सियासत जब इज्जामों तक हो तो वो सियासत रहती है, लेकिन इल्जामों के बीच जब पुलिस की एंट्री हो जाए तो सियासत को गुनाह बनते देर नहीं लगती. आम आदमी पार्टी के साथ इन दिनों कुछ ऐसा ही है. एक नेता पर लगा इल्जाम हटता नहीं कि दूसरा नेता इल्जामों से घिर जाता है. खास बात ये कि इन इल्जामों में फर्जीवाड़ा और जालसाजी से लेकर बीवी को पीटने तक के आरोप शामिल हैं.
आम आदमी पार्टी के कई नेता इन दिनों अपने कामकाज से इतर विवादों और आरोपों के कारण सर्खियों में हैं. लेकिन सुर्खियों की बात अगर केवल सियासी इल्जामों तक महदूद होती तो गनीमत थी. यहां तो तकरीबन हर मामले में पुलिस की एंट्री हो चुकी है और तकरीबन हर मामला अदालत की दहलीज पर है.
विवादों में वाइल्ड कार्ड एंट्री
आम आदमी पार्टी के कुछ नगीने गिरफ्तार हो चुके हैं तो कुछ के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. लेकिन विवादों के इस खेल में जिस नेता की वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है वो कोई और नहीं बल्कि पार्टी की पिछली सरकार में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती हैं. फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार होकर तोमर सुर्खियों की इस रेस में सबसे आगे चल रहे थे. लेकिन तोमर के पीछे मुड़ते ही सोमनाथ पर जो इल्ज़ाम लगा उसने उनके सारे साथियों को जैसे एक ही झटके में पीछे छोड़ दिया.
बीवी ने खोला मोर्चा
कानून मंत्री रहते हुए विदेशी महिलाओं के साथ बदसलूकी के इल्जामों से घिर कर सोमनाथ पहले ही विरोधियों और महिला संगठनों के निशाने पर थे. इस बार तो खुद उनकी बीवी ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. दिल्ली महिला आयोग के दफ्तर पहुंची भारती की बीवी लिपिका मित्रा भारती ने ये खुलासा कर सबको चौंका दिया कि कानून के पहरेदार रहे भारती उन्हें अक्सर पीटते हैं.
लिपिका का कहना है कि ऐसा अब से नहीं बल्कि सालों से चल रहा है. सोमनाथ उन्हें घर चलाने के लिए ठीक-ठाक खर्चा तक नहीं देते. अब चूंकि इल्जाम एक ऐसे शख्स पर था जो सियासत के रास्ते देश सेवा करने का दम भरते हैं. महिला आयोग ने भी उन्हें तलब करने में कोई देरी नहीं की. सोमनाथ को समन तो भेजा ही लगे हाथ महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने पुलिस से भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील कर डाली.
...तब तिरुवनंतपुरम में थे सोमनाथ
बीवी जब महिला आयोग में दस्तक देने पहुंची तो सोमनाथ तिरुवनंतपुरम में थे. लेकिन बीवी के इस कदम से अचानक ही जैसे चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. हालांकि किसी मंझे हुए सियासतदान के अंदाज में उन्होंने न सिर्फ अपनी बीवी के तमाम इल्जामों को हवा में उड़ा दिया बल्कि उल्टा ये इल्जाम जड़ दिया कि ये उनकी बीवी ही है, जो उनकी बुजुर्ग मां को घर से निकालने और सियासत छोड़ने के लिए उन पर दबाव बना रही है. सोमवानाथ भारती ने साफ कहा कि वो न तो अपनी मां की सेवा करना छोड़ सकते हैं और ना ही मातृभूमि की.
आगे पढ़ें, कैसे कॉलेज का रास्ता भूल गए तोमर...{mospagebreak}फर्जीवाड़े के इल्जामों से घिरे दिल्ली के कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर पर पुलिस का रियलिटी चेक भारी पड़ने लगा है. पुलिस तोमर को लेकर हर उस ठिकाने तक जा रही है, जहां से उन्होंने पढ़ाई करने और डिग्रियां हासिल करने का दावा किया है. लेकिन इन ठिकानों के रियलिटी टेस्ट में तोमर फेल होते नजर आ रहे हैं.
किसी टीचर का पढ़ाया स्टूडेंट अगर किसी सूबे का मंत्री बन जाए तो अपने उस स्टूडेंट से मिलकर टीचर की मनोदशा कैसी होती होगी? और मंत्री भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि दिल्ली की सरकार में कानून मंत्री. लेकिन फैजाबाद के साकेत डिग्री कॉलेज में जब दिल्ली में कानून मंत्री रह कर लौटे जितेंद्र सिंह तोमर अपने शिक्षकों से मिले तो न टीचर भावुक हुए और न ही तोमर साहब पर कोई असर हुआ. पांव छूने और गले लगाने की बात तो दूर रही.
तोमर को नहीं मालूम कॉलेज का रास्ता
गुरुजी ने न तो अपने छात्र को पहचाना और न ही छात्र ने अपने गुरुजी को. सूत्रों की मानें तो गुरुवार को तोमर का उनके जमाने में कॉलेज में पढ़ा चुके कई शिक्षकों यहां तक कि एक प्रिंसिपल से भी आमना-सामना हुआ, लेकिन कोई भी एक-दूसरे को नहीं पहचान सका. पुलिस को लगा कि शायद शिकंजे में आकर तोमर साहब की याददाश्त कमज़ोर पड़ गई होगी, गुरुजी तो बुजुर्ग हैं ही. तोमर साहब को एक बार कॉलेज घुमाए देते हैं, लेकिन यहां भी जब तोमर साहब को साइंस के लैब में चलने के लिए कहा गया तो वो बाथरूम की तरफ चल दिए. प्रिंसिपल चैंबर की तरफ चलने को कहा गया तो वो लैब की तरफ मुड़ गए.
फर्जी डिग्री मामले में मंगलवार को गिरफ्तार हुए जितेंद्र तोमर को लेकर दिल्ली पुलिस उनके डिग्रियों का वैरीफिकेशन करने निकली है. दिल्ली से लखनऊ फिर लखनऊ से फैजाबाद पहुंची पुलिस अब वापस लखनऊ से बिहार या फिर दिल्ली का रुख कर सकती है.
आगे पढ़ें, अपनी डिग्री को लेकर कनफ्यूज विधायक के बारे में...{mospagebreak}वो जब पहली बार चुनाव लड़े तो खुद को बताया बीए पास. जब दूसरी बार लड़े तो बताया दसवीं पास. अब जो विधायक महज दो साल में हुए दो-दो चुनावों के दौरान खुद अपनी डिग्री को लेकर इतना कनफ्यूज हो, उस पर तो शक होना लाजिमी है. आम आदमी पार्टी के विधायक विशेष रवि फर्जी डिग्री के इस खेल का सबसे ताजा चेहरा हैं. ठीक जितेंद्र सिंह तोमर और कमांडो सुरेंद्र की तरह ही विशेष रवि पर भी इल्जाम है कि उन्होंने 2013 में विधान सभा चुनाव लड़ने के दौरान अपनी शिक्षा का गलत हलफनामा दिया था. वो ग्रेजुएट हैं ही नहीं और खुद को ग्रेजुएट बता रहे थे.
दरअसल, विशेष ने 2013 में जब चुनाव के लिए नामांकन भरा तो खुद को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट बताया, लेकिन जब 2015 में उन्होंने नामांकन भरा तो खुद को 10वीं पास बताते हुए इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी यानी इग्नू से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने की बात कही. प्लस टू यानी इंटर की पढ़ाई कहां से की, इसका पता नहीं. यानी पहली बार कही गई ग्रेजुएशन की बात झूठी थी.
कहते हैं जब दोस्त दुश्मन बन जाए, तो दुश्मनी ज्यादा गहरी होती है. सो कभी आम आदमी पार्टी के नेता रहे राजेश गर्ग इस बार कायदे से दुश्मनी निकाल रहे हैं. उन्होंने ना सिर्फ इस मामले का खुलासा किया है बल्कि थाने में जाकर बाकायदा विशेष के खिलाफ तहरीर देकर आए हैं.
कमांडो भी फंसे डिग्री के फेर में
तो क्या आम आदमी पार्टी के विधायक कमांडो सुरेंद्र की ग्रैजुएशन की डिग्री भी जाली है? वो जिस यूनिवर्सिटी से खुद के पासआउट होने की बात कहते हैं, उसने आरटीआई के जवाब में कुछ ऐसा ही कहा है और अगर कमांडो सुरेंद्र अदालत से मिले तय वक्त में अपनी ये डिग्री सही नहीं साबित कर पाए तो मुमकिन है शायद उनका भी हश्र तोमर जैसा ही हो.