दिनों अखिल ने भी कथित तौर पर बाप-बेटे की करतूत में उनका साथ दिया.
अखिल की जिंदगी में नया मोड़ आया 19 अक्टूबर 2013 को जब अचानक गुजरात पुलिस उसे साथ मुजफ्फरनगर से अपने साथ सूरत ले गई. वहां पुलिस की पूछताछ के बाद वो आसाराम और नारायण साईं के खिलाफ गवाही देने को तैयार हो गया. उसने अपने बयान भी दर्ज करवाए, लेकिन इससे पहले कि अदालत फैसला करती, अखिल गुप्ता का कत्ल कर दिया गया.
कुछ ऐसा ही था दूसरा कत्ल
वैद्य अमृत प्रजापति भी राजकोट के पेडक रोड पर अपनी क्लिनिक में बैठे थे. तभी दो अनजान शख्स क्लिनिक में दाखिल हुए और उन पर गोलियां चला दी थीं. हालांकि उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. प्रजापति भी आसाराम बापू पर चल रहे यौन शोषण मामले के अहम गवाह थे, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पुलिस आज तक उनके कातिलों को नहीं ढूंढ़ पाई है.
दोपहर का वक्त था. 22 मई 2014 को राजकोट में वैद्य अमृत प्रजापति का राजकोट के पेडक रोड पर अपनी क्लिनिक ओमशांति में बैठे थे. तभी दो अनजान शख्स क्लिनिक में दाखिल होते हैं और बिल्कुल पास से प्रजापति को दो गाली मारते हैं. एक गोली कान को छू कर निकल जाती है जबकि दूसरी चेहरे पर लगती है. गोली मारने के बाद हमलावर तो फरार हो जाते हैं, लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान प्रजापति की मौत हो जाती है.
प्रजापति की मौत कोई मामूली मौत नहीं है. अव्वल तो ये एक ऐसा मर्डर है, जिसे बेहद खौफनाक तरीके से अंजाम दिया गया और दूसरा प्रजापति ही वो शख्स थे, जिन्होंने पहली बार आसाराम की करतूतों मसलन एकांतवास, पंचेट बूटी और यौन शोषण की पोल खोली थी. लेकिन इससे भी ज्यादा अहम बात ये कि प्रजापति आसाराम के खिलाफ सबसे अहम गवाह थे.