सीरिया के बड़े इलाके पर आईएस अपना कब्जा जमा चुका है. अब जाहिर है इन इलाकों में एक बहुत बड़ी आबादी आम लोगों की है. इन आम लोगों में से बहुत सारे आईएस के समर्थक हैं तो बहुत सारे वो भी हैं जो जान के डर से आईएस की पनाह में हैं. अब ऐसे सारे इलाके में हर जगह बम नहीं गिराए जा सकते. क्योंकि इससे आम शहरियों की भी बड़ा तादाद में जान जा सकती है. लिहाजा सेटेलाइट और दूसरे जरियों से इन जगहों की तस्वीरे ली जा रही हैं और फिर उसी हिसाब से तय ठिकानों पर हवाई हमले किए जा रहे हैं.
पर दिक्कत ये आ रही है कि बगदादी की सेना को भी पता है कि अमेरिका, रूस या नाटो की सेना घनी आबादी को निशाना नहीं बना सकती. लिहाजा वो लोग भी उसी घनी आबादी को ढाल बना कर उन्हीं के बीच छुप रहे हैं. आईएस के खिलाफ हवाई हमला वहां ज्यादा आसान है जहां घनी आबादी नहीं है. मसलन मौसूल के पास की बुधवार को ली गई तस्वीर में नीचे दर्जनों ट्रक दिखाई दिए. पता चला कि इन ट्रकों के लिए आईएस के आतंकवादियों के लिए जरूरी रसद भेजा जाना है. इसी के बाद रूस जंगी विमान ने इन्हें अपना निशाना बनाया और बर्बाद कर दिया.
चूंकि ये इलाका आईएस के कब्जे में है लिहाज़ा रूसी जंगी विमान ने इस इलाके के कई तेल के कुंए पर बी बम गिराए. क्योंकि तेल को बेच कर ही आईएस सबसे ज्यादा पैसे कमा रहा है और फिर उन्हीं पैसों का इस्तेमाल हथियारों की खरीद के लिए करता है. तो दुनिया के सारे देश बगदादी के खिलाफ तो एक हो गए. पर बगदादी का खात्मा हो इसके लिए जरूरी है कि बगदादी का सुराग मिले. तो आखिर बगदादी कहां छुपा है, क्या उसका सुराग मिला है.
पेरिस हमले के बाद जिस तरह पूरी दुनिया बगदादी नाम के शैतान के खात्मे के लिए एकजुट हो गई है उससे अब पहली बार उम्मीद जागी है कि बगदादी और उसकी फौज का खात्मा लगभग तय है. इस बार उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि आईएसआईएस के ना सिर्फ कब्जे वाले तमाम इलाके, बल्कि उसके टॉप कमांडरों और लीडरों की टीम के ठिकानों की भी बारीकी से पहचान की गई है. यहां तक कि खुद बगदादी के ठिकानों के बारे में भी कई अहम जानकारियां मिली हैं.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक आईएसआईएस का चीफ अबू बकर अल बगदादी इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसूल से करीब दो सौ किलोमीटर पश्चिम में अल-बाज नाम की जगह पर छुपा हुआ है. ये जगह बेहद कम आबादी वाली और अलग-थलग है. साथ ही आईएसआईएस का सबसे मजबूत गढ़ भी. दरअसल दूरदराज होने की वजह से अल बाज शुरू से अलग-थलग रहा है. 2003 में अमेरिकी सेना के कब्जे के दौरान भी इराक के इस इलाके में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी ना के बराबर थी. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक बगदादी के अल बाज में छुपने की कई वजहें हैं.
अल-बाज की आबादी मुश्किल से पांच हज़ार है. सीरिया में आईएस के कब्जे वाले इलाके से ये बेहद करीब है. हमले के दौरान बगदादी यहां से आसानी से सीरिया जा सकता है. कम आबादी के चलते आने-जाने वाले हर लोकल शख्स पर नजर रखी जा सकती है. बाहरी लोगों की फौरन पहचान हो जाती है. पूरे इलाके को फौरन जंग के मैदान में तब्दील किया जा सकता है. अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक जिस तरह ओसामा बिन लादेन ने पाकिस्तान में लो प्रोफाइल मेंटेंन करते हुए एबटाबाद जैसी सुनसान जगह को छुपने का अड्डा बनाया था करीब-करीब ठीक वैसा ही अल बाज है. बल्कि कई मामलों में ये एबटाबाद से भी बेहतर है. अल बाज भौगोलिक नजरिए से भी महफ़ूज है. हवाई हमले से बचने के लिए बंकर भी है. इमरजेंसी में भागने के कई रास्ते हैं. अल बाज में बगदादी के साथ आईएस का कोई बड़ा कमांडर नहीं है. आईएस के बाकी टॉप कमांडर मोसूल और रक्का में छुपे हैं.
अमेरिका और नाटो सेना सेटेलाइट और एयरक्राफ्ट के जरिए लगातार अल-बाज की हलचल पर नजरें गड़ाए हैं. खास तौर पर यहां आने और जाने वाले गाड़ियों के तमाम काफिलों पर. हालांकि अमेरिका का ये भी मानना है कि बगदादी जल्द ही इस इलाके को छोड़ भी सकता है. इसीलिए इसकी घेराबंदी के इंतजाम किए जा रहे हैं. अल बाज के अलावा अमेरिकी एजेंसियां रक्का की कुछ खास बिल्डिंग्स पर भी नजरें गड़ाए हैं. शक है बगदादी यहां भी हो सकता है. खबर ये भी है कि मार्च में अमेरिकी हमले के बाद जख्मी हुआ बगदादी अब बेहतर है और अब डेली ऑपरेशन का काम वो खुद ही देख रहा है. बगदादी अब लगातार अपने लोगों को खुद हुक्म दे रहा है.
रूस ने कमर कस ली है कि वो दुनिया में दहशत फैलाने वाले आतंक के आका बगदादी को सबक सिखा कर ही दम लेगा. और बस सीरिया में आतंक के उन तमाम अड्डों पर रूस के घातक हथियार बरस रहे हैं.