नोएडा में दिनदहाड़े कातिलों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकित चौहान की हत्या कर दी, लेकिन दिन के उजाले में भीड़ भरे रास्ते पर भला कोई सिर्फ किसी कार को पीछा करते देख ये कैसे जान सकता है कि वो उसकी जान लेने आया है?
अंकित चौहान ने गोली लगने से पहले अपने भजीते नरेश को फोन पर कहा था, 'भाई कोई मेरा पीछा कर रहा है. वो मुझे मार देगा. मुझे बचा लो भाई'. अब यही आखिरी लाइन इस मर्डर की सबसे बड़ी मिस्ट्री बन गई है. इस लाइन में इतने सवाल छुपे हैं कि अगर उनके जवाब मिल गए, तो अंकित के कातिल का चेहरा बेनकाब हो जाएगा.
हादसे के दिन अंकित की छुट्टी थी और दोस्त के साथ अपनी पत्नी के ऑफिस लंच करने के लिए वह घर से बाहर निकला था. आखिर कातिल को कैसे पता चला कि वो कितने बजे किधर जाने के लिए घर से निकलेगा? ऐसे अनगिनत सवाल हैं जो बताते हैं कि नोएडा के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकित चौहान का कातिल जो भी है..वो है करीबी.
अंकित को खुद का पीछा किए जाने का अहसास होते ही मार डालने का डर यही साबित करता है कि किसी से पहले से उसकी दुश्मनी थी या किसी ने उसे मारने की धमकी दे रखी थी. आखिर उसी कार में सवार दोस्त गगन को अंकित ने अपने कातिल या दुश्मनों के बारे में क्यों नहीं बताया? और अगर बताया तो क्या गगन झूठ बोल रहा है?
दरअसल 15 किलोमीटर से कातिल अंकित का पीछा कर रहे थे. अंकित फोन पर अपने भतीजे नरेश को भी सब कुछ बता रहा था, तो क्या बराबर की सीट पर बैठे गगन को उसने एक बार भी ये नहीं बताया होगा कि आखिर पीछा करने वाले कौन लोग हैं? और यह भी सोचने की बात है कि पीछा करने वाले अगर जान ही लेने आए थे तो जान का खतरा तो गगन को भी होना चाहिए था. कार बेशक अंकित चला रहा था. लेकिन उसके साथ उसमें उसका दोस्त गगन भी बैठा था.
सवाल ये भी है कि अगर अंकित का कोई दुश्मन नहीं था और अंकित को अपने दुश्मनों को बारे में कुछ पता भी नहीं था तो उसने ये कैसे मान लिया कि पीछा करने वाले उसी की जान के पीछे पड़े हैं.
ऐसा होना मुश्किल है कि कातिलों के पीछा करने के दौरान पूरे रास्ते और गोली लगने से पहले तक अंकित ने गगन से हमलावरों के बारे में कुछ ना बताया हो. अंकित की कार को ओवरटेक करने के बाद बीच सड़क पर जिस तरह कातिलों ने गोलियां चलाईं उससे एक बात तो तय है कि कातिल अनाड़ी नहीं थे, बल्कि हो सकता कि उन्हें कत्ल की सुपारी दी गई हो. क्योंकि जब कातिल ने कार से उतर कर अंकित को गोली मारी तो उसका चेहरा ढका हुआ नहीं था. लेकिन फिर भी अंकित या उसके दोस्त गगन ने उसे नहीं पहचाना.
अंकित का घर से निकलना, अमीषा के पास लंच के लिए जाना इस बात को सिर्फ अंकित, अमीषा और गगन जानते थे. पुलिस की माने तो लंच के लिए अमीषा के दफ्तर जाने का प्रोग्राम खुद अंकित ने बनाया था. अंकित के पिता ने आरोप लगाया है कि अंकित के ममेरे भाई से उसके रिश्ते ठीक नहीं थे, लेकिन दुश्मनी क्या थी ये फिलहाल राज है.
हालांकि पुलिस को पता चला है कि अंकित के खानदान में बहुत पुरानी दुश्मनी की कहानी है. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कोई ऐसा नाकाम आशिक तो इस मर्डर के पीछे नहीं है, जो अमीषा की शादी से नाराज हो. क्योंकि शादी को सिर्फ एक महीना ही हुआ था. अब सच इनमें से जो भी सामने आए पर दो चीजें पुलिस को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है. एक यह कि अंकित तो जानता था कि कोई उसे मारने जा रहा है, लेकिन क्या अंकित के तमाम करीबी उसके दुश्मन से अनजान रहे?
दूसरी चीज ये कि अब तक के सारे सबूत और गवाह यह इशारा कर रहे हैं कि अंकित का कातिल उसका कोई अपना करीबी ही है. अंकित के पिता धर्मवीर चौहान ने बुधवार की सुबह मेरठ के डीआईजी ऑफिस में यही कहा कि यह कत्ल उनके बेटे के साथ किसी की रंजिश का ही नतीजा है. रंजिश क्या है और किसके साथ है, उन्हें इसका कोई अंदाजा नहीं था.
हालांकि अंकित के पिता ने रंजिश का पता लगाने के लिए उसके दोस्तों और खास कर कत्ल के वक्त अंकित के साथ रहे गगन से पूछताछ करने को जरूरी करार दिया है. क्योंकि उन्हें इस बात की बेहद हैरानी है कि आखिर कातिलों को करीब से देखने के बावजूद उन्होंने गगन को कैसे छोड़ दिया?