
Banking frauds in India: देश में बैंकिंग फ्रॉड अब आम बात हो गई है और शायद इसलिए अब इस पर कोई ज्यादा बात या चर्चा भी नहीं करता. लेकिन बैंकिंग फ्रॉड की समस्या कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 2020-21 में 83 हजार से ज्यादा बैंकिंग फ्रॉड हुए जिसमें 1.38 लाख करोड़ रुपये की ठगी हुई. हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें से 1 हजार करोड़ रुपये की ही रिकवरी हो चुकी है. यानी, जितनी ठगी हुई, उसका 1% भी वापस नहीं आ सका.
ये जानकारी इंडिया टुडे की RTI में सामने आई है. देश में होने वाले बैंकिंग फ्रॉड से जुड़े आंकड़ों की जानकारी के लिए इंडिया टुडे ने RBI में RTI दाखिल की थी. RBI की ओर से जो जानकारी दी गई है, वो बैंकिंग फ्रॉड को लेकर हैरान करती है.
आरबीआई के मुताबिक, 2020-21 में हर दिन औसतन 229 धोखाधड़ी हुई थी. इससे पहले 2019-20 में हर दिन धोखाधड़ी के 231 मामले सामने आए थे. 2019-20 में 1.85 लाख करोड़ रुपये की ठगी हुई थी और इसमें से सिर्फ 8.7% ही रिकवर हो सके थे.
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बैंकिंग फ्रॉडः मनमोहन सरकार बनाम मोदी सरकार
- 2014-15 से 2020-21 में मोदी सरकार के दौरान बैंकिंग फ्रॉड के 2,84,819 केस हुए, जिसमें 5.99 लाख करोड़ रुपये की ठगी हुई. वहीं, इन 7 सालों के दौरान जितनी ठगी हुई, उसमें से सिर्फ 49 हजार करोड़ (9.8%) ही रकम वसूल की जा सकी.
- वहीं, जब इन आंकड़ों की तुलना मनमोहन सरकार के 2007-08 से 2013-14 तक करते हैं तो उन 7 सालों में 29,451 केस आए थे, जिसमें 31,674 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी. इनमें से 7,493 करोड़ रुपये (23.7%) रिकवर कर लिए गए थे.
- अगर इन 14 सालों 2007-08 से 2020-21 तक के आंकड़े देखें तो इस दौरान बैंकिंग फ्रॉड के 3,14,270 मामलों में 5,30,571.55 करोड़ रुपये ठग लिए गए, जिसमें से महज 56,502.91 करोड़ रुपये ही वापस आ सके.
नोटबंदी के बाद बढ़ी ऑनलाइन ठगी?
2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी (demonetization) का ऐलान किया था, उसके बाद बैंकिंग फ्रॉड में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. 2016-17 में धोखाधड़ी के करीब 5 हजार मामले सामने आए थे जो 2017-18 में 8 गुना बढ़कर 40 हजार को पार कर गए. इससे इस बात की ओर अंदेशा जाता है कि नोटबंदी के बाद ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 19 नवंबर 2019 को राज्यसभा में बताया था कि बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार ने उचित कदम उठाए हैं. हालांकि, आरबीआई की ओर से जो आंकड़े दिए गए हैं, उसमें वित्त मंत्री की बात नहीं झलकती.