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14 लाख की साइबर ठगी, रिकवरी में मिले 26 लाख...बैंक बैलेंस देखकर पीड़ित के होश उड़ गए

ग्रेटर नोएडा के बिसरख थाना क्षेत्र में साइबर ठगी का एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां एक शख्स के बैंक अकाउंट से साइबर ठगों ने 14 लाख रुपए उड़ा लिए. इस मामले की शिकायत के बाद बैंक 58 हजार रुपए फ्रीज कर लिए. लेकिन जब पीड़ित के बैंक में रिकवरी का पैसा आया, तो उसे देखकर उसके होश उड़ गए.

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cyber crime
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देश में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साल 2022 के पहले 10 महीनों के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक रैंसमवेयर के लिए दोगुने साइबर अटैक्स किए गए. लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि आम लोगों के साथ हो रहे साइबर फ्रॉड की रकम वापस दिलाने में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसके जरिए ठगी गई रकम समय रहते बैंक में फ्रीज हो जाती है, जिसकी वजह से पीड़ित लुटने से बच जाते हैं. ऐसा ही एक मामला दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में सामने आया है.

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ग्रेटर नोएडा के बिसरख थाना क्षेत्र के रहने वाले नीरज कुमार कुछ महीने पहले साइबर ठगी का शिकार हुए थे. साइबर ठगों ने उनके बैंक अकाउंट से 14 लाख रुपए उड़ा लिए. उन्होंने इसकी शिकायत साइबर थाने में कर दी. इसके साथ ही 1930 पर कॉल करके भी ठगी की सूचना दे दी. पुलिस ने त्वरित कार्यवाही की, लेकिन उनके अकाउंट में महज 58 हजार रुपए ही बचाए जा सके. पुलिस ने इन पैसों को फ्रीज करवा दिया और बैंक से पीड़ित के अकाउंट में ट्रांसफर करने का अनुरोध भी कर दिया. 

बैक ने जब फ्रीज किए गए पैसों को वापस किया तो तकनीकी खामियों की वजह से 58 हजार की जगह 26 लाख रुपए ट्रांसफर हो गए. इस रकम को नीरज कुमार ने तत्काल निकालकर खर्च कर दिया. बैंक अधिकारियों ने जब उनसे पैसे वापस करने के लिए कहा, तो उन्होंने इंकार कर दिया. इसके बाद बैंक ने आरोपी के खिलाफ थाने में केस दर्ज करा दिया. पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद आरोपी से 20 लाख रुपए की रिकवरी कर ली. बचे हुए पैसों के लिए उस पर दबाव दिया जा रहा है.

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साइबर थाना प्रभारी विनोद कुमार यादव ने बताया कि सितंबर महीने में बिसरख थाना क्षेत्र के निवासी नीरज कुमार के साथ 14 लाख रुपए की साइबर ठगी हुई थी. इसकी शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने 58 हजार रुपए फ्रीज करवा दिया था. कोर्ट के आदेश पर बैंक को नीरज के खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया. लेकिन तकनीकी खामी के कारण बैंक द्वारा नीरज के खाते में 26 लाख 15 हजार 905 रुपए चले गए, जो कि वापस नहीं किए गए. इसकी शिकायत बैंक अधिकारियों ने थाने में दर्ज करवाई है.

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उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में स्थापित होंगे साइबर क्राइम थाने

बताते चलें कि साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए 57 जिलों में साइबर क्राइम थाने स्थापित किए जा रहे हैं. फिलहाल प्रदेश के सभी 18 मंडलों में साइबर क्राइम थाने मौजूद हैं. अभी तक आईजी स्तर का अधिकारी इन थानों को देखता था, लेकिन अब सभी जनपदों में साइबर क्राइम थाने स्थापित होने के बाद पुलिस अधीक्षक के पास इसकी जिम्मेदारी होगी. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक, इसकी स्थापना पर सरकार पर लगभग 1 अरब, 27 करोड़, 24 लाख, 51 हजार धनराशि का अनुमानित खर्चा बढ़ेगा.

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साइबर फ्रॉड रोकने में कारगर साबित हुआ नया सिस्टम 

साइबर फ्रॉड की रकम वापस दिलाने में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसका नाम CFCFRMS सिस्टम है. इसे साल 2021 में तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है. इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है. इस सिस्टम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ 243 वित्तीय संस्थाओं को जोड़ा गया है. इन वित्तीय संस्थाओं में बैंक, वर्चुअल वॉलेट, पेमेंट एग्रीगेटर, गेटवे और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं. 

साइबर ठगी होने के बाद 1930 नंबर पर तुरंत करें कॉल

ये सिस्टम पीड़ित के एनफोर्समेंट एजेंसी को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के साथ काम करना शुरू कर देता है. इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले की सारी जानकारी CFCFRMS के जरिए एक टिकट के तौर पर जेनरेट हो जाती है. ये टिकट संबंधित फाइनेंशियल यूनिट यानी बैंक, भुगतान वॉलेट वगैरह को भेज दिया जाता है. इसके बाद फाइनेंशियल यूनिट फ्रॉड की रकम की जांच करती है और उसके खाते में होने पर तुरंत वहीं रोक देती है. साइबर ठगी होने के बाद तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहिए. 

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