भला दसवीं या इंटरमीडिएट के इम्तेहान की खबर भी देश भर में कई दिनों तक सुर्खियों बटोर सकती है? या यूं कहें कि इम्तेहान का वारदात से क्या ताल्लुक? पर क्या करें जब बात मैट्रिक या इंटर की हो और इम्तेहान अपने यूपी-बिहार में हो रहा हो तो फिर कुछ भी मुम्किन है. हम सबने तो ये कई बार सुना है कि पप्पू पास हो गया. पर पप्पू इम्तेहान ऐसे पास करेगा ये अंदाजा नहीं था. बिहार और यूपी में धड़ल्ले से नकल कर रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा इसका भी अंदाजा आराम से लगाया जा सकता है.
नकल के मामले में यूपी तो बिहार से भी आगे निकल चुका है. दोनों राज्यों में इस वक्त बोर्ड और इंटर के इम्तेहान चल रहा है. वहीं बिहार में सिर्फ इंटर का. हालांकि इम्तेहान देने वालों में बड़ी तादाद में काबिल बच्चे भी शामिल हैं लेकिन असली खले कमरों के अंदर चल रहे हैं. लोग जान जोखिम में डालकर कई-कई मंजिलों पर लटक के भी अपने बच्चों को नकल करवा रहे हैं.
यूपी के मथुरा के एक सरकारी स्कूल का मामला ताजा है. जहां खुल्लमखुल्ला नकल चली. बाहर से फर्रे आए और अंदर धड़ाधड़ फर्रे छापे गए. इतना ही नहीं परीक्षा दे रहे बच्चों के रिश्तेदार और हमदर्द खेतों में बैठकर भी पर्चे सॉल्व करने में लगे हुए हैं. जालौन में भी ऐसा ही मामला देखने को मिला. यह सब कुछ समझौते और प्लानिंग के तहत हो रहा है. अगर एक अपनी कॉपी लिख चुका है तो दूसरे सवाल के लिए दूसरे से कॉपियों की अदला-बदली की जाती है. बिंदास सामने टेबल पर फर्रे रख कर जवाब उतारे जाते हैं. इस मामले में लड़कियां भी पीछ नहीं हैं.
पास करवाने के लिए लेते हैं सुपारी
यूपी के फर्रुखाबाद और हाथरस में तो बाकायदा नकलचियों के ऐसे सिंडिकेड का खुलासा हुआ है, जहां पप्पुओं के टीचर खुद मुन्नाभाई बन बैठे हैं और पप्पुओं को पास करवाने के लिए बाकायदा सुपारी रहे हैं, नकल करवाने का ठेका निकाल रहे हैं. अब इनमें जो ईमानदार और काबिल छात्र हैं, उनका दम घुट रहा है और यही वजह है कि नक्कालों के ऐसे गैंग्स की शिकायत अब पुलिस तक जा पहुंची है. देवरिया में तो नकल कराने की फीस न देने पर एक गुरुजी ने अपने ही स्टूडेंट की कान पर ऐसा तमाचा रसीद किया कि बेचारे बच्चे की कान का पर्दा ही फट गया.
बिहार में भी हाल है बेहाल
बिहार के समस्तीपुर के गुरुकुल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चिटिंग की शिकायत मिली तो डीएम साहब खुद आ पहुंचे लेकिन जब जांच हुई तो छात्रों के पास से कुछ इतनी चिट मिली कि उन्हें ले जाने के लिए सरकारी मुलाज़िमों को बोरी का इंतज़ाम करना पड़ा. यानी बोरी भर कर चिट निकाली गई. कुछ यही आलम छपरा का भी था. इस मामले में 17 छात्र, 20 अभिभावक और तो और 4 टीचर भी नप गए. सिर्फ समस्तीपुर ही नहीं गया से लेकर छपरा और छपरा से लेकर सिवान तक हर जगह मंज़र तकरीबन एक ही सा नज़र है. कहीं कपड़ों के भीतर पुर्ज़े मिले, कहीं हाथ-पैरों पर लिखा जवाब मिला, तो कहीं एक्ज़ाम सेंटर के बाहर नकल करवाने पहुंचे घरवालों की उछल कूद नज़र आई. चोरी के खेल में नैतिकता किस चिड़िया का नाम है, ये यहां शायद ही किसी को पता है.