इन दिनों Bulli Bai और Sulli Deals नाम की दो मोबाइल ऐप चर्चा में हैं. जनवरी 2022 में Bulli Bai और जुलाई 2021 में Sulli Deals का नाम सामने आया. इन दोनों ही ऐप के जरिए एक ही काम किया गया. इन ऐप्स पर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही जाती थीं. उन्हें टारगेट किया जाता था. उनकी तस्वीरें डालकर उनकी नीलामी तक की जाती थी.
Bulli Bai और Sulli Deals का मामला तो सामने आ गया. लेकिन इनके अलावा भी महिलाओं को सोशल मीडिया या ऑनलाइन बुलिंग का शिकार होना पड़ता है. ऐसे ढेरों मामले हैं जब सोशल मीडिया पर किसी महिला को टारगेट किया गया हो.
पुलिस ने किन धाराओं के तहत केस दर्ज किया?
1 जनवरी को पीड़िताओं ने पुलिस में शिकायत की थी. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने Bulli Bai के डेवलपर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 153B, 295A, 354D, 509 और 500 के तहत केस दर्ज किया था. इसके साथ ही आईटी एक्ट की धारा 67 भी FIR में लगाई गई है.
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इन धाराओं का मतलब क्या?
- धारा 153A : धर्म के आधार पर दो समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध. इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माने का प्रावधान है.
- धारा 153B : राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का अपराध. इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माने का प्रावधान है.
- धारा 295A : धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण काम करना. इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माने का प्रावधान है.
- धारा 354D : अगर कोई पुरुष इंटरनेट या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक संचार के जरिए किसी महिला को मॉनिटर या स्टॉक करता है तो ये अपराध है. इसके तहत पहली बार में 3 साल कैद और जुर्माना और दूसरी बार में 5 साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
- धारा 500 : किसी व्यक्ति की मानहानि करने का अपराध. इसके तहत 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजा का प्रावधान है.
- धारा 509 : शब्द, इशारे या किसी और तरीके से किसी महिला के शील को भंग करना. इसके तहत 3 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा का प्रावधान है.
- धारा 67 : इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित करना या प्रसारित करने का अपराध. इसके तहत पहली बार में 3 साल की कैद या 5 लाख जुर्माना या दोनों और दूसरी बार में 5 साल की कैद या 10 लाख जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है.
क्या सोशल मीडिया कंपनियों की कोई जिम्मेदारी है?
सोशल मीडिया पर अगर कोई थर्ड पार्टी डेटा या कम्युनिकेशन लिंक होस्ट या स्टोर होती है, तो इसके लिए कंपनियां जिम्मेदार नहीं हैं. हालांकि, पिछले साल फरवरी 2021 में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक नई गाइडलाइन बनाई थीं. इसके तहत अगर सरकार या कानूनी एजेंसियां कोई जानकारी मांगती हैं तो कंपनियां मना नहीं कर सकतीं. इस मामले में भी दिल्ली पुलिस ने Twitter और Github से जानकारी मांगी है.