प्रसून जोशी ने अपनी कविता के जरिए नारी की पीड़ा को सामने रखा. प्रसून ने कहा इस कविता में है कि हम संस्कृति का हवाला देते हैं और बार-बार कहते हैं हमारी संस्कृति महान है, हम देवी का दर्जा महिला को देते हैं. लेकिन वो देवी नहीं एक औरत का अधिकार चाहती है ताकि वो इज्जत से इस समाज में रह सके.