आसराम बापू तो याद होंगे? जी हां, वही आसाराम बापू जो पिछले सवा साल से ज्यादा वक्त से जेल के अंदर हैं. यौन शोषण के इल्जाम में. बाप के पीछे-पीछे बाद में बेटे नारायण साईं को भी इसी तरह के इल्जाम में जेल ले जाया गया. खबर ये है कि इन दोनों के जेल जाने के बाद से अब तक कुल छह लोगों पर जानलेवा हमला हो चुका है जो किसी ना किसी तरह से इन बाप-बेटे के केस से जुड़े हैं. इनमें से दो का तो कत्ल ही कर दिया गया. और दूसरा कत्ल इसी रविवार को हुआ है.
अमृतभाई गुलाबचंद प्रजापति, राजू चंडोक, सूरत की पीड़ित बहनों में से एक (नारायण साईं की पूर्व अनुयायी) और अखिल गुप्ता इन सभी के सभी किरदारों के साथ तीन बातें बेहद अजीब हैं. पहला तो ये कि ये सभी के सभी रेप और पाखंड के इल्जामों से घिरे तथाकथित संत आसाराम बापू या फिर उनके बेटे नारायण साईं के करीबी रह चुके हैं. दूसरा ये कि बदलते वक्त के साथ इन सभी ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ सच बोलने की हिम्मत जुटाई है और तीसरा ये कि इन चार में से दो को गुमनाम क़ातिलों ने मौत के घाट उतार दिया है और बाकी दो खुद पर हुए जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे हैं.
मुजफ्फरनगर के रहने वाला अखिल गुप्ता कभी आसाराम और खास कर उनके बेटे नारायण साईं का बेहद करीबी हुआ करता था. वो ना सिर्फ बाप-बेटे के लिए रसोइए का काम करता था बल्कि उनकी तमाम जरूरतों का भी ख्याल रखता था. इसी सिलसिले में वो करीब दस सालों तक उनके अहमदाबाद आश्रम में भी रहा लेकिन बाद में वहीं एक लड़की से शादी करने के बाद वो वापस अपने घर मुजफ्फरनगर लौट आया. इसके बाद वो यहीं रह कर डेयरी का कारोबार कर रहा था, लेकिन रविवार की रात करीब पौने आठ बजे जब वो स्कूटर पर अपने घर लौट रहा था. अचानक बाइक पर आए कुछ हमलावरों ने उसे पीछे से गोली मारी और अंधेरे का फायदा उठा कर फरार हो गए. बाद में अखिल को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. दरअसल, अखिल सूरत की दो बहनों की शिकायत के बाद आसाराम और नारायण साईं के साथ रेप के मामले का मुल्जिम बन चुका था क्योंकि उन दिनों अखिल ने भी कथित तौर पर बाप-बेटे की करतूत में उनका साथ दिया था.
मुजफ्फनगर में आसाराम के रसोइया रहे अखिल को बाइक पर आए दो लोगों ने अपनी गोली का निशाना बनाया और अंधेरे में गुम हो गए... ठीक उसी तरह जिस तरह पिछले साल आसाराम के वैद्य रहे अमृतभाई प्रजापति को दो लोगों ने राजकोट की क्लीनिक में आकर गोलियों का निशाना बनाया था... तो क्या, आसाराम के खिलाफ़ मुंह खोलनेवाले इन दोनों गवाहों के क़त्ल का बिल्कुल एक जैसा ये तरीका भी महज़ इत्तेफ़ाक है? या फिर इशारा कुछ और है?
आसाराम का पूर्व वैद्य, सेवादार और राज़दार
जी हां, ये वो शख्स था जिसने धर्म के आभामंडल से जीते-जी भगवान बन चुके आसाराम के चेहरे से पहली बार शराफत का नक़ाब नोच फेंका था. गरज ये कि प्रजापति ने ही पहली बार दुनिया को ये बताया कि किस तरह से आसाराम बापू धर्म के नाम पर पाखंड की दुकान चला रहा था और किस तरह वो दूसरों को तो ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ा रहा था, लेकिन खुद अपने आश्रम में एक नहीं अनगिनत लड़कियों और महिलाओं के साथ रिश्ते बना रहा था.
फकत पाखंड की बदौलत लाखों लोगों के दिलों दिमाग पर राज़ करनेवाले किसी शख्स के खिलाफ़ यूं मोर्चा खोलना कोई आसान बात नहीं थी. लिहाज़ा, जैसे ही प्रजापति ने अपना मुंह खोला, उन्हें डराने-धमकाने की कोशिशों का सिलसिला शुरू हो गया लेकिन प्रजापति ना तो रुकनेवाले थे और ना रुके बल्कि उन्होंने आसाराम के वो राज फाश कर दिए जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
आसाराम की इसी असलियत से वाकिफ होने के बाद प्रजापति ने उनका साथ छोड़ दिया और उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में गवाह बन चुके थे. लेकिन बदकिस्मती से एक रोज़ वही हो गया जिसका डर था. प्रजापति को राजकोट के उनके क्लीनिक में मरीज बन कर आए दो गुनहगारों ने नजदीक से गोली मार दी और अस्पताल में पूरे 19 दिन तक मौत से दो-दो हाथ करे के बाद उनकी जान चली गई.
सोलह साल की एक मासूम के साथ यौन शोषण के इल्जाम में घिरने के बाद आसाराम के सितारे कुछ ऐसे गर्दिश में गए कि फिर कभी रौशन नहीं हुए. एक वो दिन है और एक आज का दिन, आसाराम जेल से बाहर आने का हर जतन कर चुके हैं. हर दलील दे चुके हैं, हर फरियाद सुना चुके हैं लेकिन अदालत और कानून के लिए सबके सब बेमानी और थोथे साबित हुए. हाल ही में आसाराम ने अपनी बीमारी को हथियार बनाकर खुली हवा में सांस लेने की कोशिश की. मगर, अफसोस ये कोशिश भी बेकार चली गई.