बीएसपी सांसद नरेंद्र कश्यप के घर से अचानक एक चौंकानेवाली ख़बर आती है. ख़बर ये कि सांसद महोदय की बहू ने खुद को बाथरूम में बंद कर गोली मार ली. लेकिन भरे घर में. न तो किसी को इस गोली की आवाज़ सुनाई देती है और न ही पुलिस को मौका-ए-वारदात पर कोई हथियार ही पड़ा मिलता है. तो क्या ये खुदकुशी है? क़त्ल है? या फिर.. कुछ और है? ये सवाल अभी हर किसी के ज़ेहन में तैर ही रहे थे कि इस मौत के राज़ से पर्दा हटाती. एक और चौंकानेवाली कहानी सामने आ जाती है.
सांसद नरेंद्र कश्यप की बहू और उनके बड़े बेटे डॉक्टर सागर की बीवी हिमांशी को गोली लगी है. गोली भी ऐसी-वैसी जगह नहीं, बल्कि सिर में और वो भी बेहद क़रीब से. आनन-फानन में घर के लोग हिमांशी को लेकर गाज़ियाबाद के ही यशोदा अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने हिमांशी को मुर्दा करार दे दिया था. चूंकि मामला रहस्यमयी हालात में हुई मौत का था, फौरन इस मामले में पुलिस की भी एंट्री हो गई. ससुरालवाले हिमांशी की मौत को खुदकुशी बता रहे हैं.
ससुरवालों ने सुनाई यह कहानी
हिमांशी की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के साथ-साथ पुलिस की एक टीम सांसद महोदय की कोठी में जा पहुंची. कश्यप परिवार ने पुलिस को बताया कि वारदात से पहले सुबह घर में हिमांशी के अलावा खुद नरेंद्र कश्यप और उनकी पत्नी, दो भतीजे, एक भांजा, हिमांशी की डेढ़ साल की बेटी, एक मेड और गनर मौजूद थे. लेकिन इत्तेफ़ाक से हिमांशी के अलावा ये सभी के सभी लोग घर के ग्राउंड फ्लोर पर थे और हिमांशी अकेली फर्स्ट फ्लोर के अपने बाथरूम में नहाने गई थी.लेकिन जब काफ़ी देर तक वो नीचे नहीं लौटी, तो हिमांशी की सास ने घर में मौजूद एक लड़के को उसे बुलाने के लिए भेजा.
कई बार बुलाने और दस्तक देने के बावजूद बाथरूम में बंद हिमांशी ने कोई जवाब नहीं दिया. ससुरालवालों के मुताबिक हिमांशी की खामोशी से उन्हें शक हुआ और उन्होंने फौरन बाथरूम का दरवाज़ा तोड़ दिया. अंदर हिमांशी खून से लथपथ बाथरूम में औंधे मुंह पड़ी थी और पास ही उसके पति डॉक्टर सागर का लाइसेंसी रिवॉल्वर भी पड़ा था. यानी हिमांशी ने खुद को गोली मार ली थी. फौरन घरवाले हिमांशी को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
चार वजहों से पुलिस को ससुरवालों पर शक
मामला इतना सीधा भी नहीं था, जितना बताया गया. मोटे तौर पर इसकी चार वजहें थीं. अव्वल तो ये कि ससुरालवालों हिमांशी के खुदकुशी करने की बात तो कह रहे थे, लेकिन वे खुदकुशी की कोई साफ़ वजह नहीं बता सके. दूसरी ये कि घर में इतने लोगों के होने के बावजूद किसी ने फायरिंग की कोई आवाज़ नहीं सुनी. तीसरी ये कि वारदात की सुनाई गई कहानी से मौका-ए-वारदात पर कई चीज़ें मेल नहीं खा रही थीं. और चौथी ये कि जैसे ही ये खबर बदायूं के रहनेवाले हिमांशी के घरवालों को मिलीं, उन्होंने लंबे वक्त से हिमांशी को दहेज के लिए सताए जाने का इल्ज़ाम लगा दिया.
जाहिर है, मामला पहली नज़र से ही रहस्यमयी है. लेकिन अब इन बातों ने मामले को और भी उलझा दिया है. तो क्या हिमांशी ने वाकई खुदकुशी की? किसी ने उसका क़त्ल कर दिया? या फिर इस मौत की कहानी कुछ और है? तफ्तीश अभी जारी है.