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दिल्ली की लड़की, ग्रेटर नोएडा में गैंगरेप

16 दिसंबर 2012 के गम और गुस्से के मौसम के बीच सब रेप, रेप के कानून और सज़ा को लेकर तमाम बहस और बातें कर रहे थें। पर क्या हुआ? तब बस की पिछली सीट पर कानून तार-तार हुआ था अब कुएं में कानून जा पहुंचा है.

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दिल्ली की लड़की, ग्रेटर नोएडा में गैंगरेप
दिल्ली की लड़की, ग्रेटर नोएडा में गैंगरेप

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दिल्ली में 16 दिसंबर की घटना के बाद सभी गुस्से में रेप, रेप के कानून और सज़ा को लेकर तमाम बहस और बातें कर रहे थें, पर क्या हुआ? तब बस की पिछली सीट पर कानून तार-तार हुआ था अब कुएं में कानून जा पहुंचा है.

दिल्ली की एक लड़की को बंधक बना कर 14 दिनों तक उसके सैथ गैंगरेप होता है. फिर आखिर में उसे गोली मारी जाती है. इसके बाद मुर्दा समझ कर उसे तीस फीट गहरे कुएं में फेंक दिया जाता है.

कुएं से मिली लड़की का जिस्म ज़ख्मी है और वह मशीन के सहारे सांस ले रही है. लड़की ठीक से खाना भी नहीं खा पा रही है क्योंकि जिस पेट में खाना पहुंचता है उस पेट में गोली धंसी है. बाकी जिस्म अंदर से कहां-कहां घायल है इसकी अभी जांच जारी है. मगर हालत देख कर खुद डॉक्टर हैरान हैं कि ये जिंदा कैसे बच गई? और फिर खुद डॉक्टर ही इसका राज़ भी खोल रहे हैं कि वो जीना चाहती है. जीतना चाहती है.बस इसलिए जी रही है.

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6 दिसंबर की घटना फिर दोहराई गई
तीन साल पहले के 16 दिसंबर को बस की पिछली सीट पर निर्भया के साथ जो हुआ था तीन साल बाद फिर वही दोहराया गया है. लड़की इस बार भी दिल्ली की है. इस बार भी लड़की को दिल्ली से उठाया गया। और फिर 14 दिनों तक उसे दिल्ली से करीब तीस किलोमीटर दूर ग्रेटर नोएडा में कैद कर नोचा जाता रहा. तब कानून का तमाशा बस में बना इस बार कानून कुएं में था. दिल्ली से 22 नवंबर को एक लड़की को अगवा किया जाता है. उसे गाड़ी में डाल कर दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा के एक फार्म हाउस पर ले जाया जाता है. इसके बाद अगले 14 दिनों तक तक वो रोजाना तीन से चार लड़कों की हवस का शिकार बनती है. फिर पंद्रहवें दिन जब लड़की भागने की कोशिश करती है तो उसे गोली मार दी जाती है.

लड़की ने सुनाई अपनी आबीती
गोलियों से घायल लड़की ने फकत इशारों भर में लरज़ती ज़ुबान से अपनी कहानी सुनाई, इसके बाद आईसीयू की खाली छत को खाली नज़रों से घूरती है। इतना सबकुछ देखने केबाद खुद लड़की के मां-बाप भी इतनी भी हिम्मत नहीं जुटा पाए कि वो उसके पास कुछ और सेकंड रुक पाते. वो बाहर आ गए और खुद भी रोने लगे.

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14 दिनों तक सुनसान फार्म हाउस में घुटती रही चीखें
14 दिनों तक एक सुनसान फार्म हाउस में वो कितनी बार चीखी होगी। हर रोज वो वहशी जब-जब उसे खाना देने आते पहले उसका जिस्म नोचते. वो बहुत चीखती पर उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी. वो वहशी पूरे 14 दिनों तक उसे उसी तरह नोचते-खसोटते रहे फिर हवस पूरी करने के बाद उसे फार्म हाउस में बंद कर चले जाते. यहां लड़की की चीखें को सुनने वाला कोई नहीं था.

गोली मार कर डाला कुएं में
दिल्ली से 22 नवंबर को एक लड़की को अगवा किया जाता है. उसे गाड़ी में डाल कर दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा के एक फार्म हाउस पर ले जाया जाता है. इसके बाद अगले 14 दिनों तक तक वो रोजाना तीन से चार लड़कों की हवस का शिकार बनती है फिर पंद्रहवें दिन जब लड़की भागने की कोशिश करती है तो उसे गोली मार दी जाती है. गोली मारकर लड़की को दिल्ली से करीब तीस किलोमीटर सलेमपुर गांव के बाहर खेतों के बीच सुनसान इलाके के तीस फीट गहरे कुएं में डाल दिया जाता है. लडकी कुएं के अंदर से ही चीखना शुरु करती है. गोली लगने के बाद जिस्म से लगातार खून बहता रहा। और वो जब तक चीख सकती थी चीखती रही, इस उम्मीद में कि शायद कोई उसकी चीख सुन ले। और आखिरकार पंद्रहवें दिन एक राहगीर ने कुएं से बाहर आती उसकी चीख सुनी और गांव वालों की मदद से उसे बाहर निकाला गया.

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दोस्त ही निकला दुश्मन
एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली 19 साल की लड़की सुबह करीब पांच बजे घर से दूध लेने बाहर आई थी. तभी उसे उसका एक दोस्त मिल गया. बात करते-करते वही दोस्त उसे सड़क किनारे खड़ी एक गाड़ी के करीब ले गया. इसके बाद अचानक लड़की को जबरन गाड़ी में बिठा लिया गया. गाड़ी में बिठाते ही उन्होंने लड़की को बेहोश कर दिया ताकि वो चीख-पुकार ना कर सके.

इसके बाद जब लड़की को होश आया तो उसने अपने आपको किसी सुनसान जगह पर एक कमरे में पाय. वो जगह शायद ग्रेटर नोएडा का तुगलपुर गांव था. गांव के ही एक फार्म हाउस में लड़की को ले जाकर रखा गया. इसके बाद पांच दिसंबर तक लड़की उसी फार्म हाउस में बंधक बन कर रही. उसे उठा कर लाने वाले लड़के जब फार्म हाउस से बाहर जाते तो ताला लगा कर जाते. इस दौरान लड़की मदद के लिए लगातार चीखती. पूरे 14 दिन तक उन लड़कों ने लगातार उसके साथ गैंगरेप किया. वही रोजाना लड़की के लिए खाना लेकर आते और फिर उसे नोचते.

लड़की को दो गोलियां मारी गई
पांच दिसंबर यानी शनिवार की शाम को लड़की को फार्म हाउस से भाग निकलने का मौका मिल गया. लेकिन लड़कों ने उसे रास्ते ही में पकड़ लिया और पकड़े जाने के डर से लड़की को दो गोली मारी. फिर उसे मुर्दा समझ कर रात करीब नौ बजे इसी कुएं में लाकर फेंक दिया. लड़की तब तक जिंदा थी और होश में भी। कुछ देर बाद जब उसे अंदाजा हो गया कि वो सब जा चुके हैं तब उसने मदद के लिए चीखना शुरू कर दिया.

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लड़की की बहादुरी देख डॉक्टर भी हैरान
डॉक्टर भी हैरान हैं कि आखिर ये लड़की जिंदा कैसे बच गई? लड़की ने बड़ी बहादुरी से अस्पताल में ही ना सिर्फ पुलिस को बल्कि मजिस्ट्रेट के सामने भी अपना बयान दिया. लड़की ने उन लड़कों के नाम भी बताए जिन्होंने उसके साथ गैंगरेप किया. लड़की की शुरूआती इलाज के बाद दिल्ली पुलिस की देखरेख में उसे अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस के मुताबिक लड़की बोलने की हालत में है और उसने अपना बयान भी दे दिया है. पुलिस के मुताबिक शुरूआती बयान में उसने कृष्ण, विपिन और बंटी नाम के लड़कों के नाम लिए हैं. इनमें से एक लड़की का दोस्त है बाकी उस दोस्त के दोस्त.

आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस
पुलिस के मुताबिक सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट ने भी अस्पताल जाकर लड़की का बयान कलमबंद कर लिया है. उसी बयान के बाद अब पुलिस उन तमाम लड़कों की तलाश में जुट गई है. उधर डाक्टरों की मानें तो फिलहाल लड़की की हालत स्थिर है. कई ऑपरेशन हो चुके हैं और सने और पेट से छर्रे निकालने की कोशिश की जा रही है. हालांकि गोली लगने के बाद पूरी रात कुएं में पड़ी रहने की वजह से उसके जिस्म से बहुत सारा खून बह चुका है.

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16 दिसंबर के बाद भी नहीं बदला कुछ ?
16 दिसंबर 2012 के बाद एक उम्मीद बंधी थी कि अब कोई और मासूम किसी पागल वहशी का शिकार नहीं होगी? पर दिल्ली और देश दोनों ही जगह ना रेप की वारदात कम हुई हैं. इसी 16 दिसंबर को निर्भया हादसे को तीन साल पूरे हो जाएंगे पर उसके गुनहगारों का केस अब भी अदालत में लटक रहा है. आखिरी सजा का आज भी इंतजार है. जिस निर्भया ने पूरे देश को रेप के खिलाफ एक जुट कर दिया था. उस केस को भी तीन साल गुजर गए और आज भी वो केस अपने अंजाम का ही इंतजार ही कर रहा है.

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