करीब सवा महीने पहले 239 मुसाफिरों को लेकर उड़ा मलेशियाई एयरलाइंस का MH370 विमान क्या हिंद महासगर में क्रैश हो चुका है? क्या उसमें सवार सभी 239 लोग मारे जा चुके हैं? या फिर MH370 विमान और उसमें सवार सभी 239 लोग अब भी सुरक्षित हैं? पिछले महीने 24 मार्च को मलेशिया के प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि विमान क्रैश हो चुका है और उसमें सवार सभी लोग मारे जा चुके हैं. लेकिन अब रूसी खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि विमान को हाईजैक किया गया है और उसे छुपाकर रखा गया है.
मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद नजीबतुन रज्जाक ने जब अधिकारिक रूप से खबर दी कि मलेशियाई एयरलाइंस का MH370 विमान हिंद महासागर में क्रैश हो चुका है, तब यही लगा था कि विमान का सस्पेंस अब खत्म हो गया. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब सामने आई एक चौंकाने वाली खबर. रूस की खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि मलेशियाई विमान क्रैश नहीं हुआ है बल्कि उसे हाईजैक कर पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर छुपा कर रखा गया है.
कंधार में हाईजैक कर रखा गया है विमान
रूसी अखबार द मास्कोवसकीज कोम्सो-मोलेट्स ने खुफिया एजेंसी के हवाले से यह दावा किया है कि पिछले एक महीने से लापता मलेशियाई विमान पाकिस्तान की सीमा से लगे अफगानिस्तान के कांधार इलाके में है. अखबार के मुताबिक विमान को एक बंकर में छिपा कर रखा गया है ताकि सेटेलाइट भी उसे पकड़ ना सके.
कंधार वही जगह है जहां 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान IC814 को हाईजैक कर ले जाया गया था. इस विमान में 178 मुसाफिर और 15 क्रू मेंमबर थे. बाद में चार आतंकियों की रिहाई के बदले विमान और उसमे सवार मुसाफिरों को छोड़ दिया गया था.
अज्ञात आतंकियों ने किया विमान का अपहरण
रूसी अखबार के मुताबिक मलेशियाई विमान का अपहरण कुछ अज्ञात आतंकवादियों ने किया है. अखबार का दावा है कि विमान में सवार सभी मुसाफिर अभी भी जिंदा और सुरक्षित हैं. अखबार का कहना है कि विमान में सवार मुसाफिरों को सात ग्रुप में बांट कर उन्हें कंधार के आसपास कच्ची झोपड़ियों में रखा गया है. जबकि 20 एशियाई मुसाफिरों को पाकिस्तान में बने बंकरों में भेजे जाने की खबर है. रिपोर्ट के मुताबिक यात्रियों को खाने-पीने की बेहद किल्लत है.
अमेरिका या चीन से हो सकती है सौदेबाजी
रूसी खुफिया एजेंसी ने यह तो नहीं बताया कि विमान का अपहरण करने वाले कौन लोग हैं, लेकिन उसका दावा है कि विमान में सवार मुसाफिरों की रिहाई के बदले आतंकवादी अमेरिका या चीन से सौदेबाजी कर सकते हैं. हालांकि अमेरिका और चीन दोनों ने ही अभी तक ऐसी किसी सौदेबाजी की बात सार्वजनिक नहीं की है. गौरतलब है कि विमान में सबसे ज्यादा चीनी नागरिक सवार थे.
रूसी अखबार के इस खुलासे को इस बात से भी बल मिलता है कि विमान के लापता होने के घंटों बाद भी विमान में सवार कई मुसाफिरों के मोबाइल फोन पर कॉल जा रहे थे. यहां तक कि ये भी रिपोर्ट आई है कि विमान के को-पाइलट ने उड़ान के दौरान मोबाइल पर बात करने की कोशिश भी की थी.
आठ मार्च को क्वालालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरने वाली इस विमान में कुल 154 चीनी, 38 मलेशियाई चार अमेरिकी और पांच हिंदुस्तानी समेत कुल 14 मुल्कों के 239 मुसाफिर और क्रू मेंबर सवार थे.
जेट फाइटर की तरह उड़ाया विमान
इस बीच मलेशिया की मिलिट्री ने भी यह खुलासा किया है कि लापता होने से ठीक पहले विमान को अचानक जेट फाइटर की तरह उड़ाया जाने लगा था. वो भी बेहद नीचे. जांच दल के मुताबिक ऐसा सिर्फ तभी किया जाता है जब विमान को राडार को चकमा देना होता है. मलेशिया मिलिट्री जांच दल का कहना है कि विमान को सबसे नीचे पांच हजार फीट तक ले जाया गया था.
ऑफ हो गया था ट्रांसपॉन्डर
बता दें कि 8 मार्च की रात 12 बज कर 41 मिनट पर फ्लाइट-370 ने क्वालालंपुर से उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के 49 मिनट बाद विमान का ट्रांसपॉन्डर ऑफ हो गया था. ट्रांसपॉन्डर बंद होते ही विमान का एटीसी से संपर्क टूट जाता है. दरअसल, वो ट्रांसपॉन्डर ही होता है जिसके जरिए विमान का जमीन पर एटीसी से संपर्क बना होता है.
शक है कि ट्रांसपॉन्डर पायलट या फिर विमान पर कब्जा करने वाले किसी जानकार ने खुद बंद किया था. जांचदल के मुताबिक एटीसी से संपर्क टूटने के बाद पायलट ने विमान को पहले तेजी से ऊपर उठाना शुरू किया और 45 हजार फीट तक ले गया. इस ऊंचाई पर अगर यात्री ने ऑक्सीजन मास्क नहीं पहना हो तो 10 से 15 सेकेंड में बेहोश हो सकता है. 45000 फीट की ऊंचाई पर 21 मिनट तक उड़ान भरने के बाद प्लेन को बड़ी तेजी से नीचे लाया जाता है. विमान सिर्फ पांच हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था और इस ऊंचाई पर मिलिट्री रडार भी प्लेन को पकड़ नहीं पाते.
रडार फ्री इलाके में ले जाया गया विमान
जांच दल के मुताबिक नीची उड़ान भरते हुए प्लेन ना सिर्फ सैन्य रडार तक को चकमा देने में कामयाब रहा बल्कि विमान को उस इलाके की तरफ ले गया जिसे रडार फ्री माना जाता है. ये इलाका है क्लालंपुर से दक्षिण पश्चिम की तरफ. इसी इलाके में पाकिस्तान-अफगानिस्तान का वो सीमा भी आता है जिसका जिक्र रूसी खुफिया एजेंसी ने किया है. यानी कंधार.
अब तक नहीं मिला मलबा
दूसरी ओर, सेटेलाइट की तस्वीरों और सिग्नल के जरिए लापता विमान के मलबे या ब्लैक बॉक्स को ढूंढने की सारी कवायद अब तक नाकाम रही है. हिंद महासागर में सारी खाक छान मारने के बाद भी विमान का मलबा नहीं मिला. यहां तक कि जिस ब्लैक बॉक्स के सिग्नल मिलने की बात की जा रही थी अब उस ब्लैक बॉक्स की बैटरी डेड होने की आशंका जताई जा रही है. अगर बैटरी डेड हो जाती है तो फिर उसे ढूंढना और भी मुश्किल हो जाएगा.
रूसी खुफिया एजेंसी के दावे के बावजूद मलेशिया और चीन बाकी मुल्कों के सहयोग से विमान के मलबे की तलाश में अब भी जुटे हैं. चीन तो गहरे समुद्र में उतरने में सक्षम मानवयुक्त स्वदेशी पनडुब्बी भी तैनात करने की तैयारी कर रहा है ताकि मलबे को ढूंढा जा सके.