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आसाराम को डर क्यों लगता है?

कहते हैं ज़िंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथों में होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहनेवाला एक शख्स पल-पल मौत अपनी ओर बढ़ता हुआ साफ़-साफ देख रहा है. वो हर पल अपनी मौत की घड़ियां रहा है क्योंकि उन्हें पता है कि अब उनकी ज़िंदगी के फकत सात ही दिन बाकी बचे हैं. सातवें दिन का सूरज उगा नहीं कि कहीं किसी कोने से चलनेवाली कोई गोली उनकी जान ले सकती है.

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आसाराम
आसाराम

कहते हैं ज़िंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथों में होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहनेवाला एक शख्स पल-पल मौत अपनी ओर बढ़ता हुआ साफ़-साफ देख रहा है. वो हर पल अपनी मौत की घड़ियां रहा है क्योंकि उन्हें पता है कि अब उनकी ज़िंदगी के फकत सात ही दिन बाकी बचे हैं. सातवें दिन का सूरज उगा नहीं कि कहीं किसी कोने से चलनेवाली कोई गोली उनकी जान ले सकती है.

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अब आप सोच रहे होंगे कि भला किसी को अपनी मौत के बारे में इतने पक्के तौर पर कैसे पता हो सकता है और अगर उनकी ये सोच सही है तो उन्होंने अपनी हिफाजत के लिए कोई इंतज़ाम क्यों नहीं किया.

तो जनाब, जब आप इस शख्स की ज़िंदगी के बाकी बचे सात दिनों की कहानी सुनेंगे, तो यकीनन आपके रौंगटे खड़े जाएंगे क्योंकि एक दिन पहले तक ये जनाब भी दूसरे इंसानों की तरह ही आम ज़िंदगी जी रहे थे, लेकिन गुरुवार की सुबह इन्हें अपने ही दफ्तर के बाहर एक ख़त क्या पड़ा मिला, इनकी ज़िंदगी बदल गई क्योंकि इस ख़त में लिखा था, 'प्रिंसिपल तेरी मौत बेहद क़रीब है, तूने (पीड़ित के पिता का नाम) लड़की की टीसी बना कर अपनी मौत बुलाई है. तेरी ज़िंदगी के अब सिर्फ़ आठ दिन बचे हैं, सिर्फ़ आठ दिन और जी ले. -तेरी मौत.'

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दरअसल, ये शहाजहांपुर के उसी सरस्वती शिशु मंदिर के प्रिंसिपल जनाब अरविंद वाजपेयी हैं, जहां आसाराम के खिलाफ़ यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवाने वाली लड़की कभी पढ़ा करती थी और रायफल की गोली में लिपटी मौत का ये परवाना प्रिंसिपल साहब के नाम सिर्फ़ इसलिए जारी किया गया, क्योंकि उन्होंने अपना फ़र्ज़ अदा करते हुए लड़की को स्कूल की और से टीसी यानी ट्रांसफ़र सर्टिफिकेट जारी किया था.

जोधपुर पुलिस को सौंपी गई इस टीसी में पीड़ित लड़की का जो डेट ऑफ़ बर्थ दर्ज था, उसके मुताबिक वो लड़की नाबालिग थी. जबकि यौन शोषण के आरोप से घिरे आसाराम उनके चेले इस लड़की को लगातार बालिग करार देने की कवायद में जुटे थे, लेकिन इस टीसी से लड़की के नाबालिग होने की बात साफ़ होने के साथ-साथ क़ानूनी तौर पर आसाराम के मुसीबत थोड़ी और बढ़ने की गुंजाइश पैदा हो गई है और प्रिंसिपल समेत तमाम दूसरे लोगों को लग रहा है कि इसी ख़तरे से भिन्ना कर आसाराम या फिर उनके किसी चेले ने इस हरकत को अंजाम दिया है.

गुरुवार की सुबह अख़बार में .315 बोर की एक गोली के साथ लिपटी इस धमकी भरी चिट्ठी ने सभी को सकते में डाल दिया. उन्होंने फ़ौरन इस सिलसिले में पुलिस से शिकायत की और पुलिस ने मामले की तफ्तीश भी शुरू कर दी. पुलिस अपनी तफ्तीश में कहां तक पहुंची, ये तो नहीं पता लेकिन इस चिट्ठी से आसाराम और उनके चेलों के खिलाफ़ एक नई कानूनी मुसीबत पैदा हो जाएगी, इसमें कोई शक नहीं है.

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