फ्रांस की राजधानी पेरिस में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. इतना बड़ा आतंकवादी हमला कि फ्रांस दहल गया. इस हमले में कम से कम छह जगहों पर डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई. ये हमला सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के बढ़ते असर का लक्षण दिखा रहा है. फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी इस बात का ऐलान कर दिया है कि ये हमला आईएसआईएस ने ही किया है.
दुनिया भर में एफिल टावर की ऊंचाई और उससे भी ज्यादा आधुनिक सोच और विचारों के शहर के रूप में जाने जाना वाला शहर पेरिस है. लेकिन शुक्रवार की रात आईएसआईएस के आतंकियों ने इस शहर को बेगुनाहों के खून में डुबो दिया.
जिस वक्त इंसानों की शक्ल में हैवानियत के भेड़िए पेरिस की सड़कों पर घात लगाए बैठे थे, उस वक्त वहां के नेशनल स्टेडियम में फ्रांस और जर्मनी के बीच दोस्ताना मैच चल रहा था. वहां 80 हजार लोगों की भीड़ में राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद भी बैठे थे. तभी बम धमाका हुआ और अफरातफरी मच गई. लेकिन राष्ट्रपति ने हिम्मत दिखाई और वो मैदान में आ गए. माहौल को संभालने की कोशिश की. तब तक पेरिस पुलिस एक्शन में आ चुकी थी. लेकिन बगदादी आतंकी एक साथ पेरिस के 6 ठिकानों पर मौत के सौदागर मौत बांट रहे थे.
रात के नौ बजे सबसे पहले धमाके की खबर एक रेस्त्रां और बार से आई. चश्मदीदों के मुताबिक हथियारों से लैस आतंकी अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे. लोग इधर-उधर भागने लगे और जब तक कुछ समझ पाते, तब तक काफी देर हो चुकी थी.
थोड़ी ही देर बाद पेरिस के नेशनल स्टेडियम के बाहर बड़े धमाके की आवाज सुनाई दी. जहां खुद राष्ट्रपति मौजूद थे. यहां स्टेडियम के बाहर दो जबरदस्त धमाके हुए. इसी बीच एक कंसर्ट हॉल पर आतंकी हमले की खबर आई. आतंकियों के खूनी हमले में सबसे ज्यादा मौतें हुईं बाटाक्लान के कंसर्ट हॉल में. यहां आतंकियों ने 100 लोगों को बंधक बनाया.
पेरिस ने सोचा ना था कि उसका सुनहरा इतिहास बेगुनाहों के खून से लाल हो जाएगा. हमले के तुरंत बाद फ्रांस में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया. फ्रांस की सभी सीमाएं सील कर दी गईं. फ्रांस की सेना को अलर्ट कर दिया गया और पेरिस की मेट्रो लाइन को बंद कर दिया गया.
पेरिस में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ले चुका है. चश्मदीदों का कहना है कि आतंकी फायरिंग करते हुए चिल्ला रहे थे कि ये हमला सीरिया के लिए है. इस आतंकी हमले ने आईएसआईएस का सबसे क्रूर और निर्मम चेहरा दुनिया के सामने लाया है. ये हमला कुछ वैसा ही था, जैसा 7 साल पहले हिंदुस्तान ने मुंबई में झेला था. मुंबई में दस आतंकवादी सरहद पार से आए थे पेरिस में आठ आतंकवादी उसी अंदाज में दाखिल हुए.
दूसरी तरफ आतंकियों ने नेशनल स्टेडियम के पूरब की ओर एक जापानी रेस्तरां पर ताबड़तोड़ फायरिंग की. जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई. ली पेटी काम्बोज नामके एक रेस्तां में भी आतंकियों ने फायरिंग की. जिसमें 15 लोगों की जान गई. वहीं बाटाक्लान से करीब सौ मीटर की दूरी पर रुई डी ला फॉन्टेन पर फायरिंग में 35 लोग मारे गए.
पेरिस में आतंकी हमला भले ही बगदादी और उसके संगठन आईएसआईएस ने किया है लेकिन इसकी मुनादी पांच साल पहले अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन ने कर दिया था. तब लादेन ने कहा था कि जैसा आतंकी हमला मुंबई पर हुआ है, वैसा ही यूरोप में होगा. पेरिस पर आतंकी हमला ये बताता है कि आतंकियों के लिए बस जगह बदलता है, आतंक का अंदाज नहीं.
बगदादी और उसके इशारे पर चलने वाले आतंकवादियों की इन घिनौनी करतूतों को फ्रांस की राजधानी पेरिस कभी नहीं भूल पाएगा. ये कुछ कुछ वैसा ही है, जैसे अमेरिका 9-11 को कभी नहीं भूल सकता और हिंदुस्तान 26-11 को नहीं भूल सका. अमेरिका को अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन ने आतंक के मुंह में धकेला तो मुंबई को पाकिस्तान के पेरोल पर पलने वाले जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद ने. बस नाम बदला है लेकिन अंदाज वही है.
अब सवाल है कि सीरिया और इराक में अपनी जड़ें जमा रहे आईएसआईएस ने पेरिस को निशाना क्यों बनाया. दरअसल आईएसआईएस का सरगना बगदादी सीरिया और इराक में आईएस के आतंक के खिलाफ फ्रांस की कार्रवाई से जला भुना बैठा है. साथ ही फ्रांस के जरिए आईएस दुनिया को ये भी दिखाना चाहता है कि उसके आतंक की कोई सीमा नहीं है.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी साफ शब्दों में कहा है कि अगर पेरिस अपनी सभ्यता के सबसे असभ्य और बर्बर दौर से गुजर रहा है तो इसमें यहां के कुछ लोगों की भी मिलीभगत हो सकती है. पेरिस पर हुआ हमला इस बात का सबूत है कि आतंक का खतरा किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए है.