एक चोर तीन दिनों का वक्त लेकर छत तोड़कर बैंक में दाखिल होता है. घूम-घूमकर वो बैंक का हर कोना छान मारता है. तीन दिनों तक वो चोरी के तमाम साजो-सामान के साथ-साथ खाने-पीने की चीजें लेकर कई बार बैंक के अंदर-बाहर होता रहता है. उसकी निगाह बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम में पड़े लाखों रुपयों पर है, लेकिन इससे पहले कि उसकी साजिश अंजाम तक पहुंचती, अचानक कहानी में एक ट्विस्ट आ जाता है.
ऐसी अजीब चोरी ना तो इससे पहले कभी किसी ने देखी और ना ही सुनी. एक ऐसी चोरी जिसमें चोर पूरे तीन दिनों तक ना सिर्फ इत्मीनान से एक बैंक में चोरी करता रहा बल्कि अपनी जरूरतों के हिसाब से इन तीन दिनों में वो कभी बैंक से अंदर गया तो कभी बाहर निकला. एक ऐसी चोरी जिसमें चोर ना सिर्फ पेचकस, हथौड़ा और इलैक्ट्रिक कटर जैसे साजो-सामान लेकर अंदर दाखिल हुआ बल्कि तीन दिनों के इस थकाऊ काम पर डटे रहने के लिए अपने साथ फल, शराब और नमकीन जैसी खाने-पीने की चीज़ें भी लेकर लेकर गया.
शुक्रवार 14 अगस्त रात साढ़े 9 बजे
गाजियाबाद के मुरादनगर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री शाखा में एक चोर चुपके से दाखिल होता है. छत में छेद कर वो पहले बैंक के अंदर घुसता है और फिर थोड़ी देर सुस्ताने के बाद पूरे बैंक का जायजा लेता है. दरअसल, चोर के निशाने पर बैंक का वो स्ट्रॉन्ग रूम है, जिसमें लाखों रुपए रखे हैं. लेकिन बैंक में चोरी करने से पहले से वो माहौल को पूरी तरह भांप लेना चाहता है. चूंकि ये 14 अगस्त की रात है चोर के पास अपने इरादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए और दो दिनों का वक्त है. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी है जबकि 16 अगस्त को रविवार है.
अब ये चोर 14 और 15 अगस्त की पूरी दरम्यानी रात बैंक में आराम से घूमता-फिरता और स्ट्रांग रूम तोड़ने की कोशिश करता रहता है. इस कोशिश में कभी वो सीसीटीवी में हथौड़े के साथ नजर आता है, कभी इलेक्ट्रिक कटर के साथ तो कभी किसी बक्से के साथ. लेकिन चूंकि स्ट्रॉन्ग रूम में घुसना इतना आसान नहीं है. वो पूरे माहौल को भांपने के बाद अगले दिन यानी 15 अगस्त की सुबह तकरीबन साढ़े पांच बजे बैंक से बाहर निकल आता है. इस रोज तो वो पूरे दिन बैंक से दूर रहता है, लेकिन अगले रोज यानी रविवार 16 अगस्त की सुबह साढ़े 5 बजे वो फिर से बैंक में दाखिल होता है.
चोरी के लिए पूरे एक दिन का वक्त
सोमवार 17 अगस्त सुबह 10 बजे बैंक खुलने वाला है. लेकिन इस रोज कहानी में एक बड़ा अजीब ट्विस्ट आता है. गाजियाबाद के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री शाखा में घुसे इस चोर को अब तकरीबन दो दिनों का वक्त गुजर चुका है. 14 और 15 अगस्त की दरम्यानी रात से शुरू हुई चोरी की ये कोशिश लगातार तीसरे दिन यानी 16 अगस्त को भी जारी है. लेकिन वो पहले दिन की तरह ही बैंक में खटर-पटर करने से पहले पूरी तरह मुतमईन हो लेना चाहता है. ताकि उसके अंदर होने की किसी को कानों-कान खबर ना हो. लिहाजा, वो दिन भर तो खामोशी से काम करता है, लेकिन शाम होते ही एक बार फिर हथौड़े और इलेक्ट्रिक कटर के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में शुरू हो जाता है.
इस दौरान वो कभी वॉशरूम जाता है, कभी खुला हवा में सांस लेने के लिए किसी और कमरे में और कभी नए सिरे से अपने काम में जुट जाता है. यहां तक कि चोरी की इस कोशिश में अब उसके कपड़े भी कुछ इस कदर गंदे हो चुके हैं. देखकर लग रहा है कि वो बैंक के अंदर चोरी नहीं कर रहा बल्कि किसी वर्कशॉप में खराब पड़ी किसी मशीन की मरम्मत में लगा है.
रविवार 16 अगस्त रात साढ़े 10 बजे
दरअसल, बैंक की इस शाखा से सटे एटीएम सेंटर में रुपये निकालने की गरज से एक कस्टमर की एंट्री होती है. लेकिन इस दौरान उसे एटीएम सेंटर के दूसरी तरफ बैंक के अंदर कभी लाइट जलती नजर आती है और कभी बुझती. यहां तक कि उसे इतनी देर रात को बैंक के अंदर से खटर-पटर की आवाज सुनाई देती है. जल्द ही हथियारबंद पुलिसवाले पूरे बैंक को घेर लेते हैं. तलाशी शुरू की जाती है और इसी सिलसिले में पुलिसवालों को बैंक की छत पर बना वो सुराख भी नजर आता है, जिससे होकर चोर अंदर घुसा है.
अब मैनेजर को बुलाकर बैंक का ताला खोला जाता है और अंदर से चोर महाशय रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. बैंक का स्ट्रॉन्ग रूम तो खैर अब तक महफूज है, लेकिन चोर के पास मौजूद हथौड़ा, कटर, पेचकस, देसी पिस्तौल और खाने-पीने की तमाम चीजें देखकर पुलिस भी हैरान रह जाती है. लेकिन उसकी हैरानी की सारी हदें तब खत्म हो जाती है, जब चोर अपनी पहचान बताता है.
इंजीनियर निकला चोर
बैंक में सेंधमारी और सेंधमारी के जरिए लाखों की चोरी में जब गुनहगार के चेहरे से नकाब हटा, तो खुद पुलिसवाले भी चौंक गए. ये चोर एक इलैक्ट्रिकल इंजीनियर था, लेकिन 35 लाख रुपये की जरूरत ने उसे चोर बना दिया.
चेहरे मोहरे से निहायत ही शरीफ और ईमानदार नजर आने वाले जनाब दीपक मंदरवाल पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में सेंधमारी के बाद स्ट्रॉन्ग रूम तोड़ने की कोशिश करने का इल्जाम है. दरअसल, 37 साल का इंजीनियर दीपक गुड़गांव की एक कंपनी में ठेकेदारी करता था. उसने अपने इस काम के लिए कहीं से 35 लाख रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन अपने धंधे में हुए नुकसान के बाद उसने इसकी भरपाई के लिए सीधे बैंक में सेंधमारी करने का ही प्लान बना लिया. दीपक इन दिनों दिल्ली में रहता है. लेकिन कुछ साल पहले मुरादनगर में रहने के दौरान वो ना सिर्फ बैंक की इस शाखा में आता-जाता था बल्कि उसे ये भी पता था कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की शाखा होने के बावजूद यहां सिक्योरिटी आम तौर पर कम ही होती है.
इसके बाद उसने ना सिर्फ तकरीबन दस दिनों तक बैंक की रेकी की बल्कि बाकायदा अपनी कार के साथ यहां सेंधमारी के लिए पहुंच गया. लेकिन इससे पहले कि वो सेंधमारी कर अपने घाटे की भरपाई करता, उसकी पोल खुल गई.