दिल्ली से सटे नोएडा में एक कब्रिस्तान से अचानक मुर्दे गायब होने लगे हैं. कोई है जो कब्र खोदता है और मुर्दे निकाल कर ले जाता है. मगर नोएडा की ये पूरी कहानी जानने से पहले पाकिस्तान के एक कब्रिस्तान की दहला देने वाली कहानी जान लीजिए.
एक शख्स कब्रिस्तान में काम करता था. पर उसकी नजर हमेशा औरतों के जनाजों पर रहा करती थी. जैसे ही किसी औरत को वहां दफनाया जाता वो शाम ढलते ही कब्र खोद कर कब्र में उतर जाता. फिर उन मुर्दा औरतों के साथ अपनी हवस पूरी करता. पकड़े जाने के बाद उसने खुद कबूल किया कि वो 48 मुर्दा औरतों के साथ कब्र में उतर कर ऐसा कर चुका था.
सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कैसे-कैसे जेहनी बीमार लोग हैं इस दुनिया में. दिल्ली के नजदीक नोएडा के एक कब्रिस्तान से पिछले कुछ महीनों से लगातार लाशों की चोरी हो रही है. लोग अपनों को दफनाने के बाद पीछे मुड़ते नहीं कि मुर्दों का सीरियल चोर लाश चुरा कर ले जाता है. पर चुराता वो सिर्फ बच्चों की लाशे हैं. वो भी दफनाने के 24 घंटे के अंदर ही. पिछले 10 दिनों में यहां से तीन लाशें गायब हो चुकी हैं और पिछले छह महीने में छह से भी ज्यादा लाशें, वो भी बच्चों की.
आखिर मुर्दों की चोरी के पीछे क्या है रहस्य?
कब्रिस्तान से लाशों के गायब होने का ये अजीब सिलसिला तब सामने आया, जब सेक्टर 9 का रहने वाला एक परिवार यहां अपनी 8 महीने की बेटी की लाश दफना कर गया. लाश दफनाने के लिए करीब साढ़े चार फीट गहरे कब्र की खुदाई की गई. कफन में लपेट कर पूरे रीति-रिवाज के साथ उसे कब्र में रखा गया. हिफाजत के लिए पटरा डाला गया और फिर मिट्टी डाल कर ऊपर कवर भी चढ़ा दिया गया. ताकि कब्र और लाश दोनों महफूज रह सके. लेकिन अगले दिन जब ये परिवार फिर से बच्ची के लिए नमाज-ए-जनाजा पढ़ने पहुंचा, कब्र की हालत देख कर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.
कफन ने बदल दी जांच की दिशा...
कब्र खुदी हुई थी और बच्ची की लाश गायब थी लेकिन आखिर ऐसा कैसे मुमकिन था. करीब साढ़े चार फीट गहरे कब्र को खोद कर पटरा हटा कर कोई रातों-रात लाश कैसे गायब कर सकता था, वो भी तब जब कब्रिस्तान हर तरफ चारदीवारी से भी घिरा है और चौकीदार रात के कम से काम आठ बजे तक यहीं मौजूद होता है. आस-पास कुछ कुत्तों के पैरों के निशान देख कर पहली नजर में कुछ लोगों को शक हुआ कि शायद लाश कुत्तों ने ही निकाल ली होगी, लेकिन जिस तरह से लाश का दूर-दूर तक कोई नामो-निशान नहीं था, उससे मामला और उलझ गया. क्योंकि अगर ये करतूत जानवरों की होती, तो लाश के कुछ टुकड़े या फिर खून के छींटे आस-पास जरूर पड़े होते. लेकिन अभी पीड़ित परिवार और कब्रिस्तान के चौकीदार इस रहस्यमयी वारदात पर बात कर ही रहे थे कि नमाज पढ़ाने के लिए आए मौलाना साहब की नजर एक ऐसी चीज पर पड़ी, जिसे देख कर सभी चौंक गए. दरअसल, खुदी कब्र के पास बच्ची का कफन बाकायदा तह लगा कर कोई रख गया था. जाहिर है, ऐसा करना जानवरों के लिए कतई मुमकिन नहीं था.
10 दिनों में गायब हुई हैं तीन लाशें..
कब्रिस्तान के चौकीदार ने उन्हें एक ऐसी बात बताई कि उनका शक और बढ़ गया. मामला और भी ज्यादा उलझ गया. कब्रिस्तान से लाश की चोरी की ये पहली और इकलौती वारदात नहीं थी. बल्कि पिछले 10 दिनों में यहां से इसी तरह 3 लाशें कब्र खोद कर चुराई जा चुकी थीं और छह महीने में छह से भी ज्यादा. और इत्तेफाक से ये तीनों की तीनों लाशें बच्चों की ही थीं. मामला बेहद संगीन था, इसलिए बच्ची की लाश गंवाने वाला परिवार पुलिस के पास पहुंचा लेकिन जब पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ी तो एक के बाद एक कई और चौंकाने वाली बातें सामने आ गईं.
क्या हो सकता है लाशों की चोरी का मकसद?
सवाल उठता है कि आखिर लाशों को चुराने के पीछे किसी सीरियल चोर का मकसद क्या हो सकता है? नोएडा के इस कब्रिस्तान से लाशों के गायब होने का ये रहस्यमयी सिलसिला कोई अभी से नहीं, बल्कि महीनों से चल रहा है. फर्क बस इतना है कि पिछले दस दिनों के अंदर एक के बाद एक तीन लाशें गायब होने से इस मामले ने अब लोगों को कुछ ज्यादा ही बेचैन कर दिया है. हालत ये है कि यहां से लाशों के गायब होने के इस सिलसिले को देखते हुए कई परिवारों ने तो लाश दफ्न करने के बाद कब्रिस्तान में ही एक-दो रातें गुजारी हैं. पहरा तक दिया है. लोगों की मानें तो इस दौरान तो उन्हें रात के अंधेरे में कब्रिस्तान में कुछ भी अटपटा नहीं दिखा, लेकिन जब-जब पहरा नहीं दिया गया, तब-तब कई मौकों पर लाशें गायब हो गईं. और इत्तेफाक से गायब होने वाली सभी लाशें बच्चों की थी. यानी इस कब्रिस्तान से जो भी लाशें चुरा रहा है, वो ना सिर्फ बच्चों की लाशें चुरा रहा है, बल्कि नई लाशें चुरा रहा है.
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
लाशों के इस सीरियल चोर की यही मॉडस ऑपरेंडी ने मामले को और भी उलझा दिया है. इस मॉडस ऑपरेंडी की बदौलत निकाली जाने वाली लाशों का गुनाहगार कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकता है और इन तरीकों में सबसे ऊपर है. बच्चों और खास कर लड़कियों की लाशें चुराने के पीछे किसी नेक्रोफिबिक शख्स यानी ऐसी विकृत मानसिकता के शख्स का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता, जो लाशों के साथ भी जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहता है. जुर्म की दुनिया की पुरानी कहानियों में पर जाएं, तो इस दुनिया में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें नेक्रोफिबिक लोगों ने लाशों की बेकद्री की है... ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है... हाल में दिल्ली के बेगमपुर से गिरफ्तार हुए सीरियल रेपिस्ट रविंद्र की कहानी कुछ ऐसी ही थी, जिसने कई लड़कियों को अगवा करने के बाद उनका कत्ल किया और फिर लाशों के साथ ज्यादती की. ठीक इसी तरह निठारी के मुजरिम सुरेंद्र कोली के नेक्रोफिबिक होने की बात तो सामने नहीं आई, लेकिन उसने बच्चियों के साथ ज्यादती करने की कोशिश में उनका कत्ल जरूर किया.
तंत्र-मंत्र या काला जादू
कब्रिस्तान से लाशों के गायब होने के पीछे सबसे ज्यादा लोगों को तंत्र-मंत्र का ही शक है. क्योंकि लाशों के साथ तांत्रिक क्रियाएं करने के बहुत से मामले जहां पहले ही सामने आ चुके हैं और जिस तरह रह-रह कर हाल-फिलहाल में दफनाई जाने वाली लाशें गायब हो रही हैं, ज्यादातर लोगों का शक तांत्रिकों की तरफ ही है. कुछ लोगों को लगता है कि लाशों की चोरी के पीछे मेडिकल ट्रेनिंग भी एक वजह हो सकती है. हो सकता है कि किसी मेडिकल कॉलेज या इंस्टीट्यूट में बच्चों की ट्रेनिंग के लिए ऐसी लाशों का इस्तेमाल किया जा रहा है और कोई यहां से लाशें चुरा कर आगे सप्लाई कर रहा है.
शक तो कैनिबलिज्म यानी जेहनी तौर पर विकृत किसी ऐसे शख्स की तरफ भी है, जो मुर्दे खा सकता है. जाहिर है, इस मामले की तफ्तीश में फिलहाल पुलिस ने सारे ऑप्शन खोल रखे हैं, लेकिन राज पर से पर्दा हटना अभी बाकी है. ये बात अजीब लग सकती है. लेकिन जब पूरा मामला ही अजीब हो तो किसी एक बात का क्या कहना? यही वजह है कि इस कब्रिस्तान से गायब होती इन लाशों के पीछे कुछ लोगों को एक गहरी साजिश भी नजर आ रही है. साजिश कब्रिस्तान से लोगों को दूर करने की.
ये भी हो सकती है एक बड़ी वजह...
नोएडा के सेक्टर 18 में मौजूद इस कब्रिस्तान का इस्तेमाल लोग सालों से कर रहे हैं. लेकिन कब्रिस्तान की जमीन को लेकर भी कानूनी जंग छिड़ी है. एक पक्ष जहां कब्रिस्तान की जमीन को अपना बता कर इस पर दावा करता रहा है और मुर्दों को दफ्न करने से रोकना चाहता है, वहीं दूसरी ओर कब्रिस्तान की इंतेजामिया कमेटी इस पर अपना हक जताती है. ऐसे में अब लाशों के गायब होने के इस सिलसिले के पीछे कुछ लोगों को गहरी साजिश भी नजर आने लगी हैं. उन्हें लगता है कि शायद कोई जानबूझ कर कब्र से मौका मिलते ही बच्चों की लाशें चुरा ले जाता है, ताकि लोग इस कब्रिस्तान का रुख करना बंद कर दें. और ये वही लोग हैं, जो नहीं चाहते कि इस जमीन का इस्तेमाल कब्रिस्तान के तौर पर किया जाए. वैसे इससे पहले भी जुर्म के कई मामलों में कई ऐसे गुनाहगार और ऐसी वजहें अचानक पुलिस के सामने आती रही हैं, जिनके बारे में कोई आमतौर पर सोच भी नहीं सकता और ऐसे में जब इस कब्रिस्तान की जमीन को लेकर विवाद है और कुछ लोगों को लाशों के गायब होने के साजिश का शक भी कुछ ऐसा ही है.
पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी भी है ये...
कब्रिस्तान से लाशों के गायब होने के मामले की जांच कर रही सेक्टर 39 थाने की पुलिस पूरी तरह अंधेरे में है. इसे आप नोएडा पुलिस की नाकामी कह सकते हैं, मामले को हल्के में लेने का नतीजा या फिर कुछ और. लेकिन हकीकत यही है कि तकरीबन 15 दिनों का वक्त गुजरने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली हैं. और हालत ये है कि कब्र में दफ्न अपने मासूम बच्चों की लाश गंवाने के बाद घर वाले इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. यहां तक कि उनके पास अपने गुजरे हुए अपनों के लिए फातिहा पढ़ने की एक अदद जगह तक नहीं है. दरअसल, कब्रिस्तान की चारदीवारी नहीं होने की वजह से यहां कब्रों के हिफाजत नाम की कोई चीज नहीं है. ऐसे में लाशों के गायब होते ही आम तौर पर दिन के वक्त चौकीदारी करने वाले लोग अक्सर सारा ठीकरा आवारा कुत्तों के सिर पर फोड़ देते हैं लेकिन जिस तरीके से लाशें गायब होती रही हैं, उससे इन मामलों के पीछे कुत्तों की हरकतें कम, इंसानों की ही ज्यादा लगती हैं. अव्वल तो कुत्तों के लिए इतने गहरे कब्रों को खोद कर लाशों को बाहर निकलना नामुमकिन है... ऊपर से कुतों या ऐसे ही किसी दूसरे जानवर के लाश निकालने पर लाशों के टुकड़ों का आस-पास पड़ा होना लाजिमी है लेकिन यहां मामला बिल्कुल उल्टा है.