खाते से फर्जी तरीके से 91 लाख रुपए की साइबर ठगों ने चपत लगा दी. इन ठगों ने जालसाजी का ऐसा तरीका अपनाया, जिसे सुनकर कोई भी हिल सकता है. ठगों ने बैंक का ही 'क्लोन' बना डाला, फिर इसमें शख्स से उनकी लाखों की जमा-पूंजी निवेश करवाई. इसके बाद ठग शख्स के पैसे डकार गए. पीड़ित शख्स और उनकी पार्टनर ने ठगी की इस घटना की आपबीती शेयर की. 'बैंक क्लोन' का आशय है कि जालसाजों ने बैंक की फर्जी वेबसाइट बनाई थी.
'द' मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, क्लाइव मॉर्गन से साइबर ठगों ने 91 लाख रुपए की ठगी की. क्लाइव रिटायर्ड कस्टमर सर्विस मैनेजर रह चुके हैं. उन्होंने 28 साल नौकरी कर यह जमा पूंजी इकट्ठी की थी. क्लाइव और उनकी पार्टनर जूडिथ ठगी के बाद टूट गए. उन्होंने हाल में अपनी दुखभरी कहानी बताई. इन साइबर अपराधियों ने ब्रिटेन की प्रमुख बैंकों में से एक क्लेनवोर्ट हमब्रोस (Kleinwort Hambros) का क्लोन क्रिएट किया. क्लेनवोर्ट हमब्रोस एक प्राइवेट बैंक है.
क्लाइव को 91 लाख रुपए रिटायरमेंट पेंशन के तौर पर मिले थे, ऐसे में उन्होंने सोचा कि वह इसे क्लेनवोर्ट हमब्रोस बैंक में जमा कर देते हैं. ऑनलाइन सर्च करते हुए वह क्लोन क्लेनवोर्ट हमब्रोस बैंक की साइट पर पहुंच गए. क्लाइव की पत्नी जूडिथ ने बताया, उनके पति से इसके बाद इस कथित बैंक की ओर से संपर्क किया गया गया. उनसे निवेश के लिए कहा गया. क्लाइव को भी लगा कि बैंक में पैसा जमा करना सुरक्षित होगा. इसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट पेंशन से मिले 91 लाख रुपए बैंक के नाम पर एक साल के लिए फिक्स कर दिए.
कुछ महीने बीतने के बाद जो फोन नंबर और ईमेल आईडी क्लेनवोर्ट हमब्रोस बैंक का नाम बताकर कथित इंवेस्टमेंट एडवाइजर ने क्लाइव को दी थी, उसने काम करना ही बंद कर दिया.
इसके बाद क्लाइव ने ट्रस्टी सेविंग्स बैंक (Trustee Savings Bank) से संपर्क किया. टीएसबी ब्रिटेन का वित्तीय संस्थान है. टीएसबी ने हाल में कहा था कि उसने 98 फीसदी उन बैंक ग्राहकों का पैसा वापस किया है, जो इस साल वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुए. लेकिन क्लाइव को इस बात का फायदा नहीं मिला.
टीएसबी ने क्लाइव के मामले में कहा, जो शख्स 40 साल तक बैंक का कस्टमर रहा हो. वह ऐसी गलती कैसे कर सकता है? वहीं इस मामले में क्लाइव ने फाइनेंशियल ओम्बड्समैन सर्विस से भी शिकायत की थी. इसके जांच अधिकारी ने बताया कि भले ही क्लाइव एक अनुभवी निवेशक रहे हों, लेकिन उन्होंने कभी भी 27 हजार रुपए से ज्यादा नहीं निकाले.
पहले ट्रांसफर हुआ ब्लॉक, फिर खुला कैसे?
जांच में यह भी सामने आया कि क्लाइव ने एक ही बार में क्लोन क्लेनवोर्ट हमब्रोस बैंक में पैसे ट्रांसफर करने की कोशिश की. लेकिन, इसे ब्लॉक कर दिया गया. इसके बाद ब्लॉक को हटा दिया गया और टीएसबी ने इस ट्रांसफर को 'असली' के तौर पर मार्क किया. इस दौरान उन्होंने क्लाइव से संपर्क भी नहीं किया. इसके बाद क्लाइव ने पांच दिनों के अंदर पांच बार में 91 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए.
इस मामले में बाद में फाइनेंशियल ओम्बड्समैन सर्विस ने टीसएबी से कहा कि वह क्लाइव के पैसे वापस करें.अपने पैसे वापस मिलने की घोषणा पर कपल काफी खुश हुआ. लेकिन, टीएसबी के फैसले को 'ओम्बड्समैन सर्विस मैनेजर' ने पलट दिया.
इस मामले में ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने कहा कि इस तरह के कई मामले ब्रिटेन में सामने आए हैं. पुलिस ने कहा कि कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं.
दरअसल, Kleinwort Hambros वेबसाइट का क्लोन के तौर पर उपयोग हो रहा है, इस बारे में फाइनेंशियल सर्विस अथॉरिटी ने क्लाइव के केस के 8 महीने बाद चेतावनी जारी की. वहीं Kleinwort Hambros की ओर से इस बारे में चेतावनी जारी हुई थी.
हाल में 'मिरर' ने जो रिपोर्ट क्लाइव के मामले में प्रकाशित की, उसमें कपल ने बातचीत में कहा कि वह अभी भी इस मामले में न्याय का इंतजार कर रहे हैं.