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298 लाशें और एक खामोश सफर

एक ऐसा सफर जिसके बारे में सोच कर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं. कहां तो उड़ना था उन्हें आसमान में और कहां आसमान ही उनपर टूट पड़ा. यही नहीं, जब जमीन पर आए तो ऐसे बिखरे मलबे की शक्ल में कि समेटने में ही पांच दिन लग गए. इसके बाद 298 लाशों को समेट कर ताबूत में रख दिया गया ताकि आगे का सफर पूरा किया जा सके. एक ऐसी ट्रेन का सफर जिसमें यात्री सि‍र्फ मुर्दे थे.

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एक ऐसा सफर जिसके बारे में सोच कर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं. कहां तो उड़ना था उन्हें आसमान में और कहां आसमान ही उनपर टूट पड़ा. यही नहीं, जब जमीन पर आए तो ऐसे बिखरे मलबे की शक्ल में कि समेटने में ही पांच दिन लग गए. इसके बाद 298 लाशों को समेट कर ताबूत में रख दिया गया ताकि आगे का सफर पूरा किया जा सके. एक ऐसी ट्रेन का सफर जिसमें यात्री सि‍र्फ मुर्दे थे.

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बीते 17 जुलाई तक सभी जीते-जागते इंसान थे. हंस रहे थे. खुश थे और उसी खुशी में चूर हवाई जहाज में उड़े. लेकिन अफसोस सफर अधूरा रह गया. उसी अधूरे सफर को अब कुछ इस तरह पूरा किया गया. हवा में जिस सफर का आगाज हुआ था उस सफर को आगे बढ़ाने के लिए जमीन पर एक ट्रेन खड़ी की गई. ट्रेन में 298 मुसाफिरों को ताबूत में लिटाया गया. ताबूत में लेटे भी कुछ पूरे थे तो कुछ टुकड़ों में. खैर, 298 लाशों को ट्रेन में सवार किया जता है और इसके बाद ट्रेन चल पड़ती है. शायद ये दुनिया की पहली ट्रेन होगी जिसकी हर सीट पर बस मुर्दे थे.

मलबे की शक्ल में लाशों का तांता
याद कीजिए तो 17 जुलाई को मलेशियन एयरलाइंस की उड़ान MH-17 को 35 हजार फीट की ऊंचाई पर मिसाइल से मार गिराया गया था. विमान के मलबे में 298 लोगों की लाशें भी शामिल थीं. यूक्रेन के बागी गुट के कब्जे वाले इस इलाके में हादसे के बाद 15 कलोमीटर के दायरे में विमान का मलबा फैल गया था. उसे समेटने में पूरे पांच दिन लग गए. पांच दिन बाद आधी-अधूरी जली-कटी लाशों को इकट्ठा किया गया. हर लाश को अंदाज से बैग में भरा गया. फिर लंबी बातचीत के बाद रूस समर्थक यूक्रेन का बागी गुट सभी लाशें नीदरलैंड और विमान का ब्लैक बॉक्स मलेशिया को सैंपने पर राजी हो गया.

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इसके बाद पांच बड़े रफ्रीजरेटर वाली गाड़ियों में लाशों को रख कर उन्हें यूक्रेन के बागी गुट के कब्जे वाले खारकीव शहर लया गया. स्टेशन पर स्पेशल 'द डेथ ट्रेन' पहले से तैयार खड़ी थी. इसके बाद बगियों की मौजूदगी में 298 लाशें और विमान का ब्लैक बॉक्स मीडिया के सामने यूक्रेन, मलेशिया और नीदरलैंड सराकर के नुमाइंदों के हवाले कर दिया गया. लाशें ट्रेन में रखी गईं और ट्रेन खारकीव से रवाना हो गई.

करीब 12 घंटे की इस सबसे खामोश और खौफनाक सफर के बाद ट्रेन यूक्रेन सरकार के कब्जे वाले शहर टोनेसतक के रेलवे स्टेशन पर पहंचती है. यहां दुनिया भर की मीडिया का पहले से भारी जमावड़ा था. ट्रेन से एक-एक कर लाशें उतारी जाती हैं. हादसे में सबसे ज्यादा 198 लोग नीदरलैंड के मारे गए थे लिहाजा नीदरलैंड ने पहले से ही टोनेतसक एयरपोर्ट पर रॉयल ऑसट्रियन एयर फोर्स का बोइंग खड़ा कर रखा था.

...सफर का अंतिम पड़ाव
यहां से फिर एक नया सफर शुरू होता है. 198 लाशें लेकर बोइंग नीदरलैंड के लिए उड़ जाता है, जबकि बाकी की लाशें लेकर दूसरे विमान मलेशिया और दूसरे मुल्कों के लिए उड़ जाते हैं और इस तरह 17 जुलाई को जो सफर शुरू हुआ था और जिसे 16 घंटे मे पूरा हो जाना था, वो छह दिन बाद पूरा हो सका. वो भी अधूरी शक्ल में.

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