कहते हैं कि दुनिया में लोग सारी मेहनत पेट के लिए ही करते हैं. ये कहानी भी पेट की है. पर जरा हटकर. हटकर इसलिए क्योंकि यहां पेट के लिए पेट को ही दांव पर लगा दिया जाता है.
कल्पना कीजिए. आपसे कोई ऐसा शख्स टकरा जाए जो पेट में पचास-सौ साबुत कैप्सूल लिए घूम रहा हो तो उसे आप क्या कहेंगे? ये कहानी करोड़ों रुपये के ऐसे ही पेट की है. दुनिया की निगाहों से दूर बंद कमरे में एक शख्स कोई कैप्सूल जैसी चीज तैयार करने में जुटा है. वो एक-एक कर प्लास्टिक और रबर की छोटी-छोटी थैलियों में कोई पाउडर भरता है और फिर उन्हें कैंडल की लौ में गर्म करते हुए सील कर किनारे रखता जाता है.
अब कैप्सूल तैयार हो चुका है और उन्हें खाने की बारी है. लेकिन इसके लिए पानी या किसी ड्रिंक की मदद नहीं लेनी है बल्कि कैप्सूल को एक खास तरह के सॉल्यूशन में डुबोने के बाद सीधे हलक से नीचे उतार लेना है. कैप्सूल बनाकर उन्हें खाने यानी हलक के नीचे उतारने की इस हरकत को अब 24 घंटे से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन उसके पेट की अंदरुनी तस्वीर अब भी ठीक वैसी ही है जैसी उन्हें निगले जाने के तुरंत बाद थी. यानी ना तो ये कैप्सूल उसके पेट में घुल रहे हैं और ना ही इसमें रखी दवा का उस शख्स पर कोई असर ही हो रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस शख्स ने इतने सारे कैप्सुल से अपना पेट आखिर क्यों भर लिया है? चोरी-छिपे कैप्सूल बनाने से लेकर उन्हें इस तरह पेट में पहुंचाने की ये कहानी जितनी रहस्यमयी है, इसके आगे की बात उतनी ही चौंकाने वाली. क्योंकि उन कैप्सूल में ना तो कोई दवा भरी है और ना ही ये शख्स अपना इलाज ही कर रहा है. सच्चाई तो ये है कि इस तरह बनाए गए हरेक कैप्सूल में जहर भरा है.
सवाल यह है कि जब एक कैप्सूल के फटने से ही इन्हें निगलने वाले शख्स की जान जा सकती है, तो फिर ये शख्स इस तरह एक-एक कर दस, बीस, तीस, चालीस, पचास या फिर उससे भी ज्यादा कैप्सूल से क्यों अपना पेट भर रहा है?
दरअसल जहर भरे इस एक-एक कैप्सूल की कीमत लाखों रुपये है. यानी उस एक शख्स के पेट में करोड़ों रुपये भरे हुए हैं.
एक खूफिया जानकारी
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को खबर मिलती है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक शख्स बहुत कीमती चीज लेकर आने वाला है. एयरपोर्ट पर जाल बिछाया जाता है. वो शख्स आता है और उसे पकड़ भी लिया जाता है. लेकिन तमाम तलाशी के बावजूद उसके पास से ऐसा कुछ नहीं मिलता. आखिर में ये मान कर कि शायद खबर गलत थी अफसर उसे छोड़ने का फैसला कर लेते हैं. लेकिन उससे पहले वो उसे चाय-कॉफी और कुछ खाने को ऑफर करते हैं. वो मना कर देता है और बस यहीं पर अफसरों के कान खड़े हो जाते हैं.
दरअसल, उसे पानी और कॉफी के ऑफर के पीछे शिष्टाचार कम और एनसीबी के अफसरों की चाल ज्यादा थी. ऐसी चाल जिसे वो अक्सर ऐसे स्वालोअर्स को चित करने के लिए आजमाते रहे हैं. आम तौर पर पेट में कोकीन या हेरोइन जैसे ड्रग छिपाने वाले सोलोअर्स इन्हें बाहर निकालने से पहले कुछ भी खाने पीने से बचते हैं. इस शख्स के साथ भी ऐसा ही है. मेडिकल जांच में साफ होता है कि अफीक्री मूल के बॉबी कोलींस नाम के इस शख्स ने 65 कैप्सूल की शक्ल में पेट में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये की कोकीन छिपा रखी है.
ये पहला मौका नहीं है जब अपने पेट में करोड़ों रुपये का नशा छुपाकर कोई हिन्दुस्तान पहुंचा. इससे पहले भी कई विदेशियों को नारकोटिक्स ब्यूरो रंगे हाथों पकड़ चुका है. गनीमत यही रही कि इस बार पेट में छुपे कैप्सूल में से कोई फटा नहीं. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हिन्दुस्तान पहुंचने से पहले ही कोकीन से भरा कैप्सूल फट गया और कैरियर की मौत हो गई.