सुब्रत रॉय का नाम देश की उन हस्तियों में शुमार है, जिसे पैसे से पैसा बनाने में महारत हासिल है. लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आते ही उनकी सारी महारत बेकार चली गई. 20 हजार करोड़ रुपये की देनदारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट को नाराज करने वाले और दूसरों को सहारा देने का दम भरने वाले सुब्रत रॉय को तब कानून का भी सहारा ना मिला.
सुब्रत रॉय 12 लाख परिवारों का सहारा है. नेता हों या अभिनेता सभी को अपनी दौलत की हनक दिखाना, जिसकी अदा है. खुद को देश का सबसे बड़ा देश भक्त साबित करना जिसका सबसे बड़ा गुरूर है. लेकिन उसी सुब्रत रॉय के साथ सुप्रीम कोर्ट परिसर में जो कुछ हुआ उसके बारे में शायद ही उन्होंने कभी सोचा होगा. देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे पर पहुंचते ही सुब्रत रॉय सहारा का मुंह काला हो गया. शायद उनकी जिंदगी का सबसे काला दिन यही था जब अदालत के बाहर उनके चेहरे पर स्याही फेंकी गई और अदालत के भीतर उनके किरदार पर.
गुस्से की स्याही
देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने पहुंचने से पहले ही मनोज शर्मा नाम के जिस शख्स ने सुब्रत रॉय के चेहरे पर स्याही फेंकी उसका कहना है कि रॉय गरीबों का चोर है और वह चोरों के खिलाफ जंग लड़ता है. दरअसस ये गुस्से की वो कालिख है जो सीधे सुब्रत रॉय सहारा के दामन की बजाय उनके चेहरे पर गिरी. ये गुस्सा भरोसा तोड़ने पर था, ये गुस्सा झूठ बोलने पर था और शायद ये गुस्सा कानून से आंख मिचोली खेलने का भी था.
हालांकि सुब्रत रॉय अपने चेहरे से स्याही पोंछते हुए आगे निकल गए लेकिन मनोज कैमरे के सामने रुक गया. सुब्रत रॉय के साथ आए समर्थकों ने स्याही फेंकने वाले शख्स की जमकर धुनाई की और उसके कपड़े भी फाड़ दिए. लेकिन अब सुब्रत रॉय इस काली स्याही को अपने चेहरे से कितना भी साफ करें. ये दाग ताउम्र उनकी हैसियत को दागदार करता रहेगा.
हैसियत को करारी चोट
लखनऊ में सुब्रत रॉय की आलीशान कोठी है. नवाबों की शानो शौकत वाले लखनऊ की शान में जिन चंद महलनुमा मकानों का शुमार किया जाता है, उनमें से एक ये भी है. लेकिन कानून के सामने सभी बराबर हैं. सुब्रत रॉय की शान उस वक्त ढीली पड़ गई जब मंगलवार को 2 बजे कोर्ट में कार्यवाही शुरू हुई. पहले तो सुब्रत रॉय ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी. लेकिन अपनी शान-शौकत का दंभ भरने वाले सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट के अल्टीमेटम ने सीधे तिहाड़ पहुंचा दिया है, जहां उन्हें 11 मार्च तक रहना है. उनकी रिहाई पहले भी हो सकती है बशर्ते रुपये वापसी का ठोस प्लान वो अदालत को बताएं.
पिछली 28 फरवरी को ही जब इस कोठी के किवाड़ों को खोलकर कारों का काफिला कोर्ट के रास्ते पर निकला था तो किसी को अंदाजा नहीं था कि ये सफर अब दिल्ली के तिहाड़ तक जारी रहेगा. महज चार दिनों में सुब्रत रॉय सहारा के लिए दुनिया, दरवाजे और दहलीज सब कुछ बदल गया.
नहीं काम आई दलील
कोर्ट में सुब्रत रॉय के वकील राम जेठमलानी ने दलील दी कि उनकी प्रॉपर्टी की कीमत 28 हज़ार करोड़ रुपये है. सेबी इसे बेच दे तो वह पैसा लौटा देंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि सेबी ही ये सब क्यों करे. ये आपका काम है किसी और का नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि सुब्रत रॉय चाहते तो यही काम अब तक कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
कोर्ट ने आगे कहा, 'आप लगातार अगस्त 2012 के हमारे आदेश का उल्लंघन करते रहे. हमने आपका बैंक एकाउंट देखा है, उसमें आपने हजारों करोड़ का ट्रांजेक्शन दिखाया है तो उसमें से निकाल कर दे दे.' इस पर सुब्रत रॉय के वकील ने कहा कि उनके पास अभी कैश में ऐसा पैसा नहीं है जो वे दे सकें तो कोर्ट ने भी कहा कि आपको बहुत मौका दे दिया, लेकिन आपने उसकी परवाह नहीं की.
कम नहीं हैं सुब्रत रॉय के शौक
सुब्रत रॉय को बचपन से ही फिल्म और क्रिकेट का शौक था. उनके इसी शौक ने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का 'सहारा' बना दिया, वहीं बड़े-बड़े फिल्मी सितारे उनका एक 'सहारा' पाने को तरसते थे. आलम ये था कि उनकी उंगली के एक इशारे पर बड़े से बड़ा स्टार भी उनके सामने हाजिरी बजाने लगा. देखते ही देखते सुब्रत रॉय ऐसे एम्पायर के मालिक बन बैठे जिसका सपना भी देखना लोगों को सपने जैसी बात लगती है.
टाटा, बिरला, अंबानी का कारोबार एक तरफ, सहारा की शान-ओ-शौकत एक तरफ. शायद ही ऐसा कोई फिल्मी सितारा है शायद ही ऐसा कोई क्रिकेटर है जो सहारा की चमक दमक से दूर रहा हो.
...तब अमिताभ को दिया था 'सहारा'
साल 2000 की बात है. अमिताभ बच्चन का स्टारडम ढ़लान पर था. उनकी कंपनी कटघरे में थी और सदी का सुपरस्टार अकेला था. तब सुब्रत रॉय ने अपने पसंदीदा सितारे को उस संकट से उबारा था. अमिताभ उस बात को कभी भुला नहीं पाए. ऐसे ही तमाम किस्से हैं जो सुब्रत रॉय सहारा की शख्सियत को बयान करते हैं.
पैराबैंकिंग से लेकर एफ-1 तक
सहारा का कारोबार करीब 2.82 लाख करोड़ रुपये का है. यह समूह पैराबैंकिंग से शुरू होकर हाउसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, एयरलाइन्स, कंज्यूमर रिटेल, आईटी और मीडिया एंटरटेंमेंट तक विस्तार कर गया. हालांकि इस बीच सहारा एयरलाइंस जरूर बंद हुई, लेकिन हाल के दिनों में अडवेंचर स्पोर्ट्स में विस्तार के तहत आईपीएल टीम और एफ वन टीम में सहारा ने मौजूदगी दर्ज की.
टीम इंडिया के लिए दस फीसद अधिक का ऑफर
साल 2001 की बात है जब एक मल्टीनेशनल कंपनी ने टीम इंडिया के स्पॉन्सरशिप राइट्स लिए थे. सुब्रत रॉय का विश्वास था कि भारतीय टीम का खयाल भारतीय कंपनी को ही रखना चाहिए. बताया जाता है कि तब उन्होंने तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को फोन घुमाया और दस फीसद अधिक पैसे ऑफर कर दिए. ये बात और है कि हाल के दिनों में बीसीसीआई से खटपट की वजह से टीम इंडिया की जर्सी से सहारा का लोगो हट गया. लेकिन खेल के जरिए सहारा एक अलग ही तरह के राष्ट्रवाद का पर्याय बन गया.
खुद को बताया देशभक्त
सुब्रत रॉय कहते हैं उनकी व्यवसायिक सोच देश प्रेम पर आधारित है. सहारा समूह में साल में दो ही त्योहार मनाए जाते हैं और वो भी राष्ट्रपर्व के नाम से 26 जनवरी और 15 अगस्त. लेकिन ऐसा नहीं कि सहारा का साम्राज्य बस हिंदुस्तान में है. सहारा ने न्यूयॉर्क में 4400 करोड़ रुपये में दो होटल खरीदे हैं. लंदन स्थित ग्रॉस्वेनर हाउस हासिल किया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 30 अप्रैल 2011 से सितंबर 2012 के बीच समूह ने करीब 60091 करोड़ रुपये एकत्र किए. इनमें से सिर्फ 45 हजार करोड़ खर्च हुए.
सेबी से विवाद के बावजूद, सहारा ग्रुप ने हर महीने तकरीबन साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये अपने खाते में जोड़े हैं. टाईम मैगजीन ने सहारा को भारतीय रेलवे के बाद दूसरी सबसे अधिक नौकरी देने वाली संस्था बताया है.
तरक्की की रफ्तार और विवादों का ब्रेक
सुब्रत रॉय की कामयाबी की रफ्तार बहुत तेज थी और जितनी तेज वो तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ते रहे उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से वो सवालों के दायरे में घिरते चले गए. सुब्रत रॉय ने कभी नहीं सोचा होगा कि बीस साल पहले उनकी सहारा सिटी पर शुरू हुआ विवाद उन्हें जेल की सलाखों तक पहुंचा देगा.
दो हजार रुपये से अरबों के साम्राज्य तक पहुंचने वाले सुब्रत रॉय कामयाबी की मंजिलें चढ़ते गए तो उनके साथ विवाद भी जुड़ते चले गए. सहारा का विवादों में घिरना और उससे निपटकर बाहर आने का चूहे बिल्ली का खेल चलता रहा, लेकिन सेबी के साथ ये खेल उन्हें महंगा पड़ गया.
सेबी के आरोप
सहारा समूह पर आरोप है कि उसकी दो रियल स्टेट कंपनियों ने गलत तरीके से सार्वजनिक पूंजी बाजार से 24 हजार करोड़ रुपये उगाहे थे. इसमें सेबी ने सहारा समूह को दोषी पाते हुए निवेशकों का धन ब्याज समेत लौटाने को कहा था. सेबी का आरोप था कि सहारा समूह की कंपनियों ने निवेशकों से 24 हजार करोड़ रुपये की उगाही की थी, जबकि सहारा का कहना था कि उनकी देनदारी 5 हजार 120 करोड़ से कम की थी, जिसे उन्होंने सेबी को सौंप दिया है.
सुप्रीम कोर्ट का चक्कर
* 31 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को तीन महीने के भीतर निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपये 15 फीसदी ब्याज समेत लौटाने के आदेश दिए.
* 05 दिसंबर 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को सारी देनदारी दो किस्तों में अदा करने का आदेश दिया. पहली किस्त जनवरी 2013 में देनी थी और दूसरी फरवरी 2013 में.
* 20 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय और उनके तीन डायरेक्टरों को अदालत में तलब किया.
* 25 फरवरी 2014 को सुब्रत राय के वकील राम जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट से सुब्रत रॉय के लिए पेशी से छूट देने की अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपील निरस्त कर दी.
* 26 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय के खिलाफ गैर जमानी वारंट जारी कर दिया.
* 27 फरवरी 2014 को सुब्रत रॉय ने वारंट निरस्त कराने की अपील की, लेकिन वो खारिज हो गई.
* 28 फरवरी 2014 को यूपी पुलिस ने सुब्रत रॉय को गिरफ्तार किया.