खुद को धर्मगुरु बताने वाले आसाराम की करनी ने उन्हें तमाशाराम बना दिया है, लेकिन ये तमाशा कानून को ठेंगा दिखा रहा है. आसाराम के बोल विवादों को जन्म देते रहे. इनके आश्रम और धार्मिक क्रियाकलापों पर उंगली उठती रही. इन पर कई गंभीर आरोप लगे और अब तो उन्होंने एक नए बोल से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. इस बार उनका बोल उस राज्य के मुख्यमंत्री के लिए है जिस राज्य की पुलिस बलात्कार के इलजाम में आसाराम को गिरफ्तार भी कर सकती है.
खुद को 74 साल का बूढ़ा बताने वाले बाबा आसाराम अब जगह-जगह सफाई देते फिर रहे हैं कि वो बलात्कारी बाबा नहीं हैं. राम नाम भूल गए, कीर्तन भजन भूल गए. क्या करें, आरोप ही ऐसा लगा है. 16 साल की लड़की ने बाबा पर बलात्कार का आरोप लगाया है.
बलात्कार के आरोपों ने आसाराम को निराशाराम कर दिया है. तमाम सबूत और लड़की के बयान बाबा को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, बाबा कानून को कई बार चकमा दे चुके हैं, लेकिन पहली बार बलात्कार के मामले में फंसे हैं. कानून का शिकंजा उनके इर्द गिर्द कस रहा है.
एक नाबालिग लड़की ने आसाराम पर इलजाम लगाया कि जोधपुर के पास एक फॉर्महाउस में उन्होंने बलात्कार किया, लेकिन कमाल देखिए कि राजस्थान सरकार हरकत में नहीं आई. आखिर अशोक गहलोत की चुप्पी का सबब क्या है? कहीं आसाराम ने गहलोत के पुराने रिश्ते तो कानून के रास्ते में पत्थर नहीं बन गये हैं?
आसाराम बापू अभी तक कानूनी शिकंजे से दूर हैं. मामला संसद में भी पहुंच चुका है और हंगामा भी खूब हो रहा है लेकिन आसाराम बापू पर बोलने से राजस्थान सरकार और प्रशासन दोनों भाग रहे हैं. आखिर क्यों अशोक गहलोत आसाराम को गिरफ्तार न करने के बहाने बना रहे हैं.
आसाराम बापू ने अहमदाबाद में कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को मैं संदेशा भेजता रहता हूं. वो भी मुझे जानते हैं, वो कई बार मेरे पास आ भी चुके हैं. वो तो ऐसे आदमी हैं कि कई बार आते-जाते वो बिना बुलाये हमारी गौशाला में चले जाते हैं, इतना प्रेम है हमारी गोशाला के प्रति. वो भी इन बातो में आकर कैसे कच्चा-पक्का बोल गये कि साधुओं को अपना आचरन व्यवहार सुधारना चाहिये. मुझे आश्र्चर्य होता है.
अशोक गहलोत के साथ आसाराम के रिश्ते पहले कार्यकाल से ही बेहद अच्छे बन गए थे. गहलोत के पहले कार्यकाल में ही आसाराम ने राजस्थान में अपने आश्रम खोले थे. गहलोत सरकार ने तो गौशाला के नाम पर टोंक जिले के निवाई में 100 बीघा जमीन आसाराम को दे दिया जिसका, उद्घाटन खुद अशोक गहलोत ने किया था. इसके अलावा राजस्थान में आसाराम के 23 आश्रम हैं और 6 से ज्यादा फार्म हाउस हैं. राजस्थान में आसाराम के समर्थक बड़ी तादाद में हैं तो अशोक गहलोत के लिए किसी वोटबैंक से कम नहीं.
राजस्थान सरकार की नजरों में आसाराम के कद्दावर कद का अंदाजा इसी सबूत से लगाया जा सकता है कि जब राजस्थान के मुख्यमंत्री से आज तक ने 23 अगस्त को बातचीत करने की कोशिश की तो कहा गया कि जो कुछ कहना है हमने कल ही कह दिया, बाकि आप पुलिस से बात करें.
राजस्थान के डीजीपी हरिशचंद मीणा के कमरे के बाहर दो घंटे तक आज तक के संवाददाता बैठे रहे, क्योंकि कहा गया कि साहब सो रहे हैं और जब जागे तो कहा गया डीजीपी साहब सोमवार को मिलेंगे. राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष वसुंधरा राजे के धौलपुर सिटी पैलेस के बाहर 6 घंटे इंतजार कराए जाने के बाद कहा गया कि मैडम के पास रात नौ बजे तक वक्त नहीं है.
कैमरे से इतर पुलिस के अधिकारी भी बातचीत में साफ-साफ कह रहे हैं कि उनके पास इस बात के ठोस सबूत हैं कि 15 अगस्त को आसाराम और लड़की जोधपुर से 30 किलोमिटर दूर मथानिया के हरिओम आश्रम में ही थे. लेकिन आसाराम की गिरफ्तारी तो दूर अभी तक पूछताछ की इजाजत पुलिस को नहीं मिली है. जाहिर सी बात है जब आरोपों के कठघरे में खड़े आसाराम खुद अशोक गहलोत के साथ रिश्तों का हवाला दे रहे हैं तो फिर कोई हिम्मत कैसे दिखाएं?
सफाई तो ठीक है, लेकिन सवाल है कि बलात्कार जैसे संगीन आरोप के बावजूद आसाराम की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? आखिर क्यों कानून का हाथ आसाराम तक अब तक पहुंच नहीं पाया? आखिर कौन है जो आसाराम को बचा रहा है?
राजस्थान की कांग्रेस सरकार को डर
गिरफ्तारी से दूर आसाराम को लेकर सवाल इसलिए भी सामने हैं, क्योंकि केस दर्ज होने के कई दिन बाद तक राजस्थान की गहलोत सरकार मौन है. सियासी दांवपेच की मजबूरी ऐसी है कि पूछताछ आसाराम से होनी चाहिए थी, लेकिन एसीपी से लेकर कमिश्नर तक पूछताछ कर रहे हैं पीड़िता से ही.
दरअसल इसके पीछे असली कहनी ये है कि गहलोत सरकार को आसाराम के सिंधी समाज और उनके अंधभक्तों के वोट का हाथ से निकलने का डर सता रहा है. राजस्थान में करीब 40 सीटों पर सिंधी समाज के लोग अपना प्रभाव रखते हैं, जिनमें आसाराम की गहरी पैठ है. कांग्रेस को डर है कि कहीं आसाराम से बैर साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके लिए घाटे का सौदा साबित न हो जाए.
बीजेपी भी वोटबैंक देखकर बढ़ रही है
वोटबैंक की राजनीति में बीजेपी भी पीछे नहीं. वसुंधरा राजे और बीजेपी नेताओं से आसाराम की गहरी नजदीकी है. तभी तो वोट के चक्कर में अंधी बीजेपी भी पीड़िता के बजाय आसाराम के साथ खड़ी नजर आ रही है. राजस्थान बीजेपी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुमन शर्मा हों या उमा भारती, बीजेपी भी अपना वोट बैंक देखकर चल रही है.