तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर लकी गुप्ता अग्रवाल ने अजीबो गरीब तरीके से जान दे दी. शहर के अमीरपेट इलाके के रहने वाला लकी जब रोज की तरह गुरुवार की सुबह नींद से नहीं उठा, तो घरवालों ने उसे जगाने की कोशिश की. लेकिन कई बार दस्तक देने के बावजूद जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला, तो घरवालों को शक हुआ.
जब लोग दरवाजा तोड़ कर अंदर गए तो कमरे का मंजर देखकर सबके पैरों तले जमीन खिसक गई. लकी सौफे पर अधलेटा पड़ा था. लग रहा था कि जैसे गहरी नींद में सो रहा हो. लेकिन उसके पास ही पड़े नाइट्रोजन गैस सिलेंडर, लकी के चेहरे पर लगा गैस मास्क और दो-दो सुसाइड नोट्स अपने-आप में पूरी कहानी कह रहे थे.
बिस्तर पर मिले दो सुसाइड नोट
लकी ने 20 अप्रैल 2016 की तारीख के साथ सुबह साढ़े चार बजे का वक्त लिखा और दो बार दस्तखत किए और फिर पुलिस के लिए लिखा कि 'इंटरनेट पर मौजूद तरीकों में नाइट्रोजन गैस और दम घुटना ही सबसे कम दर्दवाले मौत के तरीकों में से एक है.' ऐसे में इन सुसाइड नोट्स को देख कर इतना तो साफ था कि लकी ने अपनी मर्जी से जान दी और इसके लिए उसने नाइट्रोजन गैस को चुना था. बाद में छानबीन में ये बात साफ हुई कि वो एक सोशल नेटवर्किंग ऐप डवलप करना चाहता था. लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो सका और पिछले कई दिनों से डिप्रेशन में था. वह 17 मार्च को नाइट्रोजन गैस का सिलेंडर खरीद कर लाया था.